देहरादून: उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग द्वारा वल्र्ड इन्टीग्रिटी के सहयोग से सर्वधर्म के सम्बन्ध में टाॅकिंग फेथ फार पीस(धर्म का मर्म) विषय पर आयोजित होने वाली तीन दिवसीय गोष्ठी के प्रथम दिन उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरेन्द्र जे.एस बिन्द्रा की अध्यक्षता में कार्यक्रम का आयोजन डब्लू आई.सी परिसर राजपुर रोड में किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए मा अध्यक्ष एन.जे.एस बिन्द्रा ने कहा कि इस आयोजन का मकसद सभी धर्मों के प्रति लोगों में सकारात्मक भावना का विकास करना तथा धर्म के बारे में खुले मन से बात करने की जागरूकता हेतु आयोजित किया गया है। उन्होने कहा कि लोग अधिकतर या तो धर्म के बारे में बात करने से कतराते हैं या धर्म के बारें में चर्चा करने पर नकारात्मक भावना से ग्रसित हो जाते हैं। उन्होने कहा कि यह आयोजन धर्म का मर्म पर खुला डिसकसन तथा लोगो को धर्म के बारे में स्वस्थ और खुली चर्चा आयोजित करना इसका मकसद है। उन्होने कहा कि विभिन्न वेशभूषा, वस्त्र धारण करने से धर्म अलग नही होता बल्कि धर्म के मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं किन्तु मकसद सबका एक ही है।।
इस अवसर पर डाॅ पी. सतीश जाॅन ने अपने सम्बोधन में कहा कि सर्वधर्म पर चर्चा का विचार सर्वम फांउडेशन का है तथा उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग के वित्तीय एवं नैतिक सहयोग से डब्लू आई. सी द्वारा संचालित किया जा रहा है। उन्होने कहा कि इसके माध्यम से सभी धर्मों से सम्बन्ध रखने वाले प्रतिनिधि अपने विचारों को खुले तौर पर रखेगें तथा इसका मकसद धर्म की वास्तविकता को जानना तथा लोगों कों इस बारे में जागरूक करना है। उन्होने कहा कि सब जग एक ही चीज से उपजा है तथा उनको उसी चीज में वापस मिलना है, वैसे ही सभी जनमानस का एक ही परमेश्वर है तथा सभी को एक दिन उसी में मिलना है, जिस दिन यह बात जनमानस में बैठ जायेगी उस दिन धर्म को लेकर कोई परेशानी सामने नही आयेगी।
इस अवसर पर मोडिरेटर ऋषि सुरी, प्रतिनिधि हिन्दुज्म हिन्दोल सैन गुप्ता, प्रतिनिधि इस्लाम प्रेसिडेंट नाजिया युसुफ इजुद्दीन, प्रतिनिधि जैनिज्म संजय जैन, प्रतिनिधि सिक्किज्म प्रौ हरबजन सिंह, प्रतिनिधि जुरूस्ट्रीयरिज्म रोशन डलाल, प्रतिनिधि बुद्धिज्म नाॅर्बू वांग्चूक आदि मंचासीन प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर डी.वी.पी.जी कालेज, दून यूनिवर्सिटी, तुलास इन्सिटीट्यूट, वुडस्टाक स्कूल के छात्र/छात्राएं एवं प्रतिनिधि भी उपस्थित थे ।
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