लखनऊ: उ0प्र0 सूचना आयोग में समस्त विभागों के जनसूचना अधिकारियों की जिनका संबंध सूचनाओं से है, उनके कार्यो की समीक्षा बैठक श्री हाफिज उस्मान ने की, जिसमें जिलाधिकारी /ए0डी0एम0 बिजनौर /एस0डी0एम0 बिजनौर व समस्त तहसीलदार /खण्ड विकास अधिकारी बिजनौर / व समस्त ग्राम विकास अधिकारी बिजनौर को आमंत्रित किया गया था, जिसमें काफी संख्या में अधिकारी उपस्थित हुए। उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम को प्रभावशाली बनाने उसका सक्रियता से क्रियान्वयन करने के सम्बंध में गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने समस्त जनसूचना अधिकारियों को आर0टी0आई0 एक्ट-2005 का सक्रियता से क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने लम्बित मामलों के शीघ्र निस्तारण के आदेश दिये, उन्होंने कहा कि आयोग के संज्ञान में आया है कि कई साल बीत जाने के बाद भी वादी को सूचना उपलब्ध नहीं करायी जा रही है, जबकि सूचना के अधिकार अधिनियम में 30 दिन के अन्दर सूचना दिया जाना अनिवार्य है, अधिनियम की धारा 19 (7) के तहत आयोग के सभी आदेश बाध्यकारी है जिनका मानना सभी जनसूचना अधिकारियों के लिए जरूरी है।
समीक्षा बैठक में 164 मामलों की गहन समीक्षा की गयी। राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने सभी जनसूचना अधिकारियों को कड़े निर्देश दिये है कि वह अपने यहां आर0टी0आई0 से संबंधित सभी प्रार्थना पत्र 30 दिन के अन्दर निस्तारण करें, साथ ही अपीलीय अधिकारी को निर्देश दिये है, अगर 30 दिन के अन्दर जनसूचना अधिकारी प्रार्थना पत्र का निस्तारण नहीं करते है तो 15 दिन के अन्दर वादी के प्रार्थना पत्र पर अन्तिम निर्णय करें, और इसकी सूचना वादी को भी दे, साथ ही सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने अधिकारियों को आदेश दिये है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ आयोग ने दोषी मानते हुए कार्यवाही की है (अर्थदण्ड लगाया है) या विभागीय कार्यवाही की है उस दण्ड को जमा करने के बाद चालान की रसीद आयोग में जमा करें, अन्यथा ऐसे अधिकारियों के खिलाफ उनसे संबंधित सभी विभागों को आयोग अग्रिम कार्यवाही के लिए आदेशित करेगा। आर0टी0आई0 आवेदकों को भी सूचना आयोग ने निर्देश दिये है कि सूचना के नाम पर ब्लैकमेल करने, धन उगाही तथा बिना वजह सूचना के नाम पर अधिकारियों पर दवाब न बनाये तथा सूचना के अधिकार की पारदर्शिता के साथ पवित्रता बनाये रखे।
एक अन्य मामले में वादी खुर्शीद अहमद ने दिनेश कुमार सागर व उनके पिता श्री सीताराम को प्रतिवादी की तरफ से वादी को पचास हजार रूपये का आफर किया था जिसे वादी ने लेने से इन्कार कर दिया है, वादी ने इल्जाम लगाया है कि तब से प्रतिवादी की तरफ से मुझे धमकियां मिल रही है कि अगर तुमने सूचना आयोग से फाइल वापस नहीं ली तो तुम्हें एस0सी0 /एस0टी0 एक्ट में फंसा दूंगा या जो पैसा हम तुम्हे देना चाहते थे, वह किसी और को देकर तेरी हत्या करा देगें। इस पूरे प्रकरण को सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने गम्भीरता से लेते हुए वादी के प्रार्थना पत्र दिनांक 25 मार्च, 2015 में उठाये गये बिन्दु पर जांच के आदेश दिये है। अतः एस0एस0पी0 रामपुर को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 18 (2) के तहत सभी बिन्दुओं पर जांच करने के बाद अपनी आख्या 30 दिन के अन्दर आयोग में पेश करने के लिए कहा है, जांच में दोषी पाये जाने पर कार्यवाही करते हुए आयोग में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
समीक्षा बैठक में श्री अजय कुमार तिवारी, एस0डी0एम0 बिजनौर, श्री विनय कुमार सिंह, एस0डी0एम0, विलासपुर रामपुर, श्री लाल बहादुर, बदोबस्त चकबन्दी अधिकारी रामपुर, श्री चन्द्र पाल सिंह, प्रधानाचार्य राजकीय इण्टर कालेज टाण्डा रामपुर, श्रीमती साजिदा, बाल विकास परियोजना अधिकारी रामपुर, श्री गजेन्द्र सिंह एस0आई0, रामपुर श्री प्रदीप कुमार वर्मा, कार्यालय जिला विद्यालय निरीक्षक बिजनौर, श्री विनोद कुमार मेहरा, खण्ड शिक्षा अधिकारी बिजनौर, श्री परमानन्द, ग्राम विकास अधिकारी रामपुर, श्री इदरीश, अपर न्यायिक तहसीलदार नगीना बिजनौर, श्री रणवीर सिंह, कार्यालय तहसीलदार धामपुर बिजनौर, श्री आजम हुसैन, ग्राम विकास अधिकारी बिजनौर, नायब तहसीलदार सदर बिजनौर आदि शामिल हुए।
राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने रामपुर के 9 जनसूचना अधिकारियों अली हसन करनी, एस0डी0एम0, मिलक, रामपुर, जिला पूर्ति अधिकारी, रामपुर, जिला विद्यालय निरीक्षक, रामपुर, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रामपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्रभारी मिलक रामपुर, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद रामपुर, जिला पंचायत राज अधिकारी रामपुर, संस्कृति निदेशालय रामपुर के जनसूचना अधिकारी के खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।