बच्चे हर राष्ट्र का भविष्य हैं और शुद्ध पेयजल और बेहतर स्वच्छता प्रदान करना उनके विकास और समग्र विकास के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन और दिशा-निर्देश पर जल शक्ति मंत्रालय ने 2 अक्टूबर, 2020 को देश भर के सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 100-दिवसीय अभियान शुरू किया था। केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की योजना है कि अभियान अवधि के भीतर इन सभी संस्थानों में सुरक्षित पानी उपलब्ध कराकर प्रधानमंत्री के सपने को पूरा किया जाए, ताकि स्कूलों में पीने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए बच्चों के लिए पाइप द्वारा पेयजल उपलब्ध हो सके।
राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कार्यान्वयन की प्रगति का आकलन करने के लिए, जल शक्ति मंत्रालय की राष्ट्रीय जल जीवन मिशन टीम द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एक मध्य-वर्ष की समीक्षा की जा रही है, जहां राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन के प्रावधान के साथ-साथ संस्थागत तंत्र और व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए आगे का रास्ता तैयार किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर ने आज केंद्र शासित प्रदेश में जेजेएम के कार्यान्वयन पर अपनी प्रगति प्रस्तुत की।
केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 18.17 लाख परिवार हैं, जिनमें से 8.38 लाख (46 प्रतिशत) परिवारों को पहले से ही नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध हैं। इस वित्तीय वर्ष के लिए जेजेएम के तहत केंद्रीय हिस्से के रूप में केन्द्र शासित प्रदेश को 681.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। केन्द्र शासित प्रदेश भौतिक और वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त आवंटन के लिए पात्र है। केन्द्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय लक्ष्य 2023-24 से पहले ही दिसंबर 2022 तक शत-प्रतिशत कवरेज की योजना बना रहा है। ऐसा करने से, जम्मू-कश्मीर हर ग्रामीण घर को नल कनेक्शन प्रदान करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने में एक प्रमुख उदाहरण बन जाएगा।
जम्मू-कश्मीर ने 4,038 गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना (वीएपी) को अंतिम रूप दिया है। वीएपी में स्रोत को मजबूत करने, पानी की आपूर्ति, जल प्रबंधन तथा संचालन एवं रख-रखाव जैसे घटक शामिल हैं। स्रोत के सुदृढ़ीकरण, जल संचयन, जल संचयन, जल शोधन, जल उपचार और जल प्रबंधन इत्यादि के लिए निम्नतम स्तर अर्थात ग्राम/ग्राम पंचायत में अभिसरण योजना के लिए, महात्मा गांधी नरेगा से प्राप्त संसाधनों, पंचायती राज संस्थाओं के लिए 15वें वित्त आयोग से अनुदान, एसबीएम (जी), कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर), स्थानीय क्षेत्र विकास निधि आदि का विवेकपूर्ण इस्तेमाल किया जा सकता है।
ग्राम जल और स्वच्छता समितियों के गठन पर जोर दिया गया ताकि स्थानीय ग्रामीण समुदाय/ग्राम पंचायतों और या इसके उप-समिति/उपयोगकर्ता समूहों को ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति प्रणालियों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने, गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना बनाने, इनके कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव में शामिल किया जा सके। केन्द्र शासित प्रदेश को ग्राम पंचायत के अधिकारियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों के क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने और गांव स्तर पर प्रशिक्षित मानव संसाधनों का एक पूल बनाने के लिए गांवों में कौशल विकास प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया, जो पानी की आपूर्ति प्रणालियों के संचालन एवं प्रबंधन में भी बहुत सहायक होगा।