नई दिल्ली: केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने आज यहां लिम्फेटिक फाइलेरिया को समाप्त करने के लिए आयोजित वैश्विक गठबंधन की 10वीं बैठक (जीएईएलएफ) का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन संबोधन में श्री नड्डा ने कहा कि भारत लिम्फेटिक फाइलेरिया के संचरण और इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि भावी पीढियां इस बीमारी से मुक्त रहें। भारत ने लिम्फेटिक फाइलेरिया को समाप्त करने के प्रयासों तथा इस संदर्भ में किये जाने वाले शोध का हमेशा से स्वागत किया है। कार्यक्रम में श्री नड्डा ने 11 देशों को जीएईएलएफ पुरस्कार प्रदान किया। ये देश हैं-
कंबोडिया, कुक द्वीप समूह, मिस्र, मालदीव, मार्शल द्वीप समूह, नियू, श्रीलंका, थाईलैंड, टोगो, टोंगा और वानुअतु। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारत के लिए लिम्फेटिक फाइलेरिया को समाप्त करने के लिए एक त्वरित योजना जारी की।
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे, गुयाना के मंत्री डॉ. करेन कमिंग्स, डीएचआर और डीजी-आईसीएमआर के सचिव प्रोफेसर बलराम भार्गव, जीएईएलएफ के अध्यक्ष प्रोफेसर चार्ल्स मैकेंज़ी, स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक डॉ. प्रोमिला गुप्ता और डब्ल्यूएचओ के डॉ. जोनाथन किंग भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि लिम्फेटिक फाइलेरिया को समाप्त करने की दिशा में भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों व विकास संगठनों के सम्मिलित प्रयास से सर्वाधिक प्रभावित 256 जिलों में से 100 जिलों ने उन्मूलन लक्ष्य हासिल कर लिया है। संचरण मूल्यांकन सर्वे (टीएएस) द्वारा सत्यापन के बाद इन जिलों में बड़े पैमाने पर दी जाने वाली दवा कार्यक्रम को रोक दिया गया है। अभी ये जिले निगरानी में हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लिम्फेटिक फाइलेरिया को समाप्त करने की रणनीति दो तथ्यों पर आधारित है। (1) वर्ष में एक बार बड़े पैमाने पर दवा कार्यक्रम ताकि कोई नया मामला सामने न आये। (2) रोगग्रस्त व्यक्ति की रूग्णता प्रबंधन के साथ बेहतर देखभाल। श्री नड्डा ने आगे कहा कि विभिन्न विभागों को साथ आने की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आज जारी त्वरित योजना से लिम्फेटिक फाइलेरिया पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
श्री अश्वनी कुमार चौबे ने कहा कि प्रभावित समुदायों में रोग और इसके ईलाज के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि इस कार्यक्रम में विशेषज्ञ नये दृष्टि कोण प्रस्तुत करेंगे। सभी हितधारकों को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि लिम्फेटिक फाइलेरिया को जड़ से समाप्त किया जा सके।
लिम्फेटिक फाइलेरिया को आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है भारत सहित 73 देश इस बीमारी की चपेट में हैं। यह रोग क्युलैक्स मच्छर द्वारा फैलता है। यह मच्छर स्थिर गंदे पानी में तेजी से बढ़ता है।
जीएईएलएफ 72 देशों के राष्ट्रीय लिम्फेटिक फाइलेरिया मुक्ति कार्यक्रम का गठबंधन है। इससे एनजीओ, निजी क्षेत्र, अकादमिक और शोध संस्थान भी जुड़े हुए हैं। बैठक 2 वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। 2002 में दूसरी बैठक का आयोजन नई दिल्ली में हुआ था। अभी भारत 10वीं बैठक की मेजबानी कर रहा है।