नई दिल्ली: आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि शहरी विकास में सार्वजनिक निजी भागीदारी पर आधारित लैंड पूलिंग नीति एक नए प्रतिमान का प्रतिनिधित्व करती है। इसके तहत कई भू इकाइयों को इकठ्ठा किया जाता है जिन्हें विकसित करने का काम निजी भूमालिकों का होता है। उन्होंने आगे बताया कि मालिक या मालिकों का समूह क्षेत्र विकास योजना (जेडडीपी) में परिसीमन किए गए क्षेत्रों के आधार पर निर्धारित मानदंडों और दिशानिर्देशों के अनुसार विकास के लिए किसी भी आकार की भूमि को पूल कर सकते हैं। इसके तहत एकत्रित की गई 60 प्रतिशत भूमि का विकास निजी भूमालिकों या उनके समूह द्वारा आवासीय और वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए किया जाएगा, जबकि बाकी 40 प्रतिशत भूमि का इस्तेमाल पानी, सीवरेज, बिजली आदि सहित विभिन्न शहरी स्तर की बुनियादी सुविधाओं के लिए उपयोग किया जाएगा।
श्री पुरी आज नई दिल्ली में ‘लैंड पूलिंग : बिल्डिंग इंडिया कैपिटल – अपोरच्युनिटीज इन रियल इस्टेट एंड इन्फ्रास्ट्रेक्चर’ विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन का आयोजन दिल्ली विकास प्राधिकरण और भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा किया गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल, डीडीए के उपाध्यक्ष श्री तरुण कपूर के अलावा कई भूमि डेवलपर्स, हितधारक और शहरी नियोजक भी इस सम्मेलन में उपस्थित थे।
लैंड पूलिंग नीति पर तेजी से अमल सुनिश्चित करने की दिशा में पहले कदम के रूप में डीडीए इस साल के शुरू में ही एक वेब पोर्टल जारी कर चुका है। इसका उद्देश्य भागीदारी के लिए इच्छुक भूमालिकों द्वारा आवेदन आमंत्रित करना है।
इसके तहत नियोजन क्षेत्र के 95 गांवों में के-1, एल, एन और पी-II में आने वाले किसी भी आकार के सन्निहित भूखंड का कोई भी भूमि स्वामी इस वेबसाइट पर पंजीकरण करा सकता है। श्री पुरी ने कहा कि लैंड पूलिंग नीति के बारे में दिल्ली के लोगों को जागरूक बनाने के लिए डीडीए द्वारा बड़े स्तर पर जनसम्पर्क अभियान चलाया गया। इसके बेहतर परिणाम सामने आए, जिसके कारण 06 सितम्बर, 2019 तक 6,000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि नये पोर्टल के तहत पंजीकृत की गई। इसमें सबसे ज्यादा पंजीकरण नियोजन क्षेत्र -एन के लिए किया गया है।
लैंड पूलिंग नीति का उद्देश्य दिल्ली के शहरी भूक्षेत्र को बेहतर स्वरूप देने के साथ ही आर्थिक विकास को मजबूत बनाते हुए दिल्लीवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। रियल इस्टेट और अवसंरचना निर्माण क्षेत्र में गति लाने के लिए डीडीए लैंड पूलिंग नीति के तहत कम से कम 70 प्रतिशत मॉडल क्षेत्रों के विकास का काम प्राथमिकता के आधार पर करना चाहता है। नई पूलिंग नीति के तहत एकत्रित की गई प्रत्येक 1,000 हेक्टेयर भूमि में करीब 85,000 आवासीय ईकाइयों में 3,85,000 लोगों के लिए रहने की व्यवस्था होगी। नई नीति के तहत करीब 17 लाख आवासीय इकाइयों का निर्माण होगा, जिनमें से 5 लाख से भी अधिक आवासीय इकाइयां समाज के आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबकों के लिए होंगी। लैंड पूलिंग नीति के तहत निर्मित की गई आवासीय इकाइयां दिल्ली के आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ ही जन सुविधाओं को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी। डीडीए जन सुविधा सेवा प्रदाता एजेंसियों की मदद से शहर में सड़क तथा बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जरूरी अवसंरचना विकसित करेगा।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि लैंड पूलिंग नीति की सफलता काफी हद तक शहर के बुनियादी ढाँचे के तेज, समयबद्ध नियोजन, विकास और पूंजी निवेश पर निर्भर करती है। ये इन क्षेत्रों के एकीकृत विकास के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा। “जबकि, डीडीए सेवा प्रदान करने वाली एजेंसियों जैसे ट्रांसको, दिल्ली जल बोर्ड और स्थानीय निकायों आदि के साथ घनिष्ठ समन्वय में काम करेगा।
श्री बैजल ने कहा कि यह सम्मेलन पूलिंग नीति को सफल बनाने की दिशा में निवेशकों, साझेदारों, रियल इस्टेट डेवलपरों, बैंकिंग क्षेत्र और विशेषज्ञो को एक साथ लाने का एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली शहरी नवाचार के केंद्र में है और रियल एस्टेट तथा अवसंरचना विकास के लिए शहर में अपार अवसर मौजूद है। यह परिकल्पना की गई है कि 109 लैंड पूलिंग क्षेत्रों में इस्तेमाल किये गये स्मार्ट सिटी समाधान इन नए शहरी केंद्रों को ‘स्मार्ट पड़ोस’ में बदल देंगे। नीति के तहत प्रस्तावित शहर स्तर के विकास से इन ग्रीन फील्ड क्षेत्रों में हाई स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम, वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं यानी 24 घंटे पानी की आपूर्ति, बिजली, पाइप गैस कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मिलेगी।
डीडीए के उपाध्यक्ष श्री तरुण कपूर ने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन दिल्ली के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा।