नई दिल्ली: स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों(आईपीपी) के मौजूदा कोयला स्रोत की व्यापक समीक्षा के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय कार्यबल (आईएमटीएफ) का गठन किया गया है। इस कार्यबल के गठन का मकसद विभिन्न तकनीकी बाधाओं को देखते हुए परिवहन लागत को अनुकूलित करने के उद्देश्य से इन स्रोतों के तर्कसंगतता और व्यवहार्यता पर विचार विमर्श करना है। आईएमटीएफ की सिफारिश सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित कर दी गई है।
बिंदुवार विवरण
· अभ्यास के तौर पर कोयला लिंकेज को तर्कसंगत बनाना चाहिए जिसमें वित्तीय और कोयले की भावी उपलब्धता के मुताबिक एक स्वतंत्र विद्युत उत्पादक (आईपीपी) अपने थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी) के कोयला लिंकेज को एक कोयला कंपनी से दूसरी कंपनी तक स्थानांतरित कर सके.
· इस अभ्यास के पीछे का अंतर्निहित उद्देश्य परिवहन लागत में कमी करके कोयले की भूमिगत लागत को कम करना होगा। इसके जरिये कोयले की लदान लागत में कमी और बचत का लाभ डिस्कॉम और उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
· यह पूरी प्रक्रिया या अभ्यास थर्मल पावर प्लांट्स के लिए स्वैच्छिक होनी चाहिए। कोयला लिंकेज को तर्कसंगत बनाने से परिवहन की दूरी कम होगी और इससे रेलवे ढांचे को आसान बनाया जा सकता है जो कि अन्य क्षेत्रों के लिए उपयोगी होगा।
· लिंकेज को तर्कसंगतता बनाने के मकसद से आईपीपी के अनुरोधों के लिए बुलाए जाने की एक बार प्रक्रिया सीआईएल, एससीसीएल और सीईए द्वारा पारदर्शी तरीके से संयुक्त रूप से संपन्न की जाएगी।
· इस लिंकेज की तर्कसंगतता का आवंटन सिर्फ आईपीपी के लिए ही मान्य होगी। आईपीपी न्यूनतम आदेश मात्रा (एमओक्यू) के बारे में भी बताएंगे जिसके लिए लिंक तर्कसंगतता का अनुरोध किया जाएगा और लिंकेज तर्कसंगतता के बाद परिवहन का उनका अपना पसंदीदा तरीका होगा.
· किसी भी कोयला कंपनी से तर्कसंगत स्रोत के ईंधन आपूर्ति समझौते (एफएसए) को उचित विद्युत विनियामक आयोग द्वारा पूरक समझौते को मंजूरी मिलने के बाद ही हस्ताक्षरित या कार्यान्वित किया जाएगा।
· अगर कोई विवाद सामने आता है तो मध्यस्थता और समझौता अधिनियम के प्रावधान के अनुसार ही इसका निपटारा किया जाएगा।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य :
लिंकेज को लेकर इस प्रस्ताव को अगर अमल में लाया जाता है तो उद्देश्यों की पूर्ति करने में पारदर्शिता आएगी। यह आईपीपी की बिजली इकाइयों में महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों के इष्टतम तर्कसंगत बनाने का प्रयास है।
बड़ा प्रभावः
कोयले की लदान लागत में कमी आने से बिजली उत्पादन में बचत होगी और कोयले की ढुलाई की लागत में भी कमी आएगी।
कोयले की लदान लागत में कमी की वजह से जो बचत होगी उससे डिस्क के उपभोक्ताओं को लाभ होगा। साथ ही इस पूरी प्रक्रिया से परिवहन ढांचे पर पड़ने वाले भार को कम किया जा सकेगा।