देश में कोरोना वायरस के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने का आदेश दिया है। वहीं, इसके बाद से ही विभिन्न शहरों में फंसे प्रवासी मजदूरों द्वारा पलायन का प्रयास किया जा रहा है। इस बीच, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में बांद्रा स्टेशन पर हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों की भीड़ घर जाने के लिए इकट्ठा हो गई। यहां वे अपने-अपने घर जाने देने की मांग करने लगे। हालांकि बाद में पुलिस द्वारा लाठी चार्ज कर उन्हें तितर-बितर किया गया। साथ ही स्थानीय नेताओं द्वारा मजदूरों से जगह खाली करने को कहा गया।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए पिछले महीने लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने उनके भोजन की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों के चलते हो रही दिक्कतों के चलते अपने मूल स्थानों को वापस जाना चाहते हैं।
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर अपराह्न करीब तीन बजे रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकत्रित हो गए और सड़क पर बैठ गए।
दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं।
एक मजदूर ने अपना नाम बताये बिना कहा कि एनजीओ और स्थानीय निवासी प्रवासी मजदूरों को भोजन मुहैया करा रहे हैं लेकिन वे लॉकडाउन के दौरान अपने मूल राज्यों को वापस जाना चाहते हैं क्योंकि बंद से उनकी आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है। उसने कहा कि अब, हम भोजन नहीं चाहते हैं, हम अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, हम (लॉकडाउन बढ़ाने की) घोषणा से खुश नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले असदुल्लाह शेख ने कहा कि हमने लॉकडाउन के पहले चरण में अपनी बचत पहले ही खर्च कर दी है। अब हमारे पास खाने को कुछ नहीं है, हम केवल अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, सरकार को हमारे लिए व्यवस्था करनी चाहिए।
एक अन्य मजदूर, अब्दुल कय्युन ने कहा कि मैं पिछले कई वर्षों से मुंबई में हूं, लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी। सरकार को हमें यहां से हमारे मूल स्थान पर भेजने के लिए ट्रेनें शुरू करनी चाहिए। अधिकारी ने कहा कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए विरोध स्थल पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। अन्य पुलिस थानों से कर्मियों को बुलाया गया है।
आदित्य ठाकरे ने हालात को लेकर केंद्र सरकार पर लगाया आरोप
वहीं, इस मामले पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा है कि बांद्रा स्टेशन पर मजदूरों का इकट्ठा होकर घर जाने की मांग करना केंद्र सरकार की विफलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार व्यवस्था करने में सक्षम नहीं है।
ठाकरे ने ट्वीट किया, ‘बांद्रा स्टेशन की मौजूदा स्थिति, जिसे अब तितर-बितर कर दिया गया है या सूरत में मजदूरों द्वारा दंगा किया जाना केंद्र सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए घर वापस जाने के रास्ते की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं होने का एक परिणाम है। वे भोजन या आश्रय नहीं चाहते, वे घर वापस जाना चाहते हैं।’
महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री ने एक के बाद एक ट्वीट कर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘जिस दिन ट्रेनों को बंद किया गया, उसी दिन राज्य ने ट्रेनों को 24 घंटे और चलाने का अनुरोध किया था, ताकि प्रवासी मजदूर घर वापस जा सकें।’
आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘सीएम उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे को प्रधानमंत्री और देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उठाया और साथ ही प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में मदद करने के लिए एक रोड मैप का अनुरोध किया था।’
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एक पारस्परिक रोड मैप काफी हद तक प्रवासी मजदूरों को एक राज्य से दूसरे राज्य में सुरक्षित और कुशलतापूर्वक घर पहुंचाने में मदद करेगा। बार-बार इस मुद्दे को केंद्र के साथ उठाया गया है।’
ठाकरे ने कहा, ‘गुजरात के सूरत में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी हद तक एक समान स्थिति के रूप में देखी गई और प्रवासी मजदूरों के लिए बनाए गए सभी शिविरों से समान प्रतिक्रिया सामने आई। कई मजदूर खाने या रहने से इंकार कर रहे हैं। वर्तमान में महाराष्ट्र में विभिन्न आश्रय शिविरों में छह लाख से अधिक लोगों को रखा गया है।’
The current situation at Bandra Station, now dispersed or even the rioting in Surat is a result of the Union Govt not being able to take a call on arranging a way back home for migrant labour. They don’t want food or shelter, they want to go back home
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) April 14, 2020
मजदूरों को लगा सीमाओं को खोलने का आदेश दिया गया, जिस कारण इकट्ठा हुई भीड़ दूसरी ओर, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हुए हजारों प्रवासी मजदूरों को लगा कि प्रधानमंत्री आज राज्य की सीमाओं को फिर से खोलने का आदेश देंगे। इस कारण मजदूरों की बड़ी तादाद वहां इकट्ठा हो गई।
उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा मजदूरों को जब यह बताया गया कि राज्य की सीमाओं को नहीं खोला जाएगा, तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। फिलहाल हालात पूरी तरह से काबू में है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रवासियों को आश्वासन दिया गया कि राज्य सरकार उनके लिए भोजन और आवास की व्यवस्था करेगी, जिसके बाद भीड़ तितर-बितर हो गई।
देशमुख ने कहा कि दूसरे राज्यों के लाखों मजदूर मुंबई में काम करते हैं। उन्हें उम्मीद थी कि पीएम आज राज्यों की सीमाओं को खोलने का निर्णय देंगे। उन्हें लगा कि वे अपने गृह राज्यों में जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि लेकिन पीएम और सीएम (उद्धव ठाकरे) ने लॉकडाउन को बढ़ाकर बहुत अच्छा निर्णय लिया है। फिलहाल राज्य की सीमा सील रहेगी। महाराष्ट्र से अन्य राज्यों में जाने के लिए किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी। देखमुख ने कहा कि हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार ठहरने और भोजन की सुविधा की व्यवस्था करेगी और स्थिति अब नियंत्रण में है।
अमित शाह ने की सीएम उद्धव से बात बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मची अफरातफरी की स्थिति पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात की। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से कोरोना वायरस के खिलाफ मुहिम कमजोर होगी और ऐसी घटनाओं को रोका जाना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार को पूरा समर्थन देने की भी बात कही। Source अमर उजाला