नई दिल्ली: मुकदमेबाजी एक कर अनुकूल व्यवस्था के लिए मुसीबत है। लंबित मुकदमेबाजी में कमी सुनिश्चित करने के उद्देश्य
से प्रत्यक्ष कर विवाद निपटान योजना, 2016 गत 1 जून, 2016 से प्रभावी हो चुकी है और इससे 31 दिसंबर, 2016 तक लाभ उठाया जा सकता है। यह योजना उन मामलों के लिए मान्य है जो 29 फरवरी, 2016 तक प्रथम अपीलीय प्राधिकारी [अर्थात सीआईटी (ए)] के पास लंबित थे। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा। यह विभिन्न स्तरों पर पिछली तारीख से संशोधन के कारण मुकदमेबाजी वाले लंबित मामलों के लिए भी मान्य है।
योजना के तहत, यदि विवादित कर की राशि है
10 लाख रुपये तक, तो ब्याज सहित आकलित कर का भुगतान किए जाने की स्थिति में जुर्माना लगाने और अभियोजन कार्रवाई शुरू करने से पूरी छूट दी जाएगी।
10 लाख रुपये से अधिक, तो घोषणा करने वाले को देय टैक्स और ब्याज के साथ लगाए जाने वाले न्यूनतम जुर्माने के केवल 25 फीसदी का ही भुगतान करना होगा।
जुर्माने से जुड़ी अपील के संबंध में, घोषणा करने वाले को लगाई गई पेनाल्टी के 75 फीसदी की छूट के साथ-साथ अभियोजन से उन्मुक्ति मिलेगी। निर्दिष्ट कर के संबंध में, घोषणा करने वाले को जुर्माना लगाए जाने से पूरी छूट/उन्मुक्ति के साथ–साथ अभियोजन से भी उन्मुक्ति मिलेगी।
सर्कुलर का पूरा पाठ विभाग की वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध है।