नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबीन इरानी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया कि साक्षर भारत कार्यक्रम के चार प्रमुख उद्देश्य हैं –
1. वयस्कों को अक्षरों और संख्याओं की व्यावहारिक जानकारी प्रदान करना, 2. नवसाक्षर वयस्कों को सक्षम बनाना ताकि वे बुनियादी साक्षरता से आगे बढ़कर औपचारिक शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत योग्यता प्राप्त कर सकें, 3. गैर साक्षरों और नवसाक्षरों को उपयोगी कौशल विकास कार्यक्रम के तहत योग्य बनाना ताकि वे अपनी आय और जीवन स्थिति में सुधार ला सकें, 4. शिक्षण समाजों को प्रोत्साहित करना ताकि वे नवसाक्षर वयस्कों को शिक्षा जारी रखने के लिए अवसर प्रदान कर सकें। 2001 की जनगणना के अनुसार जिन जिलों या पुराने जिलों में से नए बनाए गए जिलों में वयस्क स्त्री साक्षरता की दर 50 प्रतिशत या उससे कम है, वे सभी जिले साक्षर भारत कार्यक्रम के दायरे में आने के योग्य हैं। इसके अलावा उग्र वामपंथ प्रभावित जिले भी इस कार्यक्रम के दायरे में रखे जाने योग्य हैं, चाहे उनकी साक्षरता दर कैसी भी हो। कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है कि बुनियादी साक्षरता के तहत 70 मिलियन वयस्क गैर साक्षरों को लाया जाए। इसमें महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और ग्रामीण जिलों के अन्य वंचित समूह शामिल किए गए हैं।
प्रौढ़ शिक्षा एवं कौशल विकास के लिए स्वयंसेवी एजेंसियों को समर्थन देने संबंधी केंद्रीय योजना के तहत 32 राज्य संसाधन केंद्र और 251 जनशिक्षण संस्थानों को भारत सरकार सहायता देती है। इन सभी कार्यक्रमों के तहत सभी गैर साक्षरों/नवसाक्षरों को प्रशिक्षण और अक्षर ज्ञान कराने के संबंध में पाठ्यक्रम का विकास करने में मदद मिलती है। इसके अलावा 01 लाख सीखनेवाले लोगों में साक्षरता के प्रसार के लिए रोटरी इंडिया इंटरनेशनल भी राष्ट्रीय साक्षरता अभियान से जुड़ा है।
चरणबद्ध तरीके से उच्चस्तरीय साक्षरता प्राप्त करने के लिए योजनावार लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक कुल साक्षरता दर को 80 प्रतिशत करने और लैंगिक अंतराल को 10 प्रतिशत तक कम करने का मौजूदा लक्ष्य है।
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