केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने आज यहाँ कहा, “कैंसर की रोकथाम और उपचार की हमारी लक्षित नीतियों में महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई से मिला सबक बहुमूल्य चेतावनी संकेत के रूप में काम कर सकता है। कैंसर नियंत्रण और प्रबंधन से संबंधित किसी भी पहल को साइलो में लागू नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे “संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज” के दृष्टिकोण से लेने की आवश्यकता है जैसाकि महामारी के प्रबंधन से हमें सीख मिली है, क्योंकि यह मुद्दा विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी प्रबंधन क्षेत्रों में परम्परागत तौर पर अलग-अलग तरीके से जुड़ा है।” केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कैंसर उपचार के लिए रोडमैप” पर राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात कही।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने आगे विस्तार से बताया कि महामारी ने हमें सिखाया है कि स्वास्थ्य केवल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की विशेष जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि केन्द्र और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से इससे निपटा जाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केवल तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में नहीं रह सकता है, बल्कि प्राथमिक और द्वितीय स्तरों में भी इसके विशाल पदचिह्न हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा वितरण के तत्काल प्रभाव के लिए स्वास्थ्य देखभाल का एक बड़ा और टिकाऊ नेटवर्क बनाने के लिए श्रम, रेलवे, इस्पात, ओएनजीसी, परमाणु ऊर्जा इत्यादि जैसे मंत्रालयों की तृतीयक स्वास्थ्य सुविधाओं को साझा किया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में हाल ही में हुए प्रतिमान परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि न केवल प्राथमिक और द्वितीय स्वास्थ्य सेवाएं, बल्कि तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े रेफरल शुरू से अंत तक एक व्यापक समाधान के साथ प्रदान किए जा रहे हैं।
श्री राजेश भूषण ने कैंसर प्रबंधन के लिए एक और सीख के रूप में महत्वपूर्ण देखभाल प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल के साक्ष्य आधारित सामान्य मानकों को तैयार करने, साझा करने और पालन करने की पहचान की। उन्होंने कहा कि ये केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के पुनर्गठन और परिशोधन का मार्गदर्शन कर सकते हैं। कैंसर देखभाल के लिए नियमित प्रशिक्षण, पुनर्प्रशिक्षण और कौशल वृद्धि के माध्यम से स्वास्थ्य देखरेख करने वालों की आवश्यकता होती है। उन्होंने उल्लेख किया कि सभी हितधारकों के साथ स्पष्ट बातचीत और प्रतिक्रिया प्रक्रियाओं के साथ क्षमता निर्माण भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमें बेहतर देखभाल के लिए स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और टेलीमेडिसिन जैसे कैंसर की रोकथाम और उपचार को अपनाने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।” उन्होंने सुझाव दिया कि असम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, बिहार जैसे कुछ राज्यों में लागू किए गए विभिन्न “हब एंड स्पोक” (वायु परिवहन प्रणाली जिसमें स्थानीय हवाई अड्डे एक ऐसे केंद्रीय हवाई अड्डे तक उड़ान की पेशकश करते हैं जहां अंतर्राष्ट्रीय और लंबी दूरी की उड़ानें उपलब्ध हैं) मॉडल का अन्य राज्यों द्वारा अनुकरण किया जा सकता है, साथ ही स्वास्थ्य सेवा वितरण की बारीक योजना के साथ सुविधाओं की विस्तृत मैपिंग भी की जा सकती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में निम्नलिखित विषयों पर सत्र आयोजित किए गए:
i. भारत में कैंसर देखभाल के लिए बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन
ii. भारत में कैंसर देखभाल की वहनीयता
iii. कैंसर देखभाल के संबंध में राज्यों की सर्वोत्तम कार्य प्रणाली
iv. वर्तमान परियोजनाओं और उससे संबंधित मुद्दों की समीक्षा
इस कार्यक्रम में एएस और एमडी (एनएचएम) सुश्री रोली सिंह, संयुक्त सचिव (नीति) श्री विशाल चौहान, टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे भी विभिन्न राज्यों और चिकित्सा संस्थानों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उपस्थित थे।