नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने शिमला में ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकालों के दौरान जोखिम संवाद’ पर एक दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। श्री नड्डा ने अपने उद्घाटन संबोधन में स्वास्थ्य देखभाल प्रदायगी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य पदाधिकारियेां से अपने संवाद को सरल एवं प्रभावी रखने का आग्रह किया। उद्घाटन समारोह के दौरान हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री विपिन परमार, हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव श्री विनीत चौधरी, डीजीएसएच डॉ. प्रमिला गुप्ता, डब्ल्यूएचओ कंट्री ऑफिस के टीम लीड- एनपीएसपी डॉ. पोलिन हार्वे एवं हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) श्री प्रबोध सक्सेना भी उपस्थित थे।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि देश में रोगों के प्रकोप की रोकथाम एवं नियंत्रण या अंतर्राष्ट्रीय चिंता के सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) के लिए बहु-कोणीय दृष्टिकोण अपनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह ‘अंत: क्षेत्रवार सहयोग एवं विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय को सम्मिलित करता है’। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों के दौरान सार्वजनिक संदेशों का गलत सम्प्रेषण या गलत व्याख्या का बचाव एवं नियंत्रण संबंधी कार्य नीतियों पर काफी अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
तैयारियों पर जोर देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कई रोगों में एक राज्य से दूसरे राज्य तक फैलने का खतरा होता है। उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य मंत्रालय नियमित रूप से नैदानिक किट्स, दवाओं, परीक्षण प्रयोगशालाओं, श्रम शक्ति निधियों की उपलब्धता एवं जागरूकता कार्यकलापों के लिहाज से देश में मच्छर जनित रोगों को प्रबंधित करने के लिए राज्यों के साथ उनकी तैयारी की निगरानी करने एवं समीक्षा करने के लिए आपसी सम्पर्क बनाता रहा है।
इस दो दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला में सरकार के विभिन्न विभागों के 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इसका आयोजन संयुक्त रूप से राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), दिल्ली एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किया गया।