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जीवन प्रमाण – पेंशन धारकों में बहुत लोकप्रिय

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नई दिल्ली: जीवन प्रमाण (https://jeevanpramaan.gov.in/) से पेंशन धारकों को बहुत राहत मिली है। अब पेंशन धारक अपनी पेंशन जारी रखने के लिए डिजिटली रूप

से अधिकारियों को वार्षिक जीवन प्रमाण पत्र उपलब्ध करा सकते हैं। अब उन्हें हर साल निर्दिष्ट अधिकारियों द्वारा जारी जीवन प्रमाण पत्र के माध्यम से या शारीरिक रूप से प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है।

प्रधानमंत्री द्वारा 10 नवंबर, 2014 को शुभारंभ की गई इस पहल से एक साल में लगभग 12.5 लाख पेंशनरों ने डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) के लिए पंजीकृत किया है। दिलचस्प बात यह है नामांकित पेंशन धारक देश के विभिन्न जिलों में रहते हैं। दूर दराज के ग्रामीण और पहाड़ी जिलों में रहने वाले पेंशन धारकों में भी इस सुविधा के प्रति दिलचस्पी पैदा हुई है। वर्तमान में केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के अलावा, रक्षा सेवाओं, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), डाकघरों, रेलवे रक्षा पेंशन वितरण कार्यालय (डीपीडीओ), मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद सहित कई सार्वजनिक उपक्रम भी इस सेवा को उपलब्ध करा रहे हैं।

राज्य सरकारों ने भी जीवन प्रमाण की क्षमता को मान्यता देते हुए इस सेवा को अपनाया है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, पांडिचेरी, ओडिशा, अंडमान एवं निकोबार, राजस्थान और झारखंड राज्य सरकारों ने पहले ही इन सेवाओं को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है।

जीवन प्रमाण में कोई भी पेंशन धारक अपने बॉयोमीट्रिक्स का उपयोग करके यह दिखा सकता है की वह जिंदा है। बॉयोमीट्रिक उपकरण सीएससी, बैंक शाखाओं, पेंशनर संगठनों, सरकार कार्यालयों में उपलब्ध है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए सुश्री नंदिता चौधरी, उप महानिदेशक, एनआईसी से सम्पर्क किया जा सकता है।

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