नई दिल्ली: आपने अक्सर बुज़ुर्ग महिलाओं से सुना ही होगा, पीरियड्स के समय हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं..वह हमें कई बातें बताती हैं जैसे दवाई न लेना, पूजापाठ से दूर रहना और न जानें कितनी बातें। इसके अलावा कुछ जगहों पर लड़कियों के मासिक धर्म के समय, रसोई में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी जाती है। मतलब ऐसा बर्ताव जैसे पीरियड्स कोई छुआछूत की बीमारी हो। पीरियड्स पर खुलकर बात करने से हम कतराते हैं और अंधविश्वास भरी बातों पर भरोसा करने लगते हैं। इसी वजह से इसकी सही जानकारी से वंचित रह जाते हैं। 28 मई को ‘मैनस्ट्रूअल हाईजीन डे’ मनाया जाता है। जिसके चलते हम लाए हैं विशेषज्ञों की राय, जो इन कल्पित बातों का खंण्डन करती है..
साइकेट्रिस्ट डॉ नासिर महमूद खान का कहना है, ये सभी पुरानी बातें हैं। घरवालों को उन्हें सही जानकारी देनी चाहिए। ऐसी बातों से लड़कियों पर काफी असर पड़ता है। उन्हें खुद से घिन आने लगती है। उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी डगमगाने लगता है। वहीं कुछ असाधारण मामलों में आत्महत्या की प्रवृत्ति भी जन्म लेने लगती है। ऐसे समय में लड़कियों को सहयोग देना बेहद ज़रुरी होता है। ऐसा माना जाता है कि मासिक धर्म में दवाई नहीं लेनी चाहिए, सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शम्पा खेतान बताती हैं कि हमारे पास ऐसे मामले भी आए हैं जिनमें ज़्यादातर लड़कियां दर्द के वक़्त दवाई खाने से परहेज़ करती हैं। वह समझती है दवाई खाने से प्रसव के वक़्त परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। ये एक अधंविश्वास वाली बात है। अगर पीरियड्स के टाइम ज्यादा दर्द होता है तो उसे मेडिसन ले लेनी चाहिए और आराम करना चाहिए। ऐसे समय में पेट दर्द और कमर दर्द तो आम बात है। कुछ महिलाओं को 45 साल की उम्र के बाद बॉडी पेन, जोड़ो के दर्द, कमर दर्द जैसी समस्याओ की शिकायत होती है। इस पर प्राइमस हॉस्पिटल के सीनियर डॉ कौशल कांत मिश्रा बताते है। ये दिक्कत मीनीपॉज के बाद सामने आती है, मीनीपॉज का मतलब है जब 45 की उम्र के बाद पीरियड्स बन्द हो जाएं। अगर महिलाएं खुलकर बात करें और समस्या समय पर बताएं तो इसका इलाज किया जा सकता है।
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