नई दिल्ली: प्रयागराज कुंभ में धार्मिक कार्य कर रहा ट्रांसजेंडर संतों का समूह, किन्नर अखाड़ा कुंभ की एक महत्वपूर्ण विशेषता के रूप में उभरा है।
किन्नर अखाड़ा के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि समाज में ट्रांसजेंडरों का बुरी तरह से शोषण होता था और यहां तक कि माता-पिता को भी अपमानपूर्ण जीवन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ता था। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर सनातन धर्म का हिस्सा रहे हैं और धार्मिक ग्रंथों तथा हिन्दू पुराण कथाओं में उन्हें सम्मानपूर्ण स्थान दिया गया है। उन्होंने बताया कि अखाड़े ने ट्रांसजेंडरों को एक मंच प्रदान किया है ताकि वे धार्मिक अनुष्ठानों में एक सम्मानजनक जीवन बिता सकें। उन्होंने बताया कि साधु सन्यासियों के परंपरागत शक्तिशाली अखाड़े, जूना अखाड़ा और संतों ने किन्नर अखाड़े को मान्यता प्रदान की है और शाही स्नान की शोभायात्रा का हिस्सा बनने की इजाजत दे दी है। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंदजी महाराज और महामंडलेश्वर हरि गिरी जी महाराज के प्रति आभार व्यक्त करते हुए किन्नर अखाड़ा के प्रमुख ने कहा कि इस फैसले से अखाड़ा सम्मानित महसूस कर रहा है।
किन्नर अखाड़ा ने प्रयागराज कुंभ में सेक्टर-12 में विशाल शिविर स्थापित किया है और यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु आ रहे हैं। श्रद्धालु अखाड़ा के सदस्यों से आशीर्वाद ले रहे हैं। अखाड़े का शिविर महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा जबकि परंपरागत अखाड़े बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर तीसरे शाही स्नान के बाद मेले से रवाना होने लगते हैं। अखाड़े के प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने प्रयागराज में एक आश्रम स्थापित करने की घोषणा की है।