सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशएवं सर्वोच्च न्यायालयकी ई-समितिके अध्यक्षडॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने 9 अप्रैल, 2021(शुक्रवार) को एक आभासी कार्यक्रम के माध्यम सेपिछले निर्णयों एवं आदेशों को खोजने के उद्देश्य से एक जजमेन्ट्स एंड ऑर्डर्स पोर्टलऔरअदालत के दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दाखिल करने की अनुमति देने के उद्देश्य से एक ई-फाइलिंग 3.0 मॉड्यूल का उद्घाटन किया। न्याय विभाग के सचिव श्री बरुन मित्रा; विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश; नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटरकी महानिदेशकडॉ. नीता वर्माऔर सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के सदस्योंसहित कई गणमान्य व्यक्तिआभासी माध्यम से इस आयोजन में शामिल हुए। पुणे स्थित ई-कोर्ट परियोजना टीम द्वारा विकसित इस पहल का उद्देश्य कानून प्रणाली को मजबूत बनाना है।
यह जजमेन्ट्स एंड ऑर्डर्स सर्चपोर्टलदेश के विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा सुनाए गए निर्णयों का एक भंडार (रिपॉजिटरी) है। यह पोर्टल खोज के विभिन्न मानदंडों के आधार पर निर्णयोंऔर अंतिम आदेशों को खोजने की सुविधा प्रदान करता है। इस पोर्टल की मुख्य विशेषताएं हैं:
- फ्री टेक्स्ट सर्चकिसी उपयोगकर्ता को कोई भी कीवर्ड या कई कीवर्ड के संयोजन के आधार पर निर्णयोंको खोज लेने की सुविधा देता है।
- उपयोगकर्ता बेंच, मुकदमे के प्रकार, मुकदमा संख्या, वर्ष, याचिकाकर्ता / प्रतिवादी का नाम, न्यायाधीश का नाम, अधिनियम, धारा, निपटारेकी प्रकृति और निर्णय की तिथि जैसे विभिन्न मानदंडों के आधार पर भी निर्णयोंको खोज सकते हैं। खोज के कई विकल्पों का संयोजन उपयोगकर्ताओं को वांछित परिणाम प्राप्त करने में सहायता करता है।
- एम्बेडेड फ़िल्टरिंग की सुविधा उपलब्ध परिणामों को और आगे फ़िल्टर करने की अनुमति देती है और इस प्रकार खोज की गुणवत्ता को बढ़ाती है।
इस पोर्टल के बारे में बोलते हुए,न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नेकहा कि आज इस जजमेंटसर्च पोर्टल में 38 मिलियन मामलों के आंकड़े उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि “हमारे पास 106 मिलियन मामलों के आंकड़े हैं,जिन्हें निपटाया जा रहा है और कुल 141 मिलियन आदेशउपलब्ध हैं। आंकड़ों के इस विशाल भंडार के रहते, क्यों न हम लोगों को एक फ्री सर्च इंजन प्रदान करें।”
ई-फाइलिंग 3.0 मॉड्यूल, जिसे सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति द्वारा पेश किया गया है, अदालत के दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दाखिल करने की सुविधा देता है। इस नए मॉड्यूल की शुरुआत से वकीलों या क्लाइंटों को मुकदमा दायर करने के लिए अदालत परिसर में जाने की जरूरत नहीं होगी। दस्तावेजों को दाखिल करने की प्रक्रिया तब भी संभव हो सकती है जब अदालत, क्लाइंट और वकील तीन अलग-अलग स्थानों पर हों।सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं ई-समिति के अध्यक्ष डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ नेइस ई-फाइलिंग मॉड्यूल का अनावरण करते हुए कहा कि “वकील अपने कार्यालय में बैठकर बिना कोई भागदौड़ किएइससंपूर्णप्रक्रिया कोपूरा कर सकते हैं। और इस परियोजना प्रणाली को 6 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है।”इस ई-फाइलिंग पोर्टल का उद्देश्य वकीलों के काम में निम्नलिखित तरीके से सहायता करना है:
- ड्राफ्टिंग के लिए रेडीमेड टेम्पलेट प्रदान करना। ये टेम्प्लेट वकीलों को जल्दी से अपनी दलीलों को प्रस्तुत करने में मदद कर सकते हैं। इन दलीलों को अपलोड और उन क्लाइंटों के साथ साझा किया जा सकता है, जो अपने घरों में बैठकर ई-साइन कर सकते हैं।
- यह नया मॉड्यूल एक वादी को दस्तावेज जमा करते समयअपना शपथ वीडियो रिकॉर्ड करने की सुविधा देगा।
- यह पोर्टल वकीलों को अपने सहयोगियों और जूनियर्स को साझेदार के रूप में जोड़ने देगा और उन सभी को सामूहिक रूप से एक मामले पर काम करने की सुविधा देगा।
- यह पोर्टल एक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और केस प्लानर टूल प्रदान करेगा, जो संबंधित मामलों की प्रगति का जायजा लेने में मदद करेगा।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि “उदाहरण के लिए, एक बैंक मैनेजर आगरा में रहता है, उनका वकील लखनऊ में है, लेकिन मुकदमा गोरखपुर में दायर किया जाना है। ये तीनों ई-फाइलिंग 3.0 मॉड्यूल पर आपस में सहयोग कर सकते हैं,जिसे एनआईसी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया जा रहा है कि वे आपस में सहयोग और अपने मामले का प्रतिनिधित्व कर सकें।”