नई दिल्ली: दुनिया भर की नाक में दम करने वाले आतंकवादी ओसामा बिन लादेन का परिवार इस समय संकट से जूझ रहा है। ओसामा बिन लादेन के परिवार की कंस्ट्रक्शन कारोबार जुड़ी कंपनी इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रही है। इस कंपनी में काम करने वाले लोग सड़कों पर आ गए है और कंपनी के खिलाफ लगातार प्रदर्शन किए जा रहे हैं। कंपनी की आर्थिक तंगी के ये हालात हैं कि कई कर्मचारियों के कई महीनों की सैलरी और अन्य अलाउंस नहीं मिल सके हैं। इस कंपनी में काम करने वाले लोग लगातार हिसंक होते जा रहे हैं। पिछले दिनों मक्का शहर में एक प्रदर्शन के दौरान इन लोगों ने 7 बसों में आग लगा दी थी।
बिन लादिन समूह की स्थापना ओसामा बिन लादेन के पिता ने की थी। इस कंपनी में कुल 1.50 लाख से ज्यादा लोग काम करते थे। पर कंपनी ने अब 70,000 से ज्यादा लोगों को निकालने का ऐलान कर दिया है। इन कंपनी में सऊदी अरब के 10,000 से ज्यादा लोग काम करते थे। वहीं बाकियों में विदेशों से आए हुए लोग शामिल थे। कंपनी के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद अब 4200 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान किए जाने का दबाव है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सऊदी सरकार ने फुटबॉल स्टडियम और हाई स्पीड रेललाइन जैसे बड़े पैमाने पर होने वाले कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर रोक लगा दी है। सऊदी बिन लादेन समूह सऊदी अरब के दूसरे बड़े शहर जेद्दा में एक बिल्डिंग बना रहा है, जो दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होगी। इस इमारत का नाम किंगडम टावर है, जिसकी प्रस्तावित ऊंचाई 3280 फीट है। बीते साल सितंबर महीने में शुक्रवार शाम मक्का के सबसे पवित्र मस्जिद में एक क्रेन के गिर जाने से 120 लोगों की मौत हो गई।
सरकार की जांच में पता चला कि क्रेन को मैनुअल के हिसाब से नहीं इस्तेमाल किया गया। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि वे आने वाले प्रोजेक्ट्स में बिनलादेन ग्रुप को नीलामी में शामिल नहीं होने देंगे। इससे कंपनी के शेयरों की कीमत पर प्रभाव पड़ा। माना जा रहा है कि कंपनी पर 30 बिलियन डॉलर का कर्ज है। अमेरिका पर हुए 9/11 के आतंकी हमले के बाद कई पीडित परिवारों ने कंपनी के खिलाफ केस दायर किए। आरोप लगाया कि ओसामा बिन लादेन को इस कंपनी से पर्याप्त मात्रा में आर्थिक सहयोग हासिल हुआ।
ओसामा बिन लादेन को 1993 में बतौर शेयरहोल्डर इस कंपनी से अलग कर दिया गया था। 90 के दशक में आतंकी संगठन अलकायदा की नींव रखने के लिए ओसामा ने अपनी पैतृक संपत्ति का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल किया। हालांकि, अमेरिकी अदालत ने कहा कि अमेरिकी अदालतों ने कहा कि एसबीजी उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि कंपनी यूएसए में ऑपरेट नहीं करती। वर्तमान संकट कंपनी के लिए ज्यादा कष्टकारी है।
हालांकि, जानकारों का मानना है कि कंपनी के बंद होने की गुंजाइश कम है। दरअसल, कंस्ट्रक्शन के बिजनेस से जुड़ी इस विशाल कंपनी का सऊदी अरब के सरकारी प्रोजेक्ट्स में इतना ज्यादा दखल है कि अब यह देश के नॉन ऑयल इकोनॉमी का बहुत बड़ा हिस्सा बन गया है। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि बिन लादेन ग्रुप के नाकाम होने की आशंका न के बराबर है।
साभार अमर उजाला