लखनऊ: उत्तर प्रेदश में उत्पादित रेशम कोये की खपत प्रदेश में ही सुनिश्चित कराने हेतु प्रदेश की धागाकरण इकाइयों को और अधिक सुदृढ़ किया जायेगा। इसके साथ ही रेशम विकास कार्यक्रम के माध्यम से रोजगार सृजन हेतु प्रदेश के अच्छादित जनपदों के ऐसे विकास खण्ड जिनमें अभी रेशम का कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया है को इसी वृक्षारोपण में कार्यक्रम से अच्छादित किया जाय। यह जानकारी प्रदेश के वस्त्र उद्योग एवं रेशम विकास मंत्री श्री शिवकुमार बेरिया ने रेशम मुख्यालय में आज दिनांक 21 मई की बैठक में दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के ऐसे जनपद जहां अभी तकनीकी सेवा केन्द्र की स्थापना हेतु भूमि प्राप्त नहीं हो सकी है वहां तकनीकी सेवा केन्द्र विकसित किये जाने हेतु आवश्यक भूमि की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए सम्बन्धित अधिकारी तत्काल जिला अधिकारी से सम्पर्क कर भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित कराये।
श्री बेरिया ने कहा कि ऐसे रेशम फार्म जिन पर अभी फेसिंग आदि की व्यवस्था नहीं है उन फार्मांे के चारो तरफ मनरेगा योजना के तहत खायी खुदान कराते हुए उसके समानान्तर बबूल, करौंदा अथवा जेटरोफा का वृक्षारोपण कराया जाय जिसे कि कार्यों को जंगली जानवरों व आवारा पशुओं से सुरंिक्षत रखा जा सके। बैठक में रेशम विभाग के प्रमुख सचिव सभी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।