16.5 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

डॉ. हर्षवर्धन ने एनएमसी अधिनियम, 2019 को ऐतिहासिक, अग्रणी और परिवर्तनकारी बताया

देश-विदेश

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम, 2019 ऐतिहासिक, अग्रणी और परिवर्तनकारी है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में एनडीए सरकार द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा सुधार है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम आने वाले वर्षों में मील का पत्थर साबित होगा।

डॉ. हर्षवर्धन आज नई दिल्ली में एनएमसी अधिनियम 2019 के बारे में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा “मैं माननीय प्रधानमंत्री के प्रति आभारी हूं जिनके मजबूत नेतृत्व में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम” पारित हुआ।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह अधिनियम प्रगतिशील है जो विद्यार्थियों पर बोझ कम करेगा, चिकित्सा क्षेत्र में शुचिता सुनिश्चित करेगा, चिकित्सा शिक्षा लागत में कमी लाएगा, प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा, भारत में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाने में सहायक होगा तथा गुणवत्ता सम्पन्न शिक्षा और लोगों को गुणवत्ता सम्पन्न स्वास्थ्य देखभाल सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तनकारी सुधार है और मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में एनएमसी के अतंर्गत देश में चिकित्सा शिक्षा शिखर पर पहुंचेगी।

उन्होंने बताया कि विधेयक पर पांच वर्ष पहले काम शुरू हुआ जब चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में समस्याओं का अध्ययन करने के लिए प्रो. रंजीत राय चौधरी के नेतृत्व में विशेषज्ञों का समूह बनाया गया था। विशेषज्ञों के समूह ने पाया कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) सभी क्षेत्रों में विफल रही है और अत्यधिक भ्रष्ट और प्रभावहीन संस्था हो गई है। समूह ने सिफारिश की कि पारदर्शी तरीके से चुने गए स्वतंत्र नियामकों को निर्वाचित नियामकों की जगह लेनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि एनएमसी अति महत्वपूर्ण संस्था होगी जो नीतियां बनाएगी और चार स्वशासी बोर्डों की गतिविधियों में समन्वय करेगी। ये बोर्ड स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा, चिकित्सा मूल्यांकन तथा रेटिंग तथा आचार और चिकित्सा पंजीकरण का काम देखेगा। इन चार स्वतंत्र बोर्डों का उद्देश्य उनके बीच कार्यों का विभाजन सुनिश्चित करेगा।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम विद्यार्थियों के अनुकूल है। इसमें देशभर के चिकित्सा संस्थानों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए समान प्रवेश परीक्षा (नीट) और समान काउंसलिंग प्रक्रिया की व्यवस्था है।

उन्होंने बताया कि मौजूदा प्रणाली में प्रत्येक विद्यार्थी को अंतिम वर्ष की परीक्षा देनी पड़ती है। एनएमसी अधिनियम के अंतर्गत अंतिम वर्ष की परीक्षा देशव्यापी होगी और इसे नेक्स्ट कहा जाएगा। यह परीक्षा (i)डॉक्टरी का लाइसेंस (ii) एमबीबीएस की डिग्री और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सुविधा देगी।

स्तनातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए भी समान काउंसलिंग का प्रावधान है। विद्यार्थी सभी मेडिकल कॉलेजों और एम्स, पीजीआई चंडीगढ़ तथा जिपमर जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में प्रवेश पा सकेंगे।

उन्होंने बताया कि आईएमसी अधिनियम, 1956 में फीस के नियमन के लिए कोई प्रावधान नहीं है। परिणामस्‍वरूप कुछ राज्‍य कॉलेज प्रबंधन के साथ समझौता ज्ञापन करने निजी मेडिकल कॉलेजों में कुछ सीटों की फीस का नियमन करते हैं। इसके अतिरिक्‍त अंतरिम व्‍यवस्‍था के रूप में उच्‍चतम न्‍यायालय ने निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस निर्धारित करने के लिए सेवानिवृत हाईकोर्ट जजों की अध्‍यक्षता वाली समितियों का गठन किया है। मानित(‍डीम्‍ड्) विश्‍वविद्यालय दावा करते हैं कि वे इन समितियों के दायरे में नहीं आते। देश में एमबीबीएस की लगभग 50 प्रतिशत सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हैं, जिनमें बहुत कम फीस देनी पड़ती है। सिर्फ 50 प्रतिशत सीटों को राष्‍ट्रीय मेडिकल आयोग नियंत्रित करेगा। इसका अर्थ यह है कि देश में कुल सीटों की 75 प्रतिशत सीटें उचित फीस पर उपलब्‍ध होगी।

उन्होंने कहा कि हमारे देश में डॉक्टरों की कमी के कारण रोकथाम के स्तर और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के पूरक के रूप में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों की सहायता से समग्र आबादी को चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाएगी।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More