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जेएनसीएएसआर की प्रोफेसर अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में अंतर्राष्ट्रीय मानद सदस्य के रूप में चयनित

देश-विदेश

नई दिल्ली: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाली स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) में सैद्धांतिक विज्ञान इकाई (टीएसयू) की प्रोफेसर, शोभना नरसिम्हन को अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मानद सदस्य के रूप में चुना गया है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज, उन विद्वानों और नेताओं को सम्मानित करती है जिन्होंने विज्ञान, कला, मानविकी और सार्वजनिक जीवन में खुद को उत्कृष्ट साबित किया है। अंतरराष्ट्रीय मानद सदस्यों की पिछली सूची में, चार्ल्स डार्विन, अल्बर्ट आइंस्टीन और नेल्सन मंडेला जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं।

प्रो. नरसिम्हन जेएनसीएएसआर में कम्प्यूटेशनल नैनोसाइंस ग्रुप की प्रमुख हैं। उन्होंने नैनोमैटेरियल्स के तर्कसंगत डिजाइन पर महत्वपूर्ण काम किया है, यह जांच करते हुए कि कैसे आयाम में कमी लाने और आकार को छोटा करने से भौतिक गुणों पर प्रभाव पड़ता है। उनका काम कई अलग-अलग प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए प्रासंगिक रहा है, जैसे स्वच्छ ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए नैनोकैटेलिस्ट्स और स्मृति भंडारण के लिए चुंबकीय सामग्री।

उसके ग्रुप ने  पूर्वानुमान लगाया है कि ऑक्साइड अधःस्तर पर जमा सोने के नैनोकणों की मॉर्फोलॉजी और प्रतिक्रियाशीलता को इलेक्ट्रॉन दाताओं या स्वीकारकर्ताओं के समर्थन से डोपिंग के द्वारा समायोजित किया जा सकता है।

प्रो. नरसिम्हन भारत और विदेशों में, एसटीईएम में महिलाओं को बढ़ावा देने में भी बहुत सक्रिय रही हैं। वह आईयूपीएपी की भौतिकी में महिलाओं के कार्य समूह की सदस्य रह चुकी हैं। 2013 से, वह ट्राएस्टे, इटली और आईसीटीपी-ईएआईएफआर, किगाली, रवांडा के अब्दुस सलाम इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स (आईसीटीपी) में भौतिकी में महिलाओं के लिए कैरियर विकास कार्यशालाओं का सह-आयोजन कर रही हैं।

पुरस्कार और मान्यताएं

वह 2011 में भारत के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की फेलो बनीं और 2010 में स्त्री शक्ति सम्मान विज्ञान पुरस्कार और कर्नाटक सरकार का कल्पना चावला महिला वैज्ञानिक पुरस्कार 2010 भी प्राप्त किया।

प्रो. नरसिम्हन भारत सरकार द्वारा स्थापित दो समितियों की सदस्य भी रही हैं- विज्ञान में महिलाओं पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स और विज्ञान में महिलाओं पर स्थायी समिति, सरकार को सलाह देने के लिए कि कैसे वह महिला वैज्ञानिकों के विषय को बढ़ावा दे सकती है।

वह एशिया और अफ्रीका में क्वांटम एस्प्रेसो समूह के साथ-साथ एशेस्मा (अफ्रीकन स्कूल ऑन इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रक्चर मेथड्स एंड एप्लीकेशन) के द्वारा आयोजित कार्यशालाओं में सॉलिड-स्टेट फिजिक्स और डेंसिटी फंक्शनल थ्योरी पढ़ाने में भी भागीदार रही हैं। वह एशेस्मा की कार्यकारी समिति की सदस्य हैं, और रवांडा के किगाली में आईसीटीपी-ईएआईएफआर (ईस्ट अफ्रीकन इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के वैज्ञानिक परिषद की सदस्य भी हैं।

1996 में जेएनसीएएसआर में शामिल होने से पहले, प्रो. नरसिम्हन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) बॉम्बे से फिजिक्स में परास्नातक और उसके बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से प्रो डेविड वेंडरबिल्ट की देखरेख में फिजिक्स में पीएचडी पूरा किया। वह न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में ब्रुकहेवन नेशनल लैब में और फिर बर्लिन, जर्मनी में मैक्स प्लैंक सोसायटी के फ्रिट्ज हैबर इंस्टीट्यूट में एक पोस्टडॉक्टोरल के रूप में काम किया है। वह पूर्व में सैद्धांतिक विज्ञान इकाई की अध्यक्ष और साथ ही जेएनसीएएसआर में शैक्षणिक मामलों की डीन भी रह चुकी हैं।

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