लखनऊ: मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सीमित बजट के दायरे में
उत्तर प्रदेश के व्यापक विकास के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। सभी क्षेत्रों एवं वर्गों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा संतुलित विकास पर बल देते हुए किसानों एवं नौजवानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के हर सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश का विकास तब तक सम्भव नहीं, जब तक यहां के किसान एवं नौजवान खुशहाल न हो जाएं। इसे ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2016-17 को किसान वर्ष एवं युवा वर्ष घोषित कर उनकी समस्याओं के निदान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री आज यहां होटल ताज में यूनीसेफ एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित उत्तर प्रदेश बजट 2016-17 की ‘पैनल परिचर्चा’ के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार ने प्रदेश के बजट को व्यवहारिक बनाने के लिए कई अभिनव प्रयास किए हैं। इसके तहत बजट से पूर्व जनप्रतिनिधियों से चर्चा करके उनके क्षेत्र विशेष की समस्याओं एवं जरूरतों को समझने का प्रयास किया गया। इस मामले में वित्त विभाग द्वारा भी रचनात्मक सहयोग देते हुए बड़ी परियोजनाओं को बजटरी सपोर्ट देने का काम किया गया, जिसके फलस्वरूप आज कई ऐसी परियोजनाएं तेजी से होने के करीब हैं, जो कदाचित सामान्य परिस्थितियों में इतने कम समय में पूरी न हो पातीं।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे लम्बा एवं कम समय में बनने वाला यह एक्सप्रेस-वे पूरे देश के लिए एक उदाहरण है, जो अक्टूबर-नवम्बर में तैयार हो जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए कोई स्वीटनर नहीं दिया गया, इसीलिए निजी कम्पनियां इसके निर्माण के लिए आगे नहीं आयीं। बाद में राज्य सरकार नेे अपने बजट के माध्यम से इस परियोजना को लागू करने का फैसला लिया। साथ ही, यह भी ध्यान रखा गया कि इस बड़ी परियोजना पर होने वाले खर्च की वजह से अन्य योजनाएं प्रभावित भी न हों। इस परियोजना के लिए किसानों से भूमि, उनकी सहमति से प्राप्त की गई, जिसके लिए उन्हें सामान्य मूल्य से करीब चार गुना धनराशि दी गई।
प्रदेश के किसानों, नौजवानों, उद्यमियों, पर्यटकों, गावों एवं नगरों की अर्थव्यवस्था पर इस एक्सप्रेस-वे के पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा करते हुए श्री यादव ने कहा कि इससे उत्तर प्रदेश का आर्थिक परिदृश्य बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्री भी यह मानते हैं कि यदि रफ्तार दो गुना हो जाए तो विकास दर तीन गुना हो सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए अब लखनऊ से पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया तक समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भी बनाया जा रहा है, जिसका लाभ प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र को मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने अधिकारियों एवं विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर प्रति वर्ष विकास का एजेण्डा तैयार कर व्यवस्थित ढंग से उसे लागू करने का प्रयास किया है। इससे प्रदेश के विकास की एक स्पष्ट एवं निर्धारित राह बनाने में मदद मिली है। आधारभूत संरचना से सम्बन्धित परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था की गई, क्योंकि पूंजीगत विकास से वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में रोजगार के नये अवसर पैदा होते हैं। साथ ही, निवेशकर्ताओं को भी सहूलियत होती है।
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था मूलतः ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी अधिक होने के कारण राज्य सरकार ने समाज कल्याण की योजनाओं पर भी पर्याप्त ध्यान दिया है। गरीब महिलाओं को वर्ष में 02 साडि़यां उपलब्ध कराने के वायदे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तमाम पहलुओं पर विचार करते हुए इसकी जगह समाजवादी पेंशन योजना संचालित करने का फैसला किया। देश की यह सबसे बड़ी पेंशन योजना है, जिसके माध्यम से 45 लाख गरीब परिवारों को सीधे उनके बैंक खाते में धनराशि भेजकर, उन्हें राहत पहुंचायी जा रही है। इनमें अधिकांश लाभार्थी, परिवार की महिला मुखिया हैं, जिससे समाज एवं परिवार में उनका सम्मान बढ़ा है।
