नई दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने नई दिल्ली में अपना 33वां स्थापना दिवस मनाया, जिसकी विषय वस्तु “सेलीब्रेटिंग बायोटेक्नोलॉजी : बिल्डिंग इंडियन एज एन इनोवेशन नेशन” रखी गई थी।
इस अवसर पर केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता (बीआरआईटीई) पुरस्कार प्रदान किए। डॉ. हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य सेवा, फसलों की बेहतर किस्मों, पशु निदान और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी के लिए सस्ते समाधानों का विकास और उनके व्यावसायिकरण द्वारा अनेक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उसका प्रभाव पैदा करने में पिछले 33 वर्षों के दौरान जैव प्रौद्योगिकी विभाग की भूमिका को उजागर किया। उन्होंने क्षमता निर्माण के क्षेत्र, नई जानकारी सृजित करने, समानंतरण अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप प्रणाली को बढ़ावा देने में हुई प्रगति की जानकारी दी।
डॉ. हर्षवर्धन ने स्थापना दिवस समारोह में प्रमुख मिशनों की घोषणा की, जिनमें अटल जय अनुसंधान, बायोटैक मिशन-राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक प्रौद्योगिकी नवोन्मेष उपक्रम (यूएनएटीआई) शामिल है, जिसके अगले पांच वर्ष के दौरान स्वास्थ्य, कृषि और ऊर्जा के क्षेत्रों में बदलाव की उम्मीद है। इस मिशन में जीएआरबीएच-आईएनआई भी शामिल है। यह मिशन मां और बच्चे के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और समय से पूर्व जन्म के लिए भविष्यवाणी करने वाले साधनों को विकसित करने संबंधी है, आईएनडीसीईपीआई- यह मिशन स्थानीय बीमारियों के लिए सस्ते टीके विकसित करने के लिए है, बायोफोर्टिफाइड और प्रोटीन समृद्ध गेहूं का विकास-पोषण अभियान में योगदान शामिल है।
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि विभाग ने हाल ही में विभिन्न संस्थानों में कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना की है और कौशल विज्ञान कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के साथ सहयोग किया है, जिसका उद्देश्य प्रविष्टि के स्तर पर छात्रों के लिए जैव प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में उपकरणों और तकनीक में प्रशिक्षित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले हाथ प्रदान करना है। इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने डीबीटी क्रियाकलापों के बारे में एक लघु फिल्म का अनावरण किया, नई डीबीटी वेबसाइट शुरू की और काफी टेबल बुक जारी की।
डीबीटी सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने अपने उद्घाटन भाषण में अनुसंधान और अंतरण का आधार मजबूत करने तथा निरंतरता और आगे बढ़ने पर जोर दिया। उन्होंने नवोन्मेष और उद्यमिता को बढ़ावा देने में बीआईआरएसी की भूमिका को उजागर किया, जिसके परिणामस्वरूप 500 से अधिक स्टार्ट-अप्स, देश भर के 35 बायोइन्क्यूबेटरों को सहयोग मिला है।