पिछला वर्ष कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बहुत हद तक प्रभावित रहा, लेकिन भारतीय रेल से प्राप्त 48.90 करोड़ रुपये के बराबर के बड़े खरीद ऑर्डर से पिछले वर्ष खादी गतिविधियों को काफी बढ़ावा भी मिला। जहां रेलवे ने केवल दिसंबर 2020 में ही 8.48 करोड़ रुपये के बराबर के खादी सामानों की खरीद की, इसने कोविड -19 के चुनौतीपूर्ण समय में खादी कारीगरों के लिए पर्याप्त मात्रा में रोजगार और आय का सृजन किया।
भारतीय रेलवे से खरीद के ऑर्डर से देश भर के 82 खादी संस्थानों के साथ पंजीकृत कारीगरों को सीधा लाभ मिला, जो चादर, तौलिया, झंडा बैनर, स्पंज कपड़े, दोसुती कपास खादी, बंटिंग कपड़ों तथा अन्य सामग्रियों के उत्पादन से जुड़े हुए हैं।
भारतीय रेलवे ने मई 2020 से दिसंबर 2020 (21 दिसंबर तक) की अवधि के दौरान 48.90 करोड़ रुपये के बराबर की खादी सामग्रियों की खरीद की, जिसने खादी कार्यकलापों को महामारी के दौरान गतिशील बनाए रखा। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय रेलवे ने मई और जून के महीनों में खादी से 19.80 करोड़ रुपये के बराबर के सामान की खरीद की थी, जब लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को गंभीर क्षति पहुंची थी। इसी प्रकार, रेलवे ने जुलाई और अगस्त के दौरान 7.42 करोड़ रुपये के बराबर के खादी के सामानों की खरीद की थी, जबकि उसने अक्टूबर और नवंबर के महीनों में 13.01 करोड़ रुपये के खादी के उत्पादों की खरीद की।
केवीआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने केवीआईसी को बड़े ऑर्डर देने के जरिए खादी कारीगरों की सहायता करने के लिए माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल को धन्यवाद दिया। श्री सक्सेना ने कहा, “महामारी के दौरान केवीआईसी को कारीगरों के रोजगार और आजीविका को बनाए रखने की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। जहां केवीआईसी ने महामारी के दौरान खादी मास्क बनाने में अपने कारीगरों को लगाया; इसने रेलवे से थोक ऑर्डर भी प्राप्त किए, जिससे खादी का चरखा लगातार चलता रहा। इसका परिणाम कारीगरों के लिए अतिरिक्त रोजगार और आय के रूप में आया, जिसने उन्हें वित्तीय संकट से उबारने तथा देश की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में मदद की।”
सीधी खरीद के माध्यम से खादी की सहायता करने के अतिरिक्त, रेलवे ने खादी कारीगरों को सुदृढ़ बनाने के लिए कई नीतिगत फैसले भी क्रियान्वित किए हैं। इस तरह के एक कदम के रूप में, रेलवे ने 400 रेलवे स्टेशनों को निर्दिष्ट किया है, जहां यात्रियों को भोजन और पेय पदार्थ बेचने के लिए केवल मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता है और इस तरह कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत केवीआईसी द्वारा प्रशिक्षित कुम्हारों को काफी बढ़ावा मिलता है। रेल मंत्रालय अन्य 100 रेलवे स्टेशनों को “प्लास्टिक-मुक्त स्टेशन” के रूप में अधिसूचित करने की प्रक्रिया में है।