देहरादून: प्रदेश के कृषि मंत्री उत्तराखण्ड सरकार डाॅ. हरक सिंह रावत ने आज विधान सभा स्थित सभागार में स्थानीय परम्परागत फसलों के समर्थन मूल्य एवं कृषक महोत्सव मनाये जाने के सम्बन्ध में बैठक ली।
बैठक में उन्होंने कृषि एवं उद्यान से जुड़े अधिकारियों से कहा कि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन बखूबी तरीके से करते हुए प्रदेश के किसानों के सर्वागीण विकास के लिए कार्य करें।
बैठक में उन्होंने कहा कि 25 अक्टूबर 2015 से कृषि महोत्सव रबी 2015 का आयोजन होगा। जिसमें प्रदेश के 95 विकासखण्ड की 670 न्याय पंचायतों में मनाया जायेगा। किसानों को न्याय पंचायतों पर कृषक महोत्सव आयोजन के दौरान कृषि से सम्बन्धित विषयों जैसे- कृषि कीट रोग, पशुपालन, जड़ी-बूटी, मतस्य पालन, मौन पालन, डेयरी, उद्यान और फ्लोरी कल्चर आदि से सम्बन्धित वैज्ञानिकों की उपस्थिति में कृषकों को उन्नत जानकारी देकर लाभान्वित किया जायेगा।
बैठक में उन्होंने कहा कि किसान महोत्सव में माननीय सांसदों, विधायकों एवं जिला पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों एवं जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाय। इसके लिये उन्हें निमंत्रण कृषि निदेशक के द्वारा दिया जाय। सरकार किसान के द्वार कृषक महोत्सव की शुरूआत मा0 मुख्यमंत्री के द्वारा की जायेगी। उन्होंने कहा कि इस कृषक महोत्सव में कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग से जुड़े विभागों की सहकारिता सुनिश्चित हो। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि सभी विभागों को आपसी सामंजस्य रखते हुए अधिक से अधिक कृषकों की भागीदारी सम्बन्धित न्याय पंचायत में अपेक्षित कृषक महोत्सव में करायी जाए, कृषि महोत्सव के माध्यम से किसानों के उत्पादन को मार्केटिंग भी मिलेगी।
बैठक में स्थानीय परम्परागत फसलों के समर्थन मूल्यों पर भी विचार किया गया। जिसमें ‘ए’ श्रेणी के माल्टा का समर्थन मूल्य 16 रू0 प्रति किग्रा0 तय किया गया। तथा ‘बी’ श्रेणी में माल्टा का समर्थन मूल्य 13 रूपये प्रति किग्रा0 किया गया। मंडुवा का समर्थन मूल्य 18 रू0 प्रति क्रिग्रा0 करते हुए मुख्यमंत्री की मंडुवा पर 2.00 रू0 कि बोनस की घोषणा पर इसका समर्थन मूल्य 20 रू0 प्रति किग्रा0 तय हुआ है। बैठक में झंगोरा का समर्थन मूल्य 16 रू0 प्रति किग्रा0, काला भट्ट का समर्थन मूल्य 26 रू0 प्रति किग्रा0 तथा रामदाना का समर्थन मूल्य 22.50 रू0 प्रति किग्रा0 तय किया गया। इसके साथ ही पहाड़ी सूखी लाल मिर्च पर 5 रू0 प्रति किलो बोनस देने पर भी सहमति हुई।
बैठक में उन्होंने कहा कि 26 अक्टूबर एवं 27 अक्टूबर को बम्बई में उत्तराखण्ड के जैविक उत्पादों पर प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इसके लिए उन्होंने अपर सचिव कृषि, एवं निदेशक उद्यान को सभी व्यवस्थाएॅं सुचारू करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने बैठक में कहा कि प्रदर्शनी लगाने का मकसद यह है कि जैसे उत्तराखण्ड के सेब को अभी तक नाम नहीं मिल पा रहा था। प्रदर्शनी के आयोजन से उसे एक नाम मिला है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के जो जैविक उत्पाद हैं। इससे उन्हें मार्केटिंग का एक प्लेट फार्म मिलेगा। तथा उन्होंने यह भी कहा कि उक्त प्रदर्शनी का उद्घाटन महाराष्ट्र सरकार के मार्केटिंग मिनीस्टर से करवाया जाय। एंव उक्त प्रदर्शनी में पहाड़ी व्यंजन का भी एक स्टाॅल लगाया जाय एवं नो प्रोफीट एवं नो लाॅस की तर्ज पर उत्तराखण्ड के सारे जैविक उत्पादों को उक्त प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाय। जिससे उत्तराखण्ड के किसानों के उत्पाद को एक बाजार मिल सके। इस कार्य में किसी भी प्रकार की कोताही अक्षम्य होगी। बैठक में उन्होंने कहा कि लोगों का झुकाव जैविक उत्पादों पर ज्यादा बढ़ रहा है। इस लिए हमें मांग के अनुसार जैविक खेती की ओर ज्यादा ध्यान देना होगा।