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परमार्थ का भाव रखते हुए वृक्षारोपण में समाज का प्रत्येक व्यक्ति करे सहयोग: केशव प्रसाद मौर्य

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ग्राम्य विकास विभाग द्वारा 22 जुलाई 2023 को रोपण हेतु लक्षित 10.94 करोड़ पौधों का रोपण अनिवार्य रूप से किया जाना सुनिश्चित किया जाए और वृक्षारोपण के पश्चात रोपित पौधों की जीवन्तता सुनिश्चित करने के ठोस व प्रभावी उपाय किये जांय। उन्होंने कहा है कि पौधों को लगाने से कहीं ज्यादा उन्हें बचाना आवश्यक है, कहा है कि पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार लगातार प्रयत्नशील है आने वाली पीढ़ियों के लिए वृक्ष लगाने और उन्हें बचाने का  हम सब लोग संकल्प लें। उन्होंने अपील की है कि परमार्थ का भाव रखते हुए वृक्षारोपण में समाज का प्रत्येक व्यक्ति सहयोग करे।
उप मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 23-24 में ग्राम्य विकास विभाग का वृक्षारोपण का लक्ष्य 12.77 करोड़ है, जिसकी पूर्ति हमें हर हाल में करना है और 22 जुलाई को 10.77 करोड़ पौधे (लक्ष्य का 85.71 प्रतिशत) विभाग द्वारा  रोपित  किए जाएंगे। इसके लिए व्यापक तैयारियां पहले से ही किए जाने के निर्देशों के क्रम में माइक्रो प्लान बनाते हुए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
उन्होंने निर्देश दिए हैं कि मनरेगा योजनान्तर्गत कृषकों की निजी भूमि पर तथा ग्राम पंचायतों में उपलब्ध सार्वजनिक भूमि, जो विभिन्न संस्थाओं के पास है, उस पर इस तरह वृक्षारोपण किया जाए कि उनकी सुरक्षा व सिंचाई की नियमित व्यवस्था बनी रहे। निर्देश दिए हैं वृक्षारोपण का कार्य अमृत सरोवरों, नदियों, सड़क/नहर के किनारे सार्वजनिक परिसरों यथा शवदाह गृह, खेल मैदान, आंगनवाड़ी केंद्र, शासकीय विद्यालयों, छात्रावास, ग्राम समाज की भूमि, शासकीय सार्वजनिक भवनों की बाउंड्री, सामुदायिक तथा व्यक्तिगत भूमि, मिट्टी के कटान को रोकने हेतु इत्यादि जगहों पर कराया जाना है। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि उच्च गुणवत्ता के बांस तथा छायादार/फलदार/औषधीय वृक्ष प्रजाति के बहुवर्षीय पौधे, जो मनरेगा योजना अंतर्गत अनुमन्य है, का वृक्षारोपण किया जाएगा। यह भी कहा गया है कि डार्क भूजल स्तर वाले क्षेत्रों में जल संचयन मे अधिक उपयोगी प्रजातियों का रोपण प्रोत्साहित किया जाए। महत्वपूर्ण शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने हेतु सघन वन/मियावाकी पद्धति से मूल वन स्थापित किए जाएं। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि रोपित किए गए पौधों की जीवंतता सुनिश्चित करने हेतु रोपण के पश्चात आगामी 2 वर्षों अथवा पौधों के वृक्ष के रूप में स्थापित होने तक सुरक्षा एवं रखरखाव किया जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि वृक्षारोपण हेतु सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों का परिपालन हर हाल में किया जाय।

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