हाल ही में समाप्त हुए भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ)- 2021 में खादी उत्पादों की भारी बिक्री हुई है। इसका कुल कारोबार 2.88 करोड़ रुपये का रहा, जिसका श्रेय स्थानीय उत्पादों के लिए सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहन को जाता है। कोविड महामारी के बाद आयोजित पहले व्यापार मेले में खादी उत्पादों की 2,88,14,553 रुपये की कुल बिक्री दर्ज की गई। यह साल 2019 में 1.30 करोड़ रुपये की बिक्री से 122 फीसदी अधिक है।
खादी और ग्राम उद्योग आयोग (केवीआईसी) ने 2019 में 12 राज्यों के 30 स्टालों की तुलना में इस साल 20 राज्यों के 48 स्टॉल लगाए थे। वहीं, केवीआईसी ने महिला कारीगरों को उच्च प्राथमिकता दी। इसके तहत कुल स्टालों में से 18 (36 फीसदी) महिलाओं को दिए गए। इससे पहले 2019 में महिलाओं की भागीदारी केवल 20 फीसदी तक ही सीमित थी। इसके अलावा खादी इंडिया पवेलियन में लोगों की भारी भीड़ ने एक दिन में बिक्री को 33.03 लाख रुपये तक बढ़ा दिया। 2019 में यह आंकड़ा केवल 21.31 लाख रुपये का था।
केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने बिक्री में इस बढ़ोतरी का श्रेय जनता के बीच खादी की बढ़ती लोकप्रियता और “वोकल फॉर लोकल” पहल को लेकर लोगों के समर्थन को दिया। उन्होंने कहा, “लोगों का एक बड़ा वर्ग विशेषकर युवा, हमारे स्थानीय उत्पादों के लिए काफी मुखर हुए हैं। खादी उत्पादों की भारी बिक्री का आंकड़ा इसका प्रमाण है। खादी “स्वदेशी” का सबसे बड़ा प्रतीक है व प्रधानमंत्री के अनुरोध ने खादी प्रेमियों के उत्साह को और अधिक बढ़ा दिया है।”
खादी इंडिया पवेलियन में महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ एक सेल्फी प्वाइंट, पश्मीना कताई, मिट्टी के बर्तन बनाने, हस्तनिर्मित कागज बनाने, अगरबत्ती बनाने, हस्तनिर्मित कागज के जूते बनाने, गाय के गोबर से बने अभिनव खादी प्राकृतिक पेंट आदि का सीधा प्रदर्शन लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। इस व्यापार मेले में प्रीमियम खादी फैब्रिक के विभिन्न प्रकार ने भी भारी बिक्री दर्ज की। इनमें पश्चिम बंगाल की मलमल, जम्मू और कश्मीर की पश्मीना, गुजरात की पटोला रेशम, बनारसी रेशम, भागलपुरी रेशम, पंजाब की फुलकारी कला, आंध्र प्रदेश की कलमकारी और कपास, रेशम तथा ऊनी कपड़ों की कई अन्य किस्में शामिल हैं।