शास्त्रों में मलमास के महीने का विशेष महत्व होता है। इस माह में पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में मलमास में कई तरह के नियम बताए गए हैं। इस माह में कुछ काम करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है तो वहीं कुछ काम को वर्जित माना गया है।
भारतीय ज्योतिष सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के आधार पर चलता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। पंचांग के हिसाब से तीन वर्षों तक तिथियों का क्षय होता है। वह माह तीसरे वर्ष में अधिक मास के रूप में शामिल होता है। इन दिनों 16 मई से 13 जून तक की अवधि अधिक मास की रहेगी।
मलमास और पुरूषोत्तम का नाम क्यों
पुरूषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है इसीलिए अधिकमास को पुरूषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है। हिंदू धर्म में अधिकमास के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। अतिरिक्त माह होने के कारण यह मास मलिन होता है। मलिन के कारण इस मास का नाम मल मास पड़ गया है।