नई दिल्ली: मुझे मंगोलिया की यात्रा पर आकर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। यहां की यात्रा पर आने वाला प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री होना बेहद गौरव की बात है। दो महत्वपूर्ण पड़ावों- मंगोलिया में लोकतंत्र के 25 बरस और हमारे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष, के अवसर पर यहां आना बेहद सौभाग्य की बात है।
दिलों को छू लेने वाले आपके स्वागत और मेजबानी के लिए मैं आपका बेहद आभारी हूं। आपने हमारे प्रति असीम उदारता और सच्चे मित्र की गर्मजोशी प्रदर्शित की है।
रविवार को मेरी मेजबानी करने का आपकी संसद का फैसला भारत के लिए विलक्षण गौरव की बात है।
मेरी यात्रा का इससे बेहतर प्रारम्भ नहीं हो सकता था। मैंने इस दौरे की शुरूआत ऐतिहासिक गंदन मठ से की। वहां मैंने महाबोधि वृक्ष का एक पौधा भेंट किया। यह भारत की जनता की मैत्री का प्रतीक है।
मैं यहां हमारे कालातीत रिश्तों के सम्मान और सराहना के लिए आया हूं। आपने हमें अपना आध्यात्मिक पड़ोसी और तीसरा पड़ोसी करार दिया है। हम इस सम्मान के साथ जुड़े उत्तरदायित्व को सदैव पूरा करेंगे।
आज, मंगोलिया भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का अभिन्न अंग है। भारत और मंगोलिया की किस्मत एशिया प्रशांत क्षेत्र के भविष्य के साथ नजदीक से जुड़ी है। इस क्षेत्र में शांति, स्थायित्व और खुशहाली लाने के लिए हम मिलकर काम कर सकते हैं। इसलिए मैं इस क्षेत्र के लिए हमारे साझा उत्तरदायित्व के लिए प्रतिबद्धतास्वरूप यहां आया हूं।
प्रधानमंत्री ने आज की बैठक के बारे में अर्थपूर्ण बात कही है। मैं अब से कुछ देर बाद संसद में हमारे विजन के बारे में अपने विचार रखूंगा।
प्रधानमंत्री के साथ आज के विचार विमर्श से मैं बेहद खुश हूं। हमारे आपसी संबंधों और हमारे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बारे में हमारे विचार काफी हद तक मेल खाते हैं।
अभी जिन समझौतों पर हमने हस्ताक्षर िकये हैं वे हमारे रिश्तों की गहरायी बयां करते हैं। इनमें आर्थिक संबंध, विकास भागीदारी, रक्षा और सुरक्षा तथा जनता के बीच आपसी मेलजोल शामिल हैं।
हम अपनी आर्थिक भागीदारी को नयी ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। आज मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत, मंगोलिया की आर्थिक क्षमता और बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए एक बिलियन अमरीकी डॉलर की ऋण सहायता देगा।
मानव संसाधनों के विकास में सहायता देना किसी देश का िवकास सुनिश्चित करने का उत्कृष्ट तरीका है। हमने मंगोलिया में अपने प्रयास जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहरायी है। भारत, मंगोलिया के लिए आईटीईसी प्रशिक्षण स्लॉट्स 150 से बढ़ाकर 200 करेगा। हम भारत-मंगोलिया संयुक्त विद्यालय की स्थापना भी करेंगे।
आज बाद में, मुझे अटल बिहारी वाजपेयी सेंटर ऑफ एक्सलेंस फॉर इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टैक्नालॉजी के विस्तार और उन्नयन के लिए आधार शिला रखने का भी सौभाग्य मिलेगा। मैं भाभाट्रॉन-2 भेंट करने के लिए नेशनल कैंसर सेंटर का भी दौरा करूंगा। यह एक अत्याधुनिक न्यूक्लियर मेडिसिन कैंसर थेरेपी है, जिसे भारत ने विकसित और निर्मित किया है।
हम अपने सुरक्षा सहयोग को बहुत महत्व देते हैं। हम एक-दूसरे के रक्षा अभ्यासों में भाग लेना जारी रखेंगे। आज जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं, उनसे सीमा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा में हमारा सहयोग और प्रगाढ़ होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के बीच संबंध, सहयोग का सामरिक प्रारूप उपलब्ध कराएंगे। हमने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की है कि भारत, मंगोलिया के रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान में साइबर सुरक्षा केंद्र की स्थापना में मदद करेगा।
हमारे व्यापार और निवेश संबंध साधारण हैं। हमने वास्तविक सीमाओं की बात स्वीकार की है। लेकिन हम इस बात पर सहमत हैं कि आर्थिक वृद्धि हमारे देशों में नयी सम्भावनाओं के द्वार खोल रही है। असैन्य परमाणु क्षेत्र, खनन, स्वास्थ्य सेवाओं, फार्मास्यूटिकल्स और डेयरी क्षेत्र में अपार सम्भावनाएं हैं। हमें अपने आर्थिक संबंधों में विस्तार के लिए डिजिटल टैक्नॉलोजी के इस्तेमाल की संभावनाएं तलाशनी चाहिए।
मैंने प्रधानमंत्री से कहा है कि हम मैत्री, साझा आध्यात्मिक विरासत और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित अपनी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को बेहद अहमियत देते हैं। ये इस क्षेत्र में हमारे सहयोग को मजबूत बुनियाद भी उपलब्ध कराते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए मंगोलिया के पुरजोर समर्थन की मैं भारत की ओर से तहेदिल से सराहना करता हूं।
अपने रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने की हमारी प्रतिबद्धता इस बात से प्रकट होती है कि हमने अपनी ‘समग्र भागीदारी’ को बढ़ाकर ‘सामरिक भागीदारी’ करने का निर्णय लिया है। हमने अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों और सहयोग की संधि का नवीकरण करने पर भी सहमति प्रकट की है।
अत: हमारे संबंधों के इस महत्वपूर्ण पड़ाव में हम हमारी भागीदारी के नए दौर का सूत्रपात कर रहे हैं।