लखनऊ: उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए अनेक उपाय किए हैं और आगे भी करती रहेगी। लखनऊ विश्वविद्यालय में लगभग 04 करोड रुपए की लागत से अभिनव संस्कृत संस्थान का निर्माण कराया गया है जो संस्कृत भाषा के उन्नयन की दिशा में कार्य करेगा। संस्कृत अध्यापकों के नियमित नियुक्ति के लिए बोर्ड को अधियाचन भेजा जा चुका है और जल्द ही नियमित नियुक्तियां की जाएंगी।
उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने यह विचार आज यहां हनुमान सेतु मंदिर पार्किंग स्थल पर संकट मोचन हनुमान जी मंदिर ट्रस्ट वेद विद्यालय एवं महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान उज्जैन (शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन के अवसर पर व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने मॉडल के रूप में कुछ संस्कृत विद्यालयों में बालिका छात्रावास का निर्माण कराए जाने का निर्णय लिया है। सरकार ने वैदिक संस्कृति के पुनर्जीवन के लिए अयोध्या में निजी क्षेत्र के सहयोग से श्रीराम वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना किए जाने का निर्णय लिया है जिसमें वैदिक विद्वानों द्वारा पठन-पाठन के प्रोफेशनल कोर्स चलाए जाएंगे, जिससे विद्यार्थियों को पढ़ने के बाद रोजगार तलाशने में कठिनाई ना हो। श्रीराम विश्वविद्यालय में वैदिक संस्कृति के साथ-साथ विभिन्न धर्म शास्त्रों पर शोध का कार्य भी होगा। इसके साथ ही यहां पर ज्योतिर्विज्ञान एवं कर्मकांड का अलग से विभाग भी बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के तमाम देश संस्कृत भाषा पर शोध कर रहे हैं। संस्कृत भाषा अन्य भाषाओं की आदि जननी है। प्रदेश सरकार संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए पूरी गंभीरता के साथ प्रयास कर रही है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ में संस्कृत निदेशालय की स्थापना के लिए बजट की व्यवस्था की जा चुकी है। प्रदेश सरकार ने संस्कृत विद्यालयों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया है। शिक्षक दिवस के अवसर पर माध्यमिक शिक्षा के अध्यापकों की भांति संस्कृत विद्यालयों के अध्यापकों को सम्मानित किए जाने के साथ ही संस्कृत विद्यालयों के मेधावी विद्यार्थियों को भी माध्यमिक शिक्षा के विद्यार्थियों की तरह सम्मानित किया जा रहा है। संस्कृत विद्यालयों का सत्र नियमित किए जाने तथा संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं को भी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं की तरह से संपादित किए जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत के राजकीय और अनुदानित विद्यालयों की सूची तैयार कर जल्द ही उनका जीर्णोद्धार कराया जाएगा, जिससे संस्कृत विद्यालय अच्छे हो और विद्यालयों में पठन-पाठन की प्रक्रिया सुचारू रूप से संपादित हो सके। उन्होंने कहा कि लखनऊ संस्कृत के विद्वानों का एक गढ़ रहा है। कुछ समय से हम लोगों का वेदों के प्रति लगाव और झुकाव कम हुआ है, इस प्रकार के वैदिक सम्मेलनों के माध्यम से हम अपनी प्राचीन परंपरा और वैदिक संस्कृति के पुनर्जीवन के लिए आगे बढ़कर काम कर सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन द्वारा प्रतिवर्ष देश के विभिन्न क्षेत्रों में 05 क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है जिसमें परंपरागत 100 वरिष्ठ वैदिक विद्वानों को वेद पारायण हेतु आमंत्रित किया जाता है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पद्यमश्री प्रो बृजेश कुमार शुक्ला, अध्यक्ष संस्कृत विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, सभाध्यक्ष, प्रो अशोक कुमार कालिया, पूर्व कुलपति स. स.विद्यालय, वाराणसी तथा श्री दिवाकर त्रिपाठी सचिव, हनुमान मंदिर ट्रस्ट मंडल सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।