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हजारों ग्राम प्रधानों ने लक्ष्मण मेला मैदान में किया जोरदार प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये 50 हजार से अधिक ग्राम प्रधानों ने गुरुवार को लक्ष्मण मेला मैदान में जोरदार प्रदर्शन किया। आन्दोलन का नेतृत्व अखिल भारतीय प्रधान संगठन ने किया। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेन्द्र चौधरी ने बताया कि प्रदेश के सभी 75 जनपदों के 822 विकास खण्ड क्षेत्रों से प्रधान आन्दोलन में भाग लिया। उन्होंने कहा प्रदेश के 59163 ग्राम पंचायतों के हक की लड़ाई संगठन लड़ रहा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एक सितम्बर से ग्राम स्वराज जागृत अभियान चलाया जा रहा है। रथ यात्रा के माध्यम से प्रदेश भर से होकर गुरुवार को लखनऊ पहुंचा। उन्होंने कहा कि 1992 में 73वां संवैधानिक संशोधन किया गया था, जिसके तहत 29 विषय ग्राम पंचायतों के अधीन कर दिये गये थे। यह अधिकार वास्तव में प्रधानों को अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। देश भर में समान पंचायती राज व्यवस्था लागू नहीं है। सांसदों को दिया जाने वाला मानदेय लोकसभा सचिवालय के सचिव से एक रूपये अधिक निर्धारित है। इस तरह प्रधानों को ग्राम पंचायत अधिकारी से एक रूपये अधिक यानी कम से कम 30001 रूपये वेतन दिया जाना चाहिए।
श्री चौधरी ने बताया कि 1992 में 73वॉ संवैधानिक संशोधन किया गया था, जिसके तहत 29 विषय ग्राम पंचायतों के अधीन कर दिये गये थे। यह अधिकार वास्तव में प्रधानों को अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। देश भर में समान पंचायती राज व्यवस्था लागू नहीं है। सांसदों को दिया जाने वाला मानदेय लोकसभा सचिवालय के सचिव से एक रूपये अधिक निर्धारित है। इस तरह प्रधानों को ग्राम पंचायत अधिकारी से एक रूपये अधिक यानी कम से कम 30001 रूपये वेतन दिया जाना चाहिए। सेवाकाल के उपरान्त 10 हजार रूपये पेंशन तथा आकस्मिक निधन पर 20 लाख रूपये मुआवजा प्रधान के परिजनों को दिये जाने की मांग की जा रही है। 2011 में कराई गई सामाजिक, आर्थिक गणना में 90 प्रतिशत पात्र व्यक्तियों को शामिल नही किया गया। इससे वह योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। संगठन दोबारा यह सर्वे कराये जाने की मांग कर रहा है। 14वें वित्त आयोग की धनराशि से 50 हजार रूपये तक की कार्य योजना मंजूर किये जाने की सीमा कतई उपयुक्त नहीं है। श्री चौधरी ने बताया कि इससे अधिक धनराशि खर्च किये जाने के लिए ग्राम पंचायत को ए0डी0ओ0 से लेकर जिलाधिकारी तक अनुमति लेनी होती है। जो पंचायती राज अधिनियम की मंशा के विपरीत है। यह शुद्ध रूप से ग्राम पंचायतों के संवैधानिक अधिकार का हनन है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि प्रधान 20 जून 2016 के शासनादेश से काफी नाराज हैं। सरकार ने पंचायत चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी को समिति का उपाध्यक्ष बनाये जाने का जो आदेश किया है, ऐसे आदेश की कल्पना प्रजातंत्र में नहीं की जानी चाहिए।
अखिल भारतीय प्रधान संगठन के प्रदेश प्रभारी इंद्रपाल सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश की सभी 36 विधान परिषद सीटों पर पंचायत चुनाव में विजयी प्रतिनिधियों को भी प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। इस मौके पर उपाध्यक्ष नरेश यादव, नानक चन्द शर्मा, सुनील जागलन, डॉ0 प्रवीण, रामसेवक यादव ने भी अपने विचार रखे।

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