श्री यादव ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने पर बल देते हुए कहा कि गांव एवं किसान के लिए जिस पैमाने पर काम की जरूरत थी, पहले वैसा नहीं किया गया। वर्तमान राज्य सरकार ने इस समस्या पर गम्भीरता से विचार करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। वर्षों से लम्बित सिंचाई परियोजनाओं को धनराशि उपलब्ध कराकर, इन्हें तेजी से पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। कामधेनु डेयरी परियोजना के माध्यम से कई बेरोजगार नवयुवक एवं नवयुवतियां आज दूसरों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। यहां के सबसे बड़े बाजार को देखते हुए अमूल डेयरी सहित अन्य कई प्रतिष्ठान राज्य में निवेश कर रहे हैं। शीघ्र ही कानपुर एवं लखनऊ में अमूल के प्लाण्ट संचालित हो जाएंगे। प्रदेश की पराग डेयरी की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए गम्भीरता से काम किया जा रहा है। इसके कई नये प्लाण्ट स्थापित किए जा रहे हैं। पहले से स्थापित इसके कई प्लाण्टों की क्षमता में वृद्धि की जा रही है। इससे भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
किसानों को सरकारी संसाधनों से मुफ्त सिंचाई के साथ ही भूमि विकास बैंक द्वारा दिए गए ऋणों के ब्याज पर राहत देने का काम किया गया है। उत्तर प्रदेश कोआॅपरेटिव बैंक की खराब आर्थिक दशा सुधारने के लिए राज्य सरकार द्वारा आर्थिक मदद उपलब्ध करायी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अपनी तमाम योजनाओं की धनराशि लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे भेजे जाने की व्यवस्था के मद्देनजर, सर्वाधिक बैंक खाते प्रदेश में ही खोले गए हैं। राज्य में बढ़ रही बैंकिंग गतिविधियों का आकलन इस तथ्य से किया जा सकता है कि विभिन्न क्षेत्रों में करीब 04 हजार नई बैंक शाखाएं स्थापित हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिना किसी भेदभाव के समाजवादी सरकार ने सभी क्षेत्रों में काम किया है। क्षेत्र वार स्पेसिफिक नीतियां बनाकर, उन्हें लागू करने का प्रयास किया गया है। 17 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को निःशुल्क लैपटाॅप वितरित किया गया है। इतने बड़े पैमाने पर इस योजना को लागू करने के बावजूद कहीं भी भ्रष्टाचार नहीं होने दिया गया। नगरों में ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए लखनऊ सहित प्रदेश के बड़े नगरों में मेट्रो रेल परियोजना संचालित की जा रही है। इससे नगरों की यातायात व्यवस्था सुधारने के साथ-साथ नौजवानों को रोजगार के नये अवसर भी मिलेंगे।
राज्य सरकार के प्र्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश में आने वाले निवेश की चर्चा करते हुए श्री यादव ने कहा कि अब एच0सी0एल0 ने लखनऊ में भी अपना कैम्पस स्थापित कर दिया है। दक्षिण भारत के हैदराबाद एवं बंगलुरू शहर आई0टी0 हब के रूप में जाने जा सकते हैं तो लखनऊ क्यों नहीं। इस दृष्टिकोण को अपनाते हुए राज्य सरकार काम कर रही है। विकास के लिए बिजली के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को सुधारने के लिए पारेषण, वितरण एवं उत्पादन आदि तीनों क्षेत्रों में काफी काम किया गया है। प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति के नतीजे से निवेश बढ़ रहा है।
