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श्रम मंत्री ने कोविड – 19 महामारी से लड़ने के लिए सीटीयू प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने आज नई दिल्ली में एक वेबिनार आयोजित किया जिसमे केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों (सीटीयूओ) के साथ कोविड – 19  महामारी से उत्पन्न मौजूदा स्थिति और श्रमिकों तथा अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को कम करने के विषय पर चर्चा की गयी। । मुद्दों में शामिल थे – (i) कोविड – 19  के मद्देनजर श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों के हितों का संरक्षण, (ii) रोजगार सृजन के उपाय, (iii) आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए अपनाए जाने वाले उपाय और (iv) एमएसएमई की स्थिति में सुधार के उपाय ताकि वे श्रम कानूनों के तहत अपनी देनदारियों को पूरा करने में सक्षम हो सकें । श्रम और रोजगार मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों तथा ट्रेड यूनियनों ( सीटीयूओ ) के प्रतिनिधियों ने वेबिनार में भाग लिया।

मंत्री श्री गंगवार ने कोविड – 19 के दौरान श्रमिकों की समस्याओं को कम करने के लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड – 19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप श्रमिकों के सामने आई चुनौतियों का समाधान ढूढने की आवश्यकता है। उन्होंने केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों से सुझाव देने के लिए कहा ताकि श्रमिकों की वर्तमान स्थिति से निपटा जा सके और उनका कल्याण किया जा सके।

केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा निम्नलिखित सुझाव दिए गए:

  1. ) देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के लिए और अधिक ट्रेन उपलब्ध कराना। इन कामगारों को अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है और स्थिति के नियंत्रण में आने के बाद काम पर लौटने के लिए  सुविधा दी जा सकती है।

(2) प्रवासी श्रमिकों / असंगठित श्रमिकों के लिए पोर्टेबिलिटी और डेटा हस्तांतरण की सुविधाओं के साथ एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाना, जिससे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार और अन्य सहायता मिल सके;

(3) एमएसएमई, विशेष रूप से छोटे और सूक्ष्म उद्योगों को ब्याज पर छूट / ऋणों के पुनर्गठन, बिजली में सब्सिडी आदि उपायों के माध्यम से समर्थन करना।  इन उद्योगों को कच्चे माल की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करना भी जरूरी है;

(4) लॉकडाउन के कारण गंभीर रूप से प्रभावित होटल, सिनेमा, खेल, ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों के लिए सरकार को रणनीति बनाने की आवश्यकता है;

(5) छोटे और सूक्ष्म उद्योगों को पारिश्रमिक घटक में सब्सिडी प्रदान करना ताकि ये नियोक्ता लॉकडाउन अवधि के लिए सभी श्रमिकों को पूर्ण पारिश्रमिक देने में सक्षम हो सकें,

(6) आशा / आंगनवाड़ी स्वयंसेवक जो महामारी के पीड़ितों तक पहुंचने का  सराहनीय काम कर रहे हैं, उन्हें बेहतर तरीके से प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।

(7) लॉकडाउन के कारण नौकरी गंवाने वाले श्रमिकों को भी नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान की जानी चाहिए।

(8) इस दौरान श्रमिकों के लिए काम के घंटे बढ़ाये नहीं जाने चाहिए,

(9) वेतन के भुगतान और वेतन में कटौती-नहीं के संबंध में श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी किए गए श्रम कानूनों और परामर्श का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए,

(10) असंगठित श्रमिकों और दैनिक कामगारों को नकद सहायता तथा राशन और चिकित्सा सुविधाओं की निःशुल्क आपूर्ति

(11) सरकार कृषि उपज की खरीद करे ताकि किसान कृषि श्रमिकों को भुगतान कर सकें,

(12) उनके घर वापस जाने के लिए प्रवासी श्रमिकों से ट्रेन का किराया नहीं लिया जाना चाहिए

चर्चा का समापन करते हुए श्रम और रोजगार सचिव ने सीटीयूओ के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों का स्वागत किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रवासी श्रमिकों से कोई ट्रेन किराया नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में प्रवासी श्रमिकों की स्थिति की निगरानी के लिए एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है और इसके लिए राज्यों के साथ समन्वय किया जा रहा है।

20 हेल्पलाइन / कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं ताकि कोविड – 19  के कारण भोजन, श्रमिकों को पारिश्रमिक के भुगतान या श्रमिकों से जुड़े किसी भी अन्य मुद्दे को हल किया जा सके।

श्रम सचिव ने कहा कि अब उद्योग को पुनर्जीवित करने और धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को खोलने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि रोजगार के पर्याप्त अवसरों का सृजन हो। उन्होंने सीटीयू के प्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि जहाँ भी संभव हो, वे काम को फिर से शुरू करने के लिए श्रमिकों के बीच आत्म – विश्वास पैदा करें। उन्होंने भरोसा देते हुए कहा कि श्रम और रोजगार मंत्रालय, श्रमिकों के सामने आने वाली किसी भी समस्या में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नियोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक अलग वेबिनार 8 मई 2020 को आयोजित किया जाएगा।

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