मुंबई: न फिल्में देखती हैं, न गाने सुनती हैं। मुंशी प्रेमचंद का नाम तो पता था लेकिन उनकी रचनाओं से किसी भी तरह का कोई वास्ता न था। नीलगाय को नीलगाय क्यों कहते हैं उस तर्क से भी अनजान थीं। जानकारी तो इस बात की भी नहीं थी कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हरसिम्रत कौर नहीं बल्कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार सांसद चुने गए हैं। फिर भी हरियाणा के रोहतक की रहने वाली रेखा देवी ने देश के लोकप्रिय शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में एक के बाद एक सही जवाब देकर 12.5 लाख रुपये जीत गईं। लेकिन हमारे मन में कई सवाल छोड़ गईं जिनसे अब हम ‘न्यू इंडिया’ वालों को जूझना है…
खाने में नमक डालने वाले अंदाज को केबीसी के सवालों पर आजमाया आज भी गांवों के अधिकतर घरों में खाना पकाते वक्त चीनी, नमक, मसाले जैसी चीजें टेबलस्पून में नापकर नहीं, बस अंदाजा बैठाकर बर्तन में डाला जाता है। लेकिन अंदाज तभी सटीक बैठता है जब आप अनुभवी हों। रेखा देवी ने जिस तरह नीलगाय और चंद्रकांता वाले सवाल का सही जवाब दिया, उसे अंधेरे में तीर मारना कहना बेईमानी होगी। अनुभव से बड़ा कोई शिक्षक नहीं होता। वह सबक तो देता है पर डिग्री नहीं। हम साक्षरता पर जोर देते हैं, विचारों और बुद्धिमता पर नहीं।
पति से छुपकर केबीसी को भेजना पड़ा था एसएमएस रेखा देवी गृहणी हैं। पिछले 17 सालों से एक ख्वाहिश मन में जगा रखी थी कि अमिताभ बच्चन को देखना है, उनके साथ सेल्फी लेनी है। इसी आस में उन्होंने शो का कंटेस्टेंट बनने की ठानी और रजिस्ट्रेशन के लिए एसएमएस भेज दिया। दुख की बात यह कि इस बात को भी उन्हें पति से छुपाना पड़ा ताकि वो नाराज न हो जाएं। मेट्रो शहर की महिलाओं के लिए ऐसा कुछ करना सामान्य हो सकता है लेकिन रेखा देवी जैसी महिलाओं के लिए नहीं।
‘हाउसवाइफ’ से ‘होममेकर’ बनने के लिए लंबा सफर तय करना होगा… अमिताभ बच्चन के पूछने पर अपनी दिनचर्या बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सुबह सूरज के निकलने से पहले ही हो जाती है। लेकिन एक पांव पर खड़े रहकर घरवालों और पालतू जानवरों के लिए खाना तैयार करना, साफ-सफाई करना और सबकी जरूरतों का ख्याल रखना काम कहां कहलाता है जनाब। काम तो इनके मियां जी करते हैं, तभी तो सुबह 10 बजे से पहले इनकी थकान मिट नहीं पाती।
गांव और छोटे शहर की महिलाओं में होती है ‘आंट्रेप्रेन्योरशिप एबिलिटी’ और ‘क्रियेटिविटी’ रेखा देवी से जब अमिताभ बच्चन ने पूछा कि वह शो में जीती गई रकम से क्या करेंगी तो उन्होंने बताया कि वह बूटीक खोलना चाहती हैं। यह भी बताया कि वह गांव की बाकी महिलाओं को मुफ्त में सिलाई-कढ़ाई की शिक्षा देती हैं ताकी वे भी स्वावलंबी बन सकें और घर की चारदीवारी के अंदर ही सही लेकिन अपने पैरों पर खड़ा हो सकें, पैसे और इज्जत कमा सकें।
‘काबिल’ पुरुष ना कर पाए मदद रेखा देवी को भले ही राजनीति की समझ नहीं लेकिन उन्हें अपनी मिट्टी के बारे में सब पता है। उन्हें पता है कि भारतीय राजनीति में ‘ताऊ’ किसे कहते हैं और फोगट बहनों ने किस खेल में झंडे गाड़े हैं। माना कि उन्हें नहीं पता कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार सांसद बने हैं। लेकिन उनके काबिल पति और बेटे के पढ़े-लिखे दोस्तों को भी कहां इस सवाल का जवाब पता था। 3.20 लाख तक के पड़ाव तक पहुंचने के लिए जहां रेखा देवी ने सिर्फ एक लाइफलाइन का इस्तेमाल किया, वहीं जोड़ीदार की अज्ञानता की वजह से एक ही सवाल में तीन-तीन लाइफलाइन गंवानी पड़ गई। आखिरकार रेखा देवी ने सवाल का जवाब तो दिया लेकिन तुक्का लगाकर। किस्मत से वह सही निकला। कुल मिलाकर, एक पत्नी ने अपने दम पर साढ़े बारह लाख रुपये जीते हैं, तो क्या अब भी वह लख’पति’ ही कहाएंगी!