नई दिल्ली: गृह राज्य मंत्री श्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2014 से गंभीर चोट के अंतर्गत मीडियाकर्मियों पर हमले के आंकड़े इकट्ठे करना शुरू किए हैं। पत्रकारों की हत्या के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 के दौरान मीडियाकर्मियों पर हमले (गंभीर चोट) के अंतर्गत कुल 113 मामले दर्ज किए गए थे और 30 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। श्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने बताया कि गृह मंत्रालय को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से ”पत्रकारों की सुरक्षा” पर कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है और पत्रकारों पर हमले की जांच के लिए विशेष कार्य बल के गठन का कोई प्रस्ताव नहीं है। किसी व्यक्ति को सुरक्षा देने का प्रावधान उस राज्य सरकार की मुख्य जिम्मेदारी है, जिसके क्षेत्राधिकार में आम तौर पर वह व्यक्ति निवास करता है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खतरे के मूल्यांकन के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाती है। पत्रकारों/मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षा प्राप्त करने वालों का अलग से कोई वर्गीकरण नहीं है, हालांकि सुरक्षा कवर के लिए आवेदन देने वालों में पत्रकार/मीडियाकर्मी भी शामिल हैं। पत्रकारों/ मीडियाकर्मियों सहित सभी व्यक्तियों से प्राप्त अभ्यावेदनों को उनके ऊपर खतरे का मूल्यांकन करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को भेज दिया जाता है। उनके ऊपर खतरे के मूल्यांकन के अनुसार सुरक्षा प्रदान करने के लिए संबंधित राज्य सरकरों/पुलिस को उपयुक्त परामर्शी पत्र जारी किए जाते हैं।