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लीगल मेट्रोलोजी एक्ट के तहत खुली सिगरेट और बीड़ी की बिक्री पर लगेगा प्रतिबंध

उत्तराखंड

देहरादून: प्रदेश में अब लीगल मेट्रोलोजी अधिनियम के तहत खुली सिगरेट और बीड़ी की बिक्रीपर प्रतिबंध लगेगा। देश के समस्त राज्यों को 1 जनवरी

2016 से लीगल मेट्रोलोजी अधिनियम केतहत सिगरेट व बीड़ी की खुली बिक्री को प्रतिबंधित करना था। लेकिन आज भी इसकी बिक्री खुले मेंहो रही है। इस पर किसी तरह का प्रतिबंध नही है।

मई 2015 में अधिसूचित लीगल मेट्रोलोजी एक्ट का अनुपालन देश के सभी राज्यों को करना था, औरइस संशोधित अधिनियम के तहत, अनिवार्य डिस्प्ले के बगैर कोई तंबाकू उत्पाद बेचा नहीं जासकता है।

तंबाकू एकमात्र कानूनी उपभोक्ता उत्पाद है जो अपना सेवन करने वाले हर एक को नुकसान पहुंचाताहै और जो उसका उपभोग करते हैं उसमें से एक तिहाई तक की मौत हो जाती है। तम्बाकू सेवन सबसेबड़ी मानव निर्मित त्रासदी है जिसके कारण देश में प्रतिवर्ष 12 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है।जिसमें बीड़ी से 5 लाख 80 हजार, 3.5 लाख सिगरेट और 3.5 धूम्र रहित तंबाकू पदार्थों का उपयोगकरने वाले प्रतिवर्ष दम तोड़ रहें है।

तंबाकू उद्योग नए उपभोक्ताओं को पाने की कोशिश करता है और उसकी निगाह खास तौर पर छोटेबच्चों पर रहती है। खुली सिगरेट और बीड़ी बेचना अपनी बिक्री बढ़ाने की तंबाकू उद्योग की ऐसी हीएक स्थापित रणनीति है। वैश्विक युवक तंबाकू सर्वेक्षण 2009 के अनुसार भारत में 13-15 वर्ष केआयुवर्ग के 14.6 प्रतिशत युवक इस या उस रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। देश में प्रतिदिन 5500से ज्यादा बच्चे/किशोर तंबाकू का सेवन करना शुरू कर देते हैं। जो कि बेहद चिंताजनक है।

तकरीबन दो तिहाई सिगरेट और बीड़ी की बिक्री पैकट या बंडल के अनुसार नहीं, खुली होती है। खुलीबिक्री खास कर बच्चों के बीच तंबाकू उत्पादों की बिक्री बढ़ाती है और तंबाकू उत्पाद की खरीदारी कीतरफ उनका झुकाव बढ़ाती है। यह टैक्स बढ़ा कर तंबाकू की मांग कम करने के सरकार के उपायों कोभी नाकाम करती है। उपभोक्ता जब पूरे पैकेट की जगह थोड़ा सा या खुला तंबाकू उत्पाद खरीदता हैतो वह टैक्स के कारण उसके दाम में बढ़ोत्तरी को महसूस नहीं कर पाता। खुली सिगरेट परचित्रात्मक चेतावनी नहीं होने से ग्राहक को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी नहींमिल पाती। हालांकि केाटपा की धारा 7/8 का उल्लंघन करने के चलते सिगरेट/बीड़ी की खुली बिक्रीपर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए था, इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।

हीलिस सेखसरिया इंस्टीटयूट ऑफ पब्लिक हैल्थ के डायरेक्टर व शोधकर्ता डा. प्रकाश सी.गुप्ताबतातें हैं कि ‘खुली सिगरेट व बिड़ी की बिक्री तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर और इस तरह कीमतबढ़ा कर तंबाकू की मांग घटाने के प्रयासों (आर्टिकल 6) और नाबालिगों को इसकी बिक्री पर रोक लगाकर इसकी आपूर्ति घटाने के प्रयासों को नाकाम करती है।’

उन्होने मुंबई का जिक्र करते हुए बताया कि महाराष्ट्र के मेट्रोलोजी अधिकारी अमिताभ गुप्ता नेसमस्त सिगरेट और बीड़ी निर्माताओं को पत्र भेज कर उनसे मई 2015 में अधिसूचित लीगलमेट्रोलोजी एक्ट का अनुपालन करने को कहा है। इस संशोधित अधिनियम के तहत, अधिनियम मेंनियत अनिवार्य डिस्प्ले के बगैर कोई तंबाकू उत्पाद बेचा नहीं जा सकता है। ये पत्र 8 फरवरी 2016को भेजे गए।  इस संशोधन का प्रत्यक्ष नतीजा यह है कि अब खुली सिगरेट और बीड़ी नहीं बेची जासकती। आरटीआई से प्राप्त पत्र की प्रति है जो स्वतः स्पष्ट है और संलग्न है।

