17.6 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

उत्तराखण्ड विधान सभा के विशेष सत्र के अवसर पर राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी की उपस्थिति में सम्बोधन करते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
उत्तराखण्ड: परम आदरणीय, परम विद्वान, भारत के गौरव श्री प्रणव मुखर्जी माननीय राष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कान्त पाॅल, मा0 अध्यक्ष विधानसभा, श्री गोविन्द सिंह कुंजवाल, मा0 नेता प्रतिपक्ष श्री अजय भट्ट, मा0 उपाध्यक्ष डाॅ0 अनुसूया प्रसाद मैखुरी, मंत्रीमण्डल के सहयोगी एवं मा0 सदस्यगण। आज हम समस्त विधानसभा सदस्य, सवा करोड़ उत्तराखण्ड वासियों की ओर से, मा0 राष्ट्रपति जी का, इस गौरवशाली सदन में हार्दिक स्वागत करते हैं। हमारे लिए यह क्षण, अत्यधिक गौरवशाली है।

महोदय आपने, हमारे सदन को सम्बोधित करने का निश्चय कर हमारा मान बढ़ाया है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है, आपसे अधिक निकट से, किसी अन्य ने भारत के लोकतंत्र को विकसित होते और राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते नहीं देखा है। चार दशक से भी अधिक समय से, आप हमारी संसदीय प्रणाली को, एक शिल्पी के रूप में संवार रहे हैं। आज के आगे बढ़ते भारत के निर्माण की प्रत्येक ईंट पर, आपका नाम अंकित है। आपके कुशल शिल्पी मस्तिष्क ने, भारतीय लोकतंत्र और आधुनिक भारत के निर्माण की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाया है। आज आप हमारे मध्य हैं, आपका सम्बोधन, इस नवोदित राज्य के प्रत्येक पक्ष को प्रेरित करेगा एक सक्षम, उत्तरोत्तर, प्रगति की ओर बढ़ते उत्तराखण्ड के निर्माण के लिये। विगत वर्षो के दौरान, हमने आपदा की भयावह त्रासदी झेली है। सबके सहयोग व आर्शीवाद से हम त्रासदी से उभरने का प्रयास कर रहे हैं। श्री केदारनाथ धाम में चल रहा पुर्ननिर्माण का कार्य, हमारे सामुहिक संकल्प का द्योतक है। त्रासदी की व्यापकता से पूर्णतः उभरने और तेजी से आगे बढ़ने में, हमें समय लगेगा। इस दौर में हमें उदार आर्थिक सहायता की आवश्यकता है। आपदाग्रस्त विशाल भू-भाग, जो पाॅच से अधिक जिलों को अपने में समेटे हुये है, पुर्ननिर्माण की एक कठिन चुनौती है। आपदा से संकटग्रस्त 350 गाॅवों का, सुरक्षित स्थान पर विस्थापन, राज्य के सम्मुख सबसे बड़ा सवाल है। मुझे यह स्वीकार करने में संकोच नहीं है, हम मात्र अपने दम पर, इस बड़ी समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं।  हमें उदार सहयोग की अपेक्षा है। इसे एक राष्ट्रीय आवश्यकता के रूप में, स्वीकारने का निवेदन करता हूॅ।
  महोदय, हमारा संकल्प है कि हम, हिमालय के इस भू-भाग में स्थित, अतुलनीय संस्कृति एवं अन्य राष्ट्रीय धरोहरों की, सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इस भू-भाग में, गंगा यमुना का मायका है। जल संवर्धन के अपने कर्तव्य की पूर्ति के लिए, वर्षा के जल संरक्षण पर, बोनस देने की नीति लागू करने की ओर, हम अग्रसर हो रहे है। हरित उत्तराखण्ड, उत्तर भारत के पर्यावरण की गारन्टी है। हम वृक्षारोपण के लिए अपने नागरिकों को प्रेरित करने हेतु, उन्हें नकद प्रोत्साहन राशि दे रहें हैं। हमें मालूम है, हमारी इन्हीं विशेषताओं के संरक्षण के लिए ही, हमें विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। आप जैसे कुशल अर्थशास्त्रियों की देख-रेख में, हमारे राज्य के लिए, निर्धारित योजनाओं में, धन आवंटन की नीति अत्यधिक उदार रही है। सभी केन्द्रीय सरकारों ने इस नीति का पालन किया है। आदरणीय मौशाय, हम सीमा के प्रहरी भी हैं। हमारा विशाल भू-भाग, चीन और नेपाल की सीमा से लगा हुआ है। आर्थिक अवसरों के अभाव में, इस सीमान्त क्षेत्र से निरन्तर खाली होते गाॅव, किसी भी मुख्यमंत्री की चिन्ता को बढ़ाने के लिए पर्याप्त है। वर्तमान स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी चितंनीय है। हमारी सरकार पलायन को रोकने के लिए प्रयत्नशील है, इस सत्य को, देश को भी स्वीकारना होगा, कि सीमान्त क्षेत्रों से पलायन रूके और इस हेतु राष्ट्रीय नीति बनाई जाय। आपदा व आर्थिक संकट की चुनौतियों से जुझते हुये आगे बढ़ते रहना, हमारा राजकीय संकल्प है। हमें पूरा भरोसा है, हमारे इस संकल्प पूर्ति में, हमें पूर्ववत सबका सहयोग मिलता रहेगा।
  महोदय, हम आज आपके संसदीय ज्ञान के अपूर्व भण्डार से, कुछ मोती ग्रहण कर, अपने राज्य की संसदीय परम्पराओं को, मजबूत बनाने का संकल्प लेते हैं। मैं सौभाग्यशाली हॅू, मुझे निरन्तर इन दशकों में, आपके सानिध्य का सौभाग्य मिला है। आप अपने पद से नहीं, बल्कि अपने अद्भूत प्रतिभाजन्य ज्ञान से पहचाने जाते हैं। देश के राजनैतिक जीवन के प्रत्येक पक्ष में, आपके ज्ञान से लाभ उठाने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। आज उस श्रृंखला में हम भी शिष्यवत् आपके ज्ञान का लाभ उठाने के लिए यहाॅ उपस्थित हैं। हम सब नतमस्तक होकर आपका हार्दिक अभिनन्दन करते हुए, आप को विश्व विख्यात गंगा आरती व भगवान केदारनाथ के दर्शनों के लिए आमंत्रित करते हैं।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More