राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) नई दिल्ली ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों की वीरता की कहानियों का प्रतिनिधित्व करते हुए लगभग 750 मीटर की नामावली पेंटिंग के लिए कला कुंभ कलाकार कार्यशालाओं के साथ आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया। संस्कृति मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच अद्वितीय सहयोग से विशाल नामावली पर किए गए कला के कार्य गणतंत्र दिवस समारोह 2022 का एक अभिन्न अंग होंगे। नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के महानिदेशक श्री अद्वैत गरनायक ने आज नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी।
मीडिया से बात करते हुए श्री अद्वैत गरनायक ने कहा कि ये नामावली देश के विविध भौगोलिक स्थानों से कला के विभिन्न रूपों के साथ राष्ट्रीय गौरव और उत्कृष्टता को व्यक्त करने के साधन के रूप में कला की क्षमता का विश्लेषण करते हैं। उन्होंने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के सच्चे सार का उत्सव इन कार्यशालाओं में दिखाई दिया, जहां भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीर जीवन और संघर्षों को चित्रित करते हुए हमारी सांस्कृतिक पहलुओं में हमारे देश की समृद्ध विविधता देखी गई। दो स्थानों ओडिशा और चंडीगढ़ में फैले पांच सौ से अधिक कलाकारों द्वारा परिश्रमपूर्वक शोध किया गया और उत्साहपूर्वक उसे चित्रित किया गया।
श्री गरनायक ने कहा कि नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली ने भारत में एकता और विविधता के वास्तविक सार का प्रतिनिधित्व करने के लिए देश के विभिन्न प्रकार के दृश्य और प्रदर्शन कलाओं को मिलाने के उद्देश्य से इन कार्यशालाओं का आयोजन किया है। मेरा मानना है कि राजपथ पर प्रदर्शित होने वाली विशाल नामावली भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के इतिहास में गहराई से जाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति की रुचि को आकर्षित करेंगे और भारत के आधुनिक, स्वदेशी और समकालीन कलाओं के एकीकृत दृश्य पहलुओं की ओर भी ध्यान खीचेंगे।
श्री गरनायक ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम के अनुरूप इन कार्यशालाओं में सहयोग और सामूहिक कार्य की पहलुओं को रेखांकित किया गया है। नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली ने ओडिशा में 11 से 17 दिसंबर तक भुवनेश्वर में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सिलिकॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और चंडीगढ़ में 25 दिसंबर 2021 से 2 जनवरी 2022 तक चितकारा विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम किया।
कलाकुंभ आजादी का अमृत महोत्सव विविधता में एकता के सार को दर्शाता है साथ ही प्रगतिशील भारत के 75 साल और लोगों, संस्कृति और इसकी उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिए भारत सरकार की पहल का विश्लेषण भी करता है। इन कार्यशालाओं में चित्रित नामावली को उन सभी की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है जो भारत की सामाजिक सांस्कृतिक पहचान के बारे में प्रगतिशील हैं, जिसे एनजीएमए के महानिदेशक श्री अद्वैत गरनायक की कलात्मक दृष्टि और प्रख्यात वरिष्ठ कलाकारों द्वारा दी गई सलाह के अनुसार बड़े पैमाने पर नामावली में प्रमुखता दी गई है।
लगभग सात सौ पचास मीटर की दस विशाल नामावली भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की वीरता और विरासत की कहानियों को चित्रित करते हैं। भारत के संविधान में रचनात्मक दृष्टांतों से भी प्रेरणा ली गई है, जिसमें नंदलाल बोस तथा उनकी टीम द्वारा चित्रित कलात्मक तत्वों ने भारत की स्वदेशी कलाओं के कई प्रतिनिधित्वों के साथ एक विशिष्ट स्थान प्रदान किया है। ये भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए गुमनाम नायकों द्वारा किए गए संघर्षों की पूरी पहचान के साथ-साथ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व और प्रदर्शन करते हैं।
भुवनेश्वर में आयोजित कलाकुंभ में चित्रित की गई नामावली में उड़ीसा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्रों को चित्रित किया गया है, जिसमें उनकी वीरता और संघर्ष की कहानी को दर्शाया गया है। इसके साथ ही कलाकारों ने यहां पटचित्र, तलपात्र चित्र, मंजुसा, जादुपतुआ और मधुबनी कला का चित्रण किया।
चंडीगढ़ में चित्रित की गई नामावली में लद्दाख, जम्मू, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को दर्शाया गया है। इसके साथ ही कलाकारों ने कला के स्वदेशी रूपों जैसे फड़, पिचवई, लघु, कलमकारी, मंदाना, थंगका और वारली को दर्शाती कलात्मक अभिव्यक्तियां दीं।
भुवनेश्वर और चंडीगढ़ दोनों ही स्थानों पर आयोजित कला कुंभ बहुत सफल रहे, आमलोग और छात्र कलाकारों द्वारा बनाई गई विशाल नामावली को देखने पहुंचे। चंडीगढ़ में एनसीसी कैडेटों ने भी कला कुंभ में हिस्सा लिया और चित्र भी बनाए इसके साथ साथ देश भर से आए हुए कलाकारों से चित्रकारी की बारीकियां भी जानी। चंडीगढ़ में कलाकुंभ-आजादी का अमृत महोत्सव के समापन समारोह में पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित चंडीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारी लाल पुरोहित और भुवनेश्वर में माननीय सांसद और केआईआईटी और केआईएसएस के संस्थापक डॉ अच्युत्य सामंत उपस्थित थे। कई अन्य गणमान्य लोगों ने भी कार्यशालाओं में जाकर नामावली में बहुत रुचि दिखाई। इन कार्यशालाओं के दौरान शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई, जो पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र और उत्तरी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से भारत की लोक और स्वदेशी प्रदर्शन कलाओं की समृद्ध परंपराओं को दर्शाती है।
इन नामावली में हमारे देश की विभिन्न कला एवं संस्कृति की समृद्धता और क्षमता के माध्यम से हमारे राष्ट्रीय गौरव और उत्कृष्टता को दिखाया गया है। इन कार्यशालाओं में एक भारत श्रेष्ठ भारत का विचार सही मायने में चरितार्थ होते दिखा जहां हमारे देश के विभिन्न हिस्सों से संबंधित आजादी के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को चित्रित किया गया और साथ ही साथ हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी इन चित्रों में दर्शाया गया।
अगले चरण में इन नामावली को गणतंत्र दिवस, 2022 उत्सव के लिए राजपथ पर कलात्मक रूप से रखा जाएगा। नामावली सभी लोगों के लिए खुली गैलरी के रूप में काम करेगा और इसका उद्देश्य लोगों को समृद्ध राष्ट्रीय विरासत और भारत की विरासत के बारे में सही मायने में प्रेरित करना है।
चंडीगढ़ में आयोजित कला-कुंभ में भाग लेने वाले कलाकारों के विवरण के लिए यहां क्लिक करें
भुवनेश्वर में आयोजित कला-कुंभ में भाग लेने वाले कलाकारों के विवरण के लिए यहां क्लिक करें