कठुआ, उन्नाव और सूरत सहित देशभर से आ रही दुष्कर्म की खबरों ने देश में गुस्से का माहौल पैदा कर दिया। इन घटनाओं के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 16 दिसंबर 2012 में दिल्ली की ‘निर्भया’ के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म के बाद संभवत: पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे हैं। वहीं आज से कठुआ बलात्कार, हत्या मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू होगी।
Hearing in Kathua rape and murder case to take place today at the court of the Chief Judicial Magistrate #JammuAndKashmir pic.twitter.com/7NFc8F1YMM
— ANI (@ANI) April 16, 2018
कठुआ बलात्कार, हत्या मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ सुनवाई आज से शुरू होगी। आरोपियों में एक नाबालिग भी शामिल है। अधिकारियों ने कहा कि कठुआ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानून के अनुसार, एक आरोप पत्र को सुनवाई के लिए सत्र अदालत के पास भेजेंगे जिसमें सात लोग नामजद हैं। हालांकि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नाबालिग के खिलाफ सुनवाई करेंगे, क्योंकि किशोर कानून के तहत यह विशेष अदालत है।
जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस संवेदनशील मामले में सुनवाई के लिए दो विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की है और दोनों ही सिख हैं। इसे इस मामले में हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को देखते हुए ‘तटस्थता’ सुनिश्चित करने का प्रयास माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अप्रैल को जम्मू बार एसोसिएशन तथा कठुआ बार एसोसिएशन को आड़े हाथ लिए जाने के बाद अब सुनवाई सुचारू ढंग से चलने की उम्मीद है।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ वकीलों द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। अपराध शाखा द्वारा दायर आरोप पत्रों के अनुसार, बकरवाल समुदाय की लड़की का अपहरण, बलात्कार और हत्या एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी ताकि इस अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को इलाके से हटाया जा सके।
इसमें कठुआ के एक छोटे गांव के एक मंदिर के रखरखाव करने वाले को इस अपराध का मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। सांझीराम ने कथित रूप से विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा, मित्र प्रवेश, कुमार उर्फ मन्नु, राम का भतीजा एक नाबालिग और उसका बेटा विशाल उर्फ ‘शम्मा’ के साथ मिलकर अपराध को अंजाम दिया।
इस मामले में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पीड़ित परिवार को 90 दिनों के अंदर न्याय दिलाने की हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश से वकालत की है। ऊधर पीड़िता का केस लड़ रही महिला वकील दीपिका सिंह राजावत ने मामले की जांच राज्य से बाहर करवाने की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की भी बात कही है।
दीपिका ने आशंका जताई है कि राज्य में मामले की सुनवाई से पीड़िता को न्याय नहीं मिल सकता। इससे पहले भी दीपिका ने जम्मू बार एसोसिएशन के प्रधान बीएस सलाथिया पर यह आरोप लगाया था कि उन्हें इस मामले की पैरवी से पीछे हटने की धमकियां मिल रही हैं, लेकिन सलाथिया ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। दीपिका का कहना है कि उनकी जान को खतरा है, उन्हें लगता है कि उनका भी बलात्कार या हत्या की जा सकती है।
देशभर में आक्रोश
दोषियों को सख्त सजा देने और देश में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की मांग को लेकर चंडीगढ़, बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरम, दिल्ली, पणजी सहित पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए। मुंबई में विरोध प्रदर्शन का केंद्र कार्टर रोड रहा। इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन बॉलीवुड की कई हस्तियों ने भी किया। गायक और संगीतकार विशाल दडलानी ने लोगों से अपील की कि धर्म के नाम पर विभाजित करने वाली शक्तियों के झांसे में नहीं आएं। उन्होंने इस तरह के मामलों में त्वरित न्याय की मांग की।
बेंगलुरु के रिचमंड टाउन इलाके में लोगों ने मानव शृंखला बनाकर सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं का विरोध किया। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में भी लोगों ने न्याय दो और भारत को सुरक्षित बनाओं नारों वाली तख्तियों के साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
दिल्ली में संसद मार्ग रहा केंद्र : दिल्ली में दोषियों को सजा दिलाने और महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर संसद मार्ग पर बड़ी संख्या में लोगों ने मार्च निकाला। इसमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने कठुआ और उन्नाव कांड के दोषियों को कथित तौर पर बचाने की कोशिश करने वालों पर भी कार्रवाई की मांग की।
बलात्कार की घटनाओं ने एक बार फिर से इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। इस घटना से ना सिर्फ आम लोग का गुस्सा फूटा है बल्कि कई फिल्मी सितारों ने भी सोशल मीडिया के जरिए अपने गुस्से का इजहार किया है।
बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने हमेशा की तरह इस मामले में नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा समाज के नाम पर हम फिर फेल हो गए। इस केस में जैसे-जैसे सनसनीखेज़ खुलासे सामने आ रहे हैं, कोई ? कैसे आपे में रह सकता है। उसका मासूम चेहरा मेरी नजरों से हट नहीं रहा है। इंसाफ तुरंत और कठोर होना चाहिए।
प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि आसिफा की तरह ऐसे कितने बच्चे होंगे जिनकी राजनीति और धर्म के नाम पर बलि दी जाएगी। हमारे जागने से पहने ना जाने कितने बच्चे होंगे जिन्हें ऐसे अपराधों का सामना करना पड़ा होगा।
पंजाबी गायक मीका सिंह ने कहा, ‘मुङो लगता है कि आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। हमारी समस्या है कि हम चार से पांच दिनों में इस तरह की घटनाओं को भूल जाते हैं।’
जावेद अख्तर ने कहा कि कौन सी आसिफा ? वह एक बकरेवाले की 8 साल की बच्ची थी। बकरेवाले कौन हैं? यह एक बंजारा जाति है, जिसने जब कारगिल में घुसपैठिये देखे तो तुरंत आर्मी को सूचना दी। जो लोग बलात्कारियों के बचाव में खड़े हो रहे हैं, अब इस जवाब को देने की बारी आपकी है।
वैसे तो जल्लाद का काम कोई नहीं करना चाहता है, लेकिन बच्चियों के बलात्कारियों और हत्यारों की सजा-ए-मौत के लिए मैं ये काम करने को तैयार हूं। मैं शांत रहने की भरसक कोशिश करता हूं, लेकिन जब देश में ऐसी घटनाएं होती हैं तो मेरा ख़ून खौल उठता है।’ – आनंद म¨हद्रा, उद्योगपति
दुष्कर्म एक जघन्य अपराध है, आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। मैं एक हिन्दुस्तानी हूं और इस देश में इस तरह की घटनाओं से शर्मिदा हूं।’-कोइना मित्र, अभिनेत्री
कठुआ की नाबालिग आठ साल की बच्ची को इंसाफ दिलाने के लिए करीना कपूर खान का ट्वीट ट्रॉल हुआ। करीना ने ट्वीट किया, ‘मैं हिन्दुस्तान हूं, मैं शर्मिदा हूं..’ जस्टिसफॉरचाइल्ड, कठुआ।
इस पर एक यूजर ने लिखा, ‘इन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए।’ इसके बाद उसने करीना की शादी और बेटे के नाम को लेकर भी टिप्पणियां कीं। इस पर स्वरा भास्कर ने जवाब देते हुए लिखा कि ‘आपको शर्म आनी चाहिए कि आप इस दुनिया में हैं। शर्म आनी चाहिए कि भगवान ने आपको ऐसा दिमाग दिया है जो कि नफरत से भरा है और ऐसा मुंह दिया है जो गंदगी से भरा है। तुम भारत और हिन्दुओं के लिए शर्म हो।’
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने कठुआ गैंगरेप मामले को लेकर कुछ ऐसी बातें कही हैं, जो आपको अंदर से झकझोर कर रख देंगी। सोशल मीडिया पर एक वीडियो पर वायरल हो रहा है, जिसमें विराट ने इसे शर्मनाक बताया है। विराट ने कहा कि उन्हें शर्म आती है कि वो ऐसी सोसाइटी का हिस्सा हैं। उन्होंने आगे कहा,‘मेरा बस यही एक सवाल है। ऐसी चीजें होती हैं, हम खड़े होकर देखते हैं और लोगों को लगता है ये सब चलता है और सही है। एक बच्ची के साथ ऐसा होता है और लोग इसका बचाव करने की कोशिश करते हैं, ये भयानक है। ये बहुत डिस्टर्बिग और शॉकिंग है। मुङो शर्म आती है कि मैं ऐसी सोसाइटी का हिस्सा हूं।’
भले देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा हो। लेकिन सभी एक सुर में दोषियों के लिए फांसी की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में त्वरित फैसला होना चाहिए।
स्वाति अनशन पर बैठीं
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर दिल्ली के राजघाट पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी लोगों से अपील की है कि वे राजघाट जाकर मालीवाल का समर्थन करें।
बच्चियों से बलात्कार पर मौत की सजा हो- एनसीपीसीआर
कठुआ और देश के कुछ दूसरे हिस्सों में बच्चियों के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाओं की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने ऐसे जघन्य मामलों में मौत की सजा की पैरवी की है। साथ ही आयोग ने कहा है कि इसके लिए पॉक्सो कानून में जरूरी संशोधन होना चाहिए।पॉक्सो कानून के क्रियान्वयन की निगरानी करने वाली संस्था ने यह भी कहा कि विशेष दर्जे वाले जम्मू-कश्मीर राज्य में भी पॉक्सो या इस तरह का कोई दूसरा कानून लागू होना चाहिए।
एनसीपीसीआर के सदस्य (पॉक्सो कानून एवं किशोर न्याय कानून) यशवंत जैन ने कहा, ‘कठुआ मामले और इस तरह की कुछ दूसरी घटनाओं की वजह से ऐसे जघन्य मामलों में मृत्यदंड की मांग फिर से उठ रही है। आयोग इसके पक्ष में है। इसके लिए पॉक्सो कानून में संशोधन करना पड़ेगा।’उन्होंने कहा, ‘सरकार को पहले भी हमने इस बारे में अवगत कराया था कि हम ऐसे जघन्य मामलों में मौत की सजा के पक्ष में हैं। अगर सरकार आगे हमसे कोई राय मांगती है तो हम फिर से अपनी यही बात रखेंगे।’
कठुआ की घटना पर उपजे जनाक्रोश के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार की घटनाओं में मौत की सजा का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में पॉक्सो कानून में संशोधन के लिए मंत्रलय प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
गौरतलब है कि बाल यौन अपराध विरोधी कानून पॉक्सो के तहत अभी जघन्य मामलों में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या की भयावह घटना की जांच के लिए एक शख्स ने बीते बुधवार को एनसीपीसीआर को शिकायत भेजी थी। आयोग ने इसे जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को भेज दिया। विशेष दर्जे के कारण यह राज्य आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। (Hindustan)