लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रदेश के अन्य पिछड़े वर्गों को निजी क्षेत्र में व सरकारी विभागों के ठेकों में आरक्षण दिये जाने हेतु आयोग के अध्यक्ष श्री राम आसरे विश्वकर्मा की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव औद्योगिक विभाग उ0प्र0 शासन, प्रमुख सचिव पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, उ0प्र0 शासन, प्रमुख सचिव कार्मिक विभाग उ0प्र0 शासन से चर्चा की। इस सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा व निर्णय के लिए सम्बन्धित विभागों के प्रमुख सचिवों को 09 अप्रैल, 2015 को आयोग में उपस्थित होने के निर्देश दिये।
प्रमुख सचिव, कार्मिक उ0प्र0 को 11 जनवरी, 2008 के शासनादेश के तहत निजी क्षेत्र की इकाइयों, जिनमें राज्य सरकार की भागीदारी 11 प्रतिशत से लेकर 49 प्रतिशत है, उनमें अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों को अनुमन्य आरक्षण सुनिश्चित किये जाने के सम्बन्ध में उक्त शासनादेश को पुनः जारी कर समस्त प्रमुख सचिव/सचिव शासन, समस्त मण्डलायुक्त /जिलाधिकारी, समस्त विभागाध्यक्ष /प्रमुख कार्यालयाध्यक्ष को अनुपालन करने के निर्देश दिये गये।
आयोग ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा चयनित तथा प्रबन्धकीय विद्यालयों /कालेजों द्वारा कार्यभार ग्रहण न कराये जाने के मामलों में पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों की शिकायत पर प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा उ0प्र0 शासन व निदेशक, माध्यमिक शिक्षा को तलब कर पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिलाने के निर्देश दिये तथा चयन बोर्ड को नियुक्ति से वंचित रह गये अभ्यर्थियों की पिछले 5 वर्ष की सूची प्रस्तुत करने के निर्देश के क्रम में चर्चा के दौरान प्रदेश के 89 पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को कार्यभार ग्रहण कराने हेतु शासन को निर्देश दिये गये।
प्रदेश के पिछड़े वर्ग की सूची में लगातार जातियों की संख्या बढ़ने के कारण बहुत बड़ी संख्या में पिछड़े वर्ग के लोग सरकारी नौकरियों से वंचित रह जाते हैं। आयोग के समक्ष पिछड़े वर्ग का आरक्षण 27 प्रतिशत से बढ़ाकर आबादी के अनुपात में प्रतिवेदन पर आयोग ने विस्तार से चर्चा की तथा प्रमुख सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक को इस सम्बन्ध में अपना मन्तव्य देने के लिए 09 अप्रैल, 2015 को आयोग में उपस्थित होने के लिए निर्देश दिये गये। आयोग के अध्यक्ष श्री राम आसरे विश्वकर्मा, उपाध्यक्ष डाॅ0 दीप सिंह पाल व श्री राम आधार सिंह लोधी ने संयुक्त पीठ में सुनवाई की।