लखनऊः मुख्यमंत्री उ.प्र. योगी आदित्यनाथ के प्रदेश में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के निर्णय के क्रम में गन्ना मंत्री, श्री सुरेश राणा द्वारा खाण्डसारी उद्योग को बढ़ावा देने हेतु लाइसेंस जारी करने की नीति को सरल बनाने के निर्देशानुसार सरकार ने नई खाण्डसारी नीति जारी की है। नई नीति में चीनी में चीनी मिल गेट से खाण्डसारी इकाई की दूरी 15 किमी से घटाकर 8 किमी करने तथा आॅनलाइन आवेदन पत्र भेजने व 100 घंटे के भीतर आॅनलाइन लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था की गई हैं सरकार की इस नयी लाइसेंस नीति को सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगा है।
प्रदेश के गन्ना आयुक्त, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि अब तक 18 नई खाण्डसारी इकाइयों हेतु लाइसेंस जारी किये जा चुके है, जिनमें 8 लाइसेंस नयी आॅनलाइन व्यवस्था के तहत दिये गये है, जिससे 5300 टी.सी.डी. अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन होगा जो एक नई चीनी मिल की पेराई क्षमता के बराबर होगा। खाण्डसारी इकाइयां प्रायः अक्टूबर माह में ही गन्ने की पेराई प्रारम्भ कर देती है, जिससे किसानों को पेड़ी गन्ने की पेराई में सहूलियत होगी तथा खाली हुए खेत में रबी की फसलों की बुवाई से किसानों की आय में वृद्धि होगी। गन्ना आयुक्त ने यह भी बताया कि प्रदेश में गुड़ बनाने की इकाइयों को लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है। सरकार की नई नीति को प्रदेश में खाण्डसारी चीनी एवं गुड़ के उत्पादन में वृद्धि होने के साथ-साथ अतिरिक्त रेाजगार का भी सृजन होगा।
गन्ना एवं चीनी आयुक्त कार्यालय के सूत्रों के अनुसार जिन 18 खाण्डसारी इकाइयों को लाइसेंस प्रदान किये गये है उनमेे मुरादाबाद की फर्म पब्लिक खाण्डसारी एवं गुड़ उद्योग, बिजनौर की फर्म मिर्जा खाण्डसारी उद्योग,ं मै. भारत गुड़ खाण्डसारी उद्योग, मैसर्स राधास्वामी गुड़ खाण्डसारी उद्योग, लोकेन्द्र सिंह विपिन कुमार गुड़ उद्योग एवं अमरोहा की मैसर्स प्रमोद कुमार केन क्रेशर, आर.वी.एस. केन क्रेशर तथा मेरठ के ओमकार सिंह की फर्म तथा बरेली की मै. जनता शुगर इन्डस्ट्रीज, शामली की मै. भारत केन क्रेशर, रामपुर की मै. धर्मवीर सिंह गुड़ उद्योग, लखीमपुर खीरी की मै. बरौला शुगर इन्डस्ट्रीज, गाजियाबाद की मै. शिव शंकर केन क्रेशर, बागपत की मै. श्री गणेश केन क्रेशर, कानपुर देहात की मै. रघुवंश एग्रो फार्मस लिमिटेड के साथ ही मेरठ की श्री नफीसुद्दीन एवं श्री अशोक कुमार और गाजियाबाद के श्री शर्मानन्द त्यागी की फर्में शामिल हैं। इन नयी 18 खाण्डसारी इकाइयों के माध्यम से 5,300 टी.सी.डी. की एक नयी चीनी मिल के बराबर पेराई क्षमता का सृजन हुआ है।