उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडु ने आज कहा कि पारंपरिक नव वर्ष समारोह देशभर में विभिन्न नामों तथा रीति रिवाजों जैसे कि उगाडी, युगाडी, गुडी परवा, चैत्र शुक्लादि, चेतिचांद, सजीबू, चेराओबा, नवरेह, के साथ मनाया जाता है और यह अपनी विविधता तथा अतंरनिहित एकता को प्रदर्शित करता हुआ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
हैदराबाद स्थित स्वर्ण भारत ट्रस्ट में उगाडी समारोह को संबोधित करते हुए श्री नायडु ने युवाओं से भारतीय संस्कृति को संरक्षित तथा सुरक्षित करने और प्रत्येक भारतीय त्यौहार के पीछे के महत्व को समझने की अपील की। उन्होंने शुभकामना जताई कि पारंपरिक नववर्ष देश के लोगों के जीवन में समृद्धि और प्रसन्नता लाए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच रिश्तों के सुदृढ़ीकरण से समाज में सद्भावना को बढ़ावा मिलता है। भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सभ्यतागत मूल्य का स्मरण करते हुए श्री नायडु ने प्रत्येक व्यक्ति से देश की प्रगति के लिए सतत प्रयास करने को कहा। उन्होंने कहा, ‘आइए एकजुट हों तथा आगे बढ़ें, आइए आत्म निर्भर भारत अर्जित करें।
श्री नायडु ने कहा कि औपनिवेशिक शासन ने भारत का शोषण किया जिससे भारतीयों के बीच हीन भावना पैदा हो गई। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति से भारत की प्राचीन विरासत के प्रति गौरव महसूस करने का आग्रह किया तथा कहा कि भारत के सभी क्षेत्रों में तेज विकास देखा जा रहा है और समस्त दुनिया की भारत पर दृष्टि है। सार्वजनिक चर्चाओं में बहस की सर्वोच्च गुणवत्ता बनाए रखने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि किसी को भी विश्व के मंच पर भारत की स्थिति को कमतर नहीं दिखाना चाहिए।
यह याद दिलाते हुए कि नव वर्ष के त्यौहार प्रकृति के उपहार का भी समारोह है, उपराष्ट्रपति ने प्रत्येक व्यक्ति से नव वर्ष पर प्रकृति को संरक्षित करने तथा टिकाऊ पद्धतियों को अपनाने की अपील की। उन्होंने, लोगों विशेष रूप से युवाओं को निष्क्रिय जीवन शैली का त्याग करने तथा स्वस्थ आदतों को अपनाने का भी सुझाव दिया।
उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन में भारतीय भाषाओं के उपयोग के महत्व पर जोर दिया और सुझाव दिया कि ‘प्रत्येक व्यक्ति को जहां तक संभव हो, अपने दैनिक जीवन में अपनी मातृभाषा का उपयोग करना चाहिए और उससे प्यार करना चाहिए’। उन्होंने इच्छा जताई कि स्कूलों में कम से कम प्राथमिक स्तर पर निर्देश का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं का प्रशासन एवं न्यायालयों में उपयोग निरंतर बढ़ना चाहिए।
श्री नायडु ने महिलाओं की अधिकारिता तथा युवाओं के कौशल निर्माण की दिशा में स्वर्ण भारत ट्रस्ट के कार्यकलापों के लिए बधाई दी। इस अवसर पर श्री नायडु ने उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सागी कमलकरा सरमा द्वारा हिंदु ज्योतिष पंचाग- ‘उगाडी पंचंगा श्रवनम’ का एक संक्षिप्त विश्लेषण, श्री गुमाडी गोपाल कृष्णा द्वारा एक कविता पाठ ‘तेलुगू पद्यया वैभवम’, श्री चल्लगली वैंकटराजू द्वारा ‘संगीता वैभवम’ एवं सुश्री मन्ने टीना चौधरी द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य प्रस्तुति जैसे विभिन्न सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों का अवलोकन किया।
इस समारोह में स्वर्ण भारत ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. कमीनेनी श्रीनिवास, सचिव श्री बी सुब्बारेड्डी ट्रस्टी श्रीमती चिगूरूपति उमा एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।