लागू कानूनी प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

लीगल मेट्रोलोजी एक्ट की धारा 2 (एम)- खुदरा बिक्री मूल्य का मतलब वह अधिकतम मूल्य है जिसपर पैकेज्ड रूप में सामग्री अंतिम उपभोक्ता को बेची जाएगी और पैकेज पर मूल्य निनर्धारित रूप सेमूद्रित होगा।

लीगल मेट्रोलोजी एक्ट की धारा 18 के तहत् कोई व्यक्ति तब तक किसी पैकेज्ड पूर्व सामग्री कानिर्माण, पैकिंग, बिक्री, आयात, वितरण, डिलीवरी, पेशकश, प्रकट या रख नहीं सकता जब तक वहइस तरह के पैकेज ऐसी मानक परिमाण या संख्या में नहीं है और उस पर इस तरह की घोषणा औरब्योरे नहीं है जिन्हें नियत किया गया है।

लीगल मेट्रोलोजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 (‘’रूल्स’’) स्पष्ट रूप से कहता है कि बिक्री,पेशकश या बिक्री वितरण, इत्यादि के लिए सभी पैकेज्ड सामग्रियों पर निरूपित करने के लिएअनिवार्य घोषणा का प्रावधान करता है। यह धारा 18 के उपबंध 3 का समावेश करने का प्रस्तावकरता है जो कहता है कि ‘’केन्द्र सरकार आवश्यकता के अनुरूप अलग-अलग तरह की पैकेज्डसामग्रियों के लिए अलग-अलग घोषणा का प्रावधान कर सकती है।‘’

धारा 26 के संदर्भ में लीगल मेट्रोलोजी एक्ट संशोधित है जिसमें एक्ट के लिए अपवाद दृ अगर वजनया माप के अनुरूप बेचा जा रहा है तो सामग्री का कुल वजन 10 ग्राम या 10 मिलीलीटर सूचीबद्ध है।

टाटा मैमेारियल अस्पताल के प्रोफेसर एवं कैंसर सर्जन डा. पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, ‘’इस देश केबच्चों और युवकों में तंबाकू के सेवन और इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए सरकारी खजाने पर बोझके मद्देनजर इसके  इस्तेमाल और इसको प्रोत्साहन देने वाली किसी भी गतिविधि और केाटपाअधिनियम 2003 या लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2015 को कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश परअंकुश लगाने की तत्काल जरूरत है।” तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ के फ्रेमवर्क कन्वेंशन(एफसीटीसी) पूरे विश्व में तंबाकू के सेवन को कम करने के लिए दक्ष प्रणाली बनाया है। भारत ने भीइस एफसीटीसी का अनुमोदन किया है और यह 27 फरवरी 2005 से भारत में प्रभावी है। इसलिएभारत वैश्विक रूप से तंबाकू के उपभोग को घटाने के लिए समझौता प्रावधानों पर अमल करने केलिए बाध्य है। इस कन्वेंशन और इसके प्रोटोकॉल का उद्देश्य वर्तमान और भावी पीढ़ियों को तंबाकूउपभोग के स्वास्थ्य, सामाजिक पर्यावरणीय एवं आर्थिक कुप्रभावों से बचाना है। (आर्टिकल 3)

वॉयस ऑफ टोबेको (वीओटीवी) के संजय सेठ कहते हैं, ‘’देश में बच्चों और युवकों में तंबाकू सेवनकरने वालांे की संख्या बहुत ज्यादा है। वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण भारत रिपोर्ट 2010 कहती हैकि वयस्क (15 साल और उससे ज्याद) लोगों की एक तिहाई (तकरीबन 28 करोड़ ) से ज्यादा (35प्रतिशत) इस या उस तरह से तंबाकू का सेवन करते हैं। (अधिकतर इसमें 47 प्रतिशत पुरुष और 21प्रतिशत महिलाएं हैं।)’’

इस अधिनियम के प्रभावी निंयत्रण में प्रदेश में बीड़ी सिगरेट पीने वालों की संख्या में जंहा कमीआएगी वंही युवाअेां को भी इससे बचाया जा सकेगा। समय रहते इन पर काबू पा लिया जाए तो बढ़तेकैंसर को रोकने में मदद मिल सकेगी।

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