उत्तर भारत में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है. आंधी-बारिश और बर्फबारी की वजह से केदारनाथ-बद्रीनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है.
केदारनाथ में लगातार हिमपात और बदरीनाथ के रास्ते में लामबगड में बारिश से हुए भूस्खलन के बाद पहाड़ी से गिर रहे बोल्डरों की वजह से दोनों हिमालयी धामों की तीर्थयात्रा मंगलवार को अस्थायी रूप से रोक दी गई है. अधिकारियों का कहना है कि मौसम साफ होते ही यात्रा फिर शुरू हो जाएगी.
कई कांग्रेसी नेता भी फंसे केदारनाथ में
केदारनाथ में सोमवार रात शुरू हुई भारी बर्फबारी मंगलवार सुबह तक जारी रही. इस वजह से प्रशासन ने श्रद्धालुओं को लिंचौली और भीमबली से आगे बढ़ने से रोक दिया.
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि लगातार हिमपात होने से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा और स्थानीय विधायक मनोज रावत समेत आधा दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी नेता भी केदारनाथ धाम में फंस गये हैं.
कांग्रेसी नेताओं के धाम में फंसे होने की बाबत अधिकारी ने कहा कि उन्हें इंतजार करने को कहा गया है. उन्हें हेलिकॉप्टर से वापस आना है, जिसके लिए अभी मौसम ठीक नहीं है.
अपने समर्थकों के साथ पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने रविवार को केदारनाथ के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू की थी. माना जा रहा है कि इसका मकसद भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ ही मंदिर के चारों तरफ बसाई जा रही नगरी केदारपुरी में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर बीजेपी के दावों की सच्चाई को परखना भी है.
मौसम साफ होने का इंतजार
जिलाधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं को मौसम के साफ होने तक लिंचौली और भीमबली जैसे यात्रा पड़ावों पर इंतजार करने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि अभी केदारनाथ धाम में बर्फ की दो-तीन इंच की परत जमी हुई है. हालांकि ये साफ किया गया है कि यात्रा अस्थायी रूप से रोकी गयी है. मौसम सुधरते ही वह दोबारा शुरू हो जाएगी.
रुद्रप्रयाग के अपर जिलाधिकारी ने जिले में दो श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि की है. उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है, ठंड से इसका कोई संबंध नहीं है.
बदरीनाथ के नजदीक लामबगड़ में भारी बारिश की वजह से हुए भूस्खलन के बाद पहाड़ी से बड़े-बड़े पत्थर टूट कर गिर रहे हैं. इस वजह से एहतियातन ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग बंद कर दिया गया है. राजमार्ग बंद होने के चलते यात्रा अस्थायी रूप से रुक गई है. चमोली पुलिस ने बताया कि बारिश और मलबा गिरना कम होते ही मार्ग को यात्रा के लिए फिर से खोल दिया जायेगा. (इनपुट: भाषा)