श्री यादव ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार हर हालत में प्रदेश को विकास के रास्ते पर आगे ले जाना चाहती है। इसके लिए आवश्यकतानुसार केन्द्र सरकार की परियोजनाओं में भी मदद दी जा रही है। चक गंजरिया में स्थापित होने वाले ट्रिपल आई0टी0 की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में केन्द्र सरकार के स्तर से निर्णय लम्बित है। रायबरेली में एम्स की स्थापना 05 वर्ष तक लम्बित रहने के बाद, वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में जमीन उपलब्ध करायी गई। इसी प्रकार गोरखपुर में एम्स की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा जो भूमि प्रस्तावित की गई है, उस पर 04 लेन की सड़क एवं बिजली की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने भरोसा जताया कि इस मामले में शीघ्र ही केन्द्र सरकार द्वारा निर्णय ले लिया जाएगा। इसी प्रकार सैनिक स्कूलों की स्थापना के लिए भी जमीन की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अधिकांश लोगों को इलाज के लिए मुम्बई आदि शहरों में जाना पड़ता है। कैंसर रोगियों को अच्छी एवं भरोसेमंद चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विश्वस्तरीय कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना लखनऊ में की जा रही है। इस वर्ष के अंत तक इस संस्थान में ओ0पी0डी0 की सुविधा मिलने लगेगी। प्रदेश में कई नये राजकीय मेडिकल काॅलेज स्थापित हो रहे हैं। एस0जी0पी0जी0आई0 जैसे संस्थानों में और अधिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि वित्त आयोग की सिफारिश पर राज्य सरकार को पहले से अधिक धनराशि प्राप्त होगी, लेकिन केन्द्र पुरोनिधारित योजनाओं में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी कम होने के कारण राज्य सरकार को करीब 09 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा कई क्षेत्रों में अच्छा काम किया गया। स्किल डेवलपमेण्ट, एनिमल हस्बैण्ड्री, सौर ऊर्जा आदि क्षेत्रों में अच्छा कार्य करने के लिए प्रदेश को पुरस्कृत किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां राज्य सरकार विकास के काम कर रही है, वहीं पर्यावरण आदि क्षेत्रों में भी काम किया जा रहा है। उन्होंने जनेश्वर मिश्र पार्क का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां जितनी विविधता के पौधे रोपित किए गए हैं, इतने लंदन के हाइड पार्क में भी नहीं हैं। इसी प्रकार आदरणीय नेताजी द्वारा स्थापित किए गए लोहिया पार्क से भी हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। वृक्षारोपण को गति प्रदान करने के लिए बजट में 05 करोड़ पौधे रोपित करने की व्यवस्था की गई है। दूध एवं पान आदि उत्पादन करने वाले किसानों को क्षेत्र वार यातायात सुविधाएं प्रदान कर उनके आर्थिक विकास में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि पैनल परिचर्चा के फलस्वरूप राज्य सरकार को कई ठोस एवं रचनात्मक सुझाव प्राप्त होंगे, जिनका नीति बनाने में उपयोग किया जाएगा।
इससे पूर्व, प्रमुख सचिव वित्त श्री राहुल भटनागर ने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं पर राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे बड़े पैमाने पर खर्च का गुणात्मक असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर निश्चित रूप से पड़ेगा। इससे राज्य के नौजवानों को रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे। इसके साथ ही, प्रदेशवासियों के जीवन स्तर में सुधार होगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0बी0 निम्से ने प्रदेश के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पहली बार लखनऊ विश्वविद्यालय को प्लान मद में 35 करोड़ रुपए की अतिरिक्त मदद दी गई है। इसमें 05 करोड़ रुपए की लागत से डाॅ0 राम मनोहर लोहिया चेयर की स्थापना भी शामिल है।
कार्यक्रम की शुरूआत में विकास अध्ययन संस्थान, लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो0 अरविन्द मोहन ने विस्तार से विगत चार वर्षों में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के विकास के लिए किए गए फैसलों की आर्थिक विवेचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि इन निर्णयों से राज्य का चतुर्दिक विकास सुनिश्चित होगा।
कार्यक्रम को यूनीसेफ के प्रतिनिधि श्री अमित मेहरोत्रा ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर राजनैतिक पेंशन मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री नवीन चन्द्र बाजपेयी, बड़ी संख्या में अर्थशास्त्री, बैंकर्स, चार्टर्ड अकाउण्टेण्ट, छात्र, शिक्षक आदि शामिल थे।