देहरादून: मंगलवार को न्यू कैंट रोड़ स्थित सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखण्ड मेंटरशिप प्रोग्राम पोर्टल व उत्तराखण्ड ज्ञानकोष पोर्टल को लोकार्पित किया। उन्होंने प्रो0 जेके जोशी की ‘सहज-सरल-सुगम शिक्षण’, डा.मंजू सुंद्रियाल की ‘इको सिस्टम सर्विसेज एंड इट्स मेनस्ट्रीमिंग इन डेवलपमेंट प्लानिंग प्रोसेस’, डा. भावतोष शर्मा की ‘वाटर रिसोर्सेजः मेनेजमेंट एंड ट्रीटमेंट टेक्नोलोजी’, डा. ओमप्रकाश नौटियाल की ‘एनर्जी रिसोर्सेजःडेवलपमेंट, हार्वेसटिंग एंड मेनेजमेंट, डा.ओमप्रकाश नौटियाल, डा.देवेश कुमार, पीयूष जदली व दिनेश कुमार की प्रौद्योगिकी आधारित विज्ञान शिक्षा(ए-व्यू) पुस्तकों का भी विमोचन किया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आज की पीढ़ी में सोचने व समझने की शक्ति बहुत अधिक है। बच्चे बहुत आगे की सोचते हैं। हमें उनकी जिज्ञासा की प्रवृत्ति को बनाए रखना है। यू-सर्क इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहा है। आज लोकार्पित किए गए नोलेज-बैंक पोर्टल प्रशासनिक अधिकारियों, नीति निर्माताओं व छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी हो सकता है। ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है। विज्ञान की तरक्की का माध्यम हो सकता है। इसीलिए नेहरूजी देश में वैज्ञानिक माहौल बनाए जाने के लिए सदैव प्रयासरत रहे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने यूसर्क के मेंटरशिप पोर्टल की प्रशंसा करते हुए कहा कि दुनिया में मौजूद ज्ञान को बच्चों तक पहुंचाना जरूरी है। मेटरशिप पोर्टल से नोलेज शेयरिंग सम्भव है। दीप से ही दीप जलता है। ज्ञान की धारा इसी प्रकार प्रवाहित होती है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने सचिव विज्ञान व प्रौद्योगिकी को निर्देशित किया कि यूसर्क को सरकार का समर्थन मिलता रहे। यूसर्क के मेंटरशिप प्रोग्राम व नोलेज बैंक को सरकार के फ्लेगशिप कार्यक्रम के तौर पर लिया जाएगा। अगले वर्ष इसे बजट में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं व प्रबुद्ध शिक्षकों की नेटवर्किंग तैयार हो जाए तो एक मूवमेंट चल पड़ेगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारे पास फोकस्ड तथ्यों व अध्ययनों का अभाव है। समुचित प्लानिंग के लिए जरूरी है कि क्षेत्र विशेष पर आधारित तथ्य हमारे पास मौजूद हों। इसमें भी यू सर्क सहायता कर सकता है। आधुनिक ज्ञान के साथ हमारे पारम्परिक ज्ञान का भी अध्ययन किया जाना चाहिए। पारम्परिक ज्ञान को एक जगह जुटाया जाए।
यूसर्क के निदेशक दुर्गेश पंत ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखण्ड नोलेज बैंक पोर्टल सभी के लिए ज्ञान का द्वार है। इसमें दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले छात्र-छात्राओं को भी आवश्यक ज्ञान व तथ्य तुरंत उपलब्ध हो सकेंगे। इससे उत्तराखण्ड के बच्चों में आत्मविश्वास, ज्ञान व केरियर के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड मेंटरशिप प्रोग्राम वन टू वन सम्बंध दर्शाता है। ज्ञानदाता को परामर्शक(मेंटर) व रिसीवर को परामर्शी(मेंटी) कहा जाता है। परामर्शक व परामर्शी का रिश्ता वन टू वन का होगा। इस कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों को विभिन्न विषयों के परामर्शकों से जोड़ा जाएगा। परामर्शी किसी भी स्ट्रीम के हो सकते हैं। परामर्शक, प्रतिष्ठित शिक्षाविद, वैज्ञानिक विषय विशेषज्ञ होंगे। परामर्शक इस प्रोग्राम से स्वेच्छा से सम्बद्ध होंगे। परामर्शक व परामशी वेबसाईट mentorship.org.in में अपना पंजीकरण करा सकते हैं।