खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने असम में महिला अगरबत्ती कारीगरों को सशक्त बनाने तथा स्थानीय अगरबत्ती उद्योग को मजबूत करने के लिए एक अनूठा बिजनेस मॉडल तैयार किया है, जिसकी राज्य में रोजगार सृजित करने में प्रमुख भूमिका है। केवीआईसी ने असम में कामरूप जिले के बिरकुची में अपनी अगरबत्ती निर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रमुख प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत 70 आदिवासी महिलाओं को शामिल किया है। केवीआईसी ने एक व्यवसायिक सहयोगी भी बनाया है, जो असम का सफल स्थानीय अगरबत्ती निर्माता है। यह सहयोगी कच्चा माल उपलब्ध कराएगा और श्रम शुल्क का भुगतान करके इन 70 महिला उद्यमियों द्वारा बनाई गई अगरबत्ती को वापस लेकर उनकी बिक्री करेगा। ये महिलाएं 7 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी हुई हैं।
केवीआईसी ने बृहस्पतिवार को असम के रूपनगर में एक बहु अनुशासनिक प्रशिक्षण केंद्र (एमडीटीसी) का भी उद्घाटन किया, जो युवा उद्यमियों को मधुमक्खी पालन, मिट्टी के बर्तन बनाने और चमड़ा उद्योग आदि जैसे विभिन्न स्वरोजगार गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
अगरबत्ती का यह बिजनेस मॉडल कई मायनों में बेहद अनूठा है क्योंकि ये महिला उद्यमी अपना तैयार उत्पाद बेचने या उसे बाजार में पहुंचाने के झंझट से मुक्त होंगी। वहीं दूसरी ओर, इस मॉडल के तहत व्यवसायिक भागीदार द्वारा नई मशीनों की खरीद पर कोई पूंजीगत लागत खर्च किए बिना ही अगरबत्ती के उत्पादन में वृद्धि होगी। केवीआईसी ने “महाबाहु एग्रो प्रोडक्ट्स” को एक प्रमुख अगरबत्ती निर्माण इकाई से जोड़ा है, जिसे पहले केवीआईसी द्वारा पीएमईजीपी कार्यक्रम के तहत व्यावसायिक भागीदार के रूप में स्थापित किया गया था। यह सहयोगी उच्च गुणवत्ता वाली अगरबत्ती के निर्माण के लिए इन महिला उद्यमियों को सभी प्रकार की तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा। उपलब्ध कराई गई 70 मशीनों से प्रतिदिन लगभग 5600 किलोग्राम अगरबत्ती का भारी मात्रा में उत्पादन होगा, जिसे व्यापारिक भागीदार द्वारा खरीदा जाएगा।
केवीआईसी ने अपनी प्रमुख पीएमईजीपी योजना के तहत अगरबत्ती निर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए इन महिलाओं को गुवाहाटी के असम ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से 7 इकाइयों में से प्रत्येक के लिए 5 लाख रुपये की कुल 35 लाख रुपये वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान की है। केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने बृहस्पतिवार को गुवाहाटी में इन महिला उद्यमियों को स्वीकृति पत्र सौंपे। केवीआईसी ने इन इकाइयों को सहयोग प्रदान करने के लिए 35 फीसदी यानी 12.25 लाख रुपये की सब्सिडी दी है। इस बैंक ऋण से उद्यमियों को स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन, मिक्सर मशीन और ड्रायर मशीन प्रदान की गई है। इन महिलाओं को जल्द ही मशीनें मिल जाएंगी।
केवीआईसी के अध्यक्ष ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य कारीगरों को संगठित करना और स्थानीय अगरबत्ती उद्योग का सहयोग करना है, जिसे पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार से काफी बढ़ावा मिला है। बहुत कम निवेश में महिला उद्यमियों के लिए स्थायी रोजगार का सृजन करते हुए अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की यह एक अनूठी पहल है। श्री सक्सेना ने कहा कि केवीआईसी देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे ही व्यवसायिक मॉडल तलाशेगा जो छोटे उद्यमियों को सशक्त ही नहीं करेगा बल्कि घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में भी काफी वृद्धि करेगा।
इस मॉडल को दो प्रमुख निर्णयों के मद्देनजर तैयार किया गया है – कच्ची अगरबत्ती पर आयात प्रतिबंध और बांस की छड़ियों पर आयात शुल्क में वृद्धि। स्थानीय अगरबत्ती उद्योग का समर्थन करने के लिए इन निर्णयों को क्रमशः वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय द्वारा लिया गया है। देश में अगरबत्ती की वर्तमान खपत लगभग 1790 मीट्रिक टन प्रति दिन है। हालांकि, भारत में अगरबत्ती का एक दिन का उत्पादन सिर्फ 760 मीट्रिक टन है। मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है और इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं।