देहरादून: उत्तराखण्ड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद उद्योग निदेशालय एवं विकास आयुक्त (हथकरघा) भारत सरकार के तत्वावधान में स्थानीय परेड
ग्राउण्ड में 25 दिसम्बर 2015 से 9 जनवरी 2016 तक चलने वाले नेशनल हेण्डलूप एक्सपो में आयोजित बुनकर गोष्ठी में हथकरघा उद्योग से जुड़े बुनकरों की समस्या एवं सुझावों को सुना तथा उनका समाधान किया गया।
इस अवसर पर अपर निदेशक उद्योग सुधीर चन्द्र नौटियाल बताया कि 12 वीं पंचवर्षीय योजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा बुनकरों के समूहों को एक ही स्थान पर विभिन्न प्रकार की सुविधायें उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य ये राष्ट्रीय हेण्डलूम विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) के अन्तर्गत विकासखण्ड स्तर पर ‘‘ब्लाॅक स्तर कलस्टर योजना’’ संचालित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत प्रति ब्लाक स्तरीय कलस्टर में विभिन्न मदों में अधिकतम 2 करोड़ रू0 का प्रावधान है, जिसके अन्तर्गत बुनकरों को एक ही स्थान पर विभिन्न सुविधाएं मुहैया कराई जायेंगी। बुनकरों हेतु महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा संचालित हो रही है जिसका मूल उद्देश्य हथकरघा बुनकरों को स्वाभाविक मृत्यु के साथ-साथ दुर्घटना में मृत्यु होने की स्थिति में तथा दुर्घटना के कारण पूर्ण एवं आंशिक निःशक्तता के मामलों में बढा हुआ बीमा कवर एवं उच्चतर बीमा राशि प्रदान करना है। जिसमें स्वाभाविक मृत्यु होने पर 60 हजार रू0, दुर्घटना के कारण मृत्यु होने या पूर्ण निःशक्तता होने पर 1 लाख 50 हजार रू0, तथा आंशिक निःशक्तता होने पर 75 हजार रू0 दिये जाते है। उन्होने बताया कि 18 से 59 वर्ष के आयु वर्ग के बीच के सभी बुनकर चाहे वे महिला हों या पुरूष, इस योजना के तहत शामिल किये जाने हेतु पात्र हैं, योजना में अल्पसंख्यक , महिला बुनकर और पूर्वोत्तर क्षेत्र के बुनकर भी सम्मिलित है। जो बुनकर अपनी आय का कम से कम 50 प्रतिशत् अर्जित करता हो वे योजना हेतु पात्र है। उन्होने बताया कि वर्तमान में प्रदेश सरकार हथकरघा उद्योग को बढावा देने तथा इसके संवर्द्धन, आधुनिकीकरण, डिजाईनिंग के लिए विशेष प्रयासरत है। प्रदेश में हथकरघा क्षेत्र में पर्वतीय क्षेत्र में थुलमा, चुटका, ऊनी, शाॅल,पंखी, आसन एवं तराई क्षेत्र में बैडशीट, बैडकवर, कम्बल, ड्रेस मटिरियल आदि उत्पादन किया जा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से हथकरघा उद्योग को प्रदेश का प्रमुख रोजगारपरक उद्योग बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का प्रभावी संचालन किया जा रहा है। उन्होने गोष्ठी में बुनकरों द्वारा उठाये गये प्रश्नों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पता चलता है, कि हथकरघा उद्योग उत्तरोत्तर प्रगति पर है।
इस अवसर पर मुख्य प्रबन्धक एस.एल.बी.सी एस.बी.आई महिपाल सिंह ने हथकरघा उद्योग से जुड़े लघु व्यवसायियों को बैंक में संचालित बीमा योजनाओं, ऋणों, अनुदान से सम्बन्धित जानकारी दी तथा बुनकरों की हथकरघा ऋण लेने में आने वाली शिकायतों को सुना तथा सम्बन्धित शाखा प्रबन्धको दूरभाष पर निर्देश दिये। उन्होने कहा कि जिन लघु उद्यमियों को उनके बैंक से सम्बन्धित समस्या है तो वे अपनी शाखा में लिखित रूप से शिकायत दें यदि उस विचार नही किया जाता तो उन्हे अवगत कराये उसका समाधान किया जायेगा।