नई दिल्ली: राजस्थान के 9 जिलों जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनू, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में 36 स्थानों पर और गुजरात के कच्छ जिले में 01 स्थान पर 26 और 27 जुलाई, 2020 की मध्यरात्रि में टिड्डी सर्कल कार्यालयों (एलसीओ) ने टिड्डियों के समूह और पतिंगों पर काबू पाने के लिए टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाए।
आज (27.07.2020) राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, चूरू, नागौर, झुंझुनू, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर और गुजरात के कच्छ जिले में एक जगह पर अपरिपक्व गुलाबी टिड्डियों,वयस्क पीली टिड्डियों और / या पतिंगों के झुंड सक्रिय हैं।
राजस्थान,मध्य प्रदेश,पंजाब,गुजरात,उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों में टिड्डी सर्कल कार्यालयों (एलसीओ) ने 11 अप्रैल 2020 से शुरू करके 26 जुलाई 2020 तक कुल 2,14,642 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रणकार्य पूरा किया है। राजस्थान,मध्य प्रदेश,पंजाब,गुजरात,उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड और बिहार में राज्य सरकारों द्वारा 26 जुलाई, 2020 तक कुल 2,14,130 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण कार्य किए गए हैं।
गुजरात,उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र,छत्तीसगढ़,बिहार और हरियाणा में फसलों को कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि,राजस्थान के कुछ जिलों में कुछ फसलों को मामूली नुकसान हुआ है।
अभी कीटनाशक छिड़काव वाहनों के साथ 104 केंद्रीय नियंत्रण दलों को राजस्थान और गुजरात राज्य में तैनात किया गया है और टिड्डी नियंत्रण कार्यों में केंद्र सरकार के 200 से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं। इसके अलावा, राजस्थान में बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर और फलोदी जिलों में ऊंचे पेड़ों और दुर्गम क्षेत्रों पर मौजूद टिड्डियों को कीटनाशकों के छिड़काव के जरिए मारने के लिए 15 ड्रोनों के साथ 5 कंपनियों को तैनात किया गया है। अनुसूचित रेगिस्तान क्षेत्र में आवश्यकता के अनुसार उपयोग के लिए राजस्थान में एक बेल हेलीकॉप्टर तैनात किया गया है। भारतीय वायु सेना भी एमआई -17 हेलीकॉप्टर की मदद से टिड्डी विरोधी ऑपरेशन का संचालन कर रही है।
21.07.2020 को खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा जारी टिड्डी स्टेटस अपडेट से संकेत मिलता है कि आने वाले हफ्तों में हॉर्न ऑफ अफ्रीका से टिड्डियों के झुंड के पलायन का खतरा बना हुआ है। सोमालिया में, टिड्डियों के झुंड उत्तर दिशा की ओर होते हुए पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं और इस महीने के बाकी दिनों के दौरान कुछ सीमित संख्या में ये झुंड हिंद महासागर में भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र की ओर जा सकते हैं।
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