लखनऊः प्रदेश के अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि वर्तमान सरकार के अबतक के कार्यकाल में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परियोजनाओं में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश किया जा रहा है। इसमें 6925 करोड़ रुपये का निवेश सौर ऊर्जा आधारित विद्युत परियोजनाओं तथा 2462 करोड़ रुपये का निवेश बायो ऊर्जा क्षेत्र में बायो फ्यूल की विभिन्न परियोजनाओं में होगा। इस प्रकार अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में कुल 9387 करोड़ रुपये का निवेश प्रदेश में होगा।
श्री पाठक आज यहां लोक भवन स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस प्रतिनिधियों से प्रेसवार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा नीति-2017 के तहत 6400 मेगावाट ग्राउण्ड माउण्टेड यूटिलिटी स्केल सोलर पावर प्लाण्ट तथा 4300 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफ टाॅप पावर प्लाण्ट की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सौर विद्युत परियोजनाओ की स्थापना को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से 4000 मेगावाट क्षमता के सौर विद्युत परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत को पारेषित करने के लिए 5500 करोड़ की लागत से ग्रीन एनर्जी काॅरीडोर बनाए जाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।
अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री ने कहा कि नीति के अन्तर्गत 1050 मेगावाट क्षमता की सौर पावर परियोजनाओं का आबंटन किया गया तथा 500 मेगावाट क्षमता के आवंटन की कार्यवाही अग्रसर है। उन्होंने कहा कि रिहन्द बांध के जलाशय में 150 मेगावाट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना हेतु विकासकर्ता का चयन किया जा चुका है। निजी आवासों में ग्रिड संयोजित रूफटाप सोलर पावर प्लान्ट की स्थापना पर 30 प्रतिशत केन्द्रीय अनुदान के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा रू0 15000/- प्रति कि.वा अधिकतम रू0 30000/- प्रति उपभोक्ता हेतु राज्य अनुदान का प्राविधान किया गया हैै। उन्होंने कहा कि सरकार की पारदर्शी नीति के अन्तर्गत रूफटाप सोलर पावर प्लाण्ट के पंजीकरण हेतु आॅनलाईन वेब-पोर्टल ’’यूनीफॅाइड सोलर रूफटाॅप ट्रांजेक्शन पोर्टल लांच किया गया। अब तक रूफटाप सोलर पावर प्लाण्ट की रू. 4.5 करोड़ की अनुदान धनराशि लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे अन्तरित की गई। प्रदेश में जैव अपशिष्टों से जैव ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहित किये जाने के उद्देश्य से नीति जारी की गयी।
श्री पाठक ने कहा कि वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा की बचत/संरक्षण हेतु प्रदेश सरकार द्वारा जुलाई, 2018 में ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता-2018 (यूपीईसीबीसी-2018) की अधिसूचना जारी की गयी। इसके अन्तर्गत प्रदेश के सभी सरकारी एवं वाणिज्यिक भवनों का निर्माण ईसीबीसी मानकों के अनुरूप किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग का भवन ईसीबीसी आधारित प्रदेश का पहला भवन है। ईसीबीसी प्रावधानों को प्रभावी ढंग से विभिन्न विकास प्राधिकरणों में लागू करने हेतु बिल्डिंग बाॅयलाज तैयार किए गए हैं जिससे संबंधित आवश्यक आदेश जारी कर दिये गये हैं। सौभाग्य योजना के अन्तर्गत प्रदेश के 2197 मजरों में 27410 घरों में सौर ऊर्जा के माध्यम से प्रकाश व्यवस्था की गयी है। पण्डित दीन दयाल उपाध्याय सोलर स्ट्रीट लाईट योजनान्तर्गत लगभग 17000 सोलर स्ट्रीट लाईट संयंत्रांे की स्थापना करायी गयी है। मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजनान्तर्गत़ चयनित राजस्व ग्रामों (मजरे, पुरवे,टोले-बसावट सहित) में लगभग 6500 सोलर स्ट्रीट लाईट संयंत्रांे की स्थापना करायी गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कृषि विभाग के सहयोग से विभिन्न क्षमताओं के कुल 8652 सोलर पम्प सिंचाई की स्थापना करायी गयी। प्रदेश के कुल 1050 प्राथमिक विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल एवं पंखे की व्यवस्था हेतु सोलर आर.ओ.वाटर प्लाण्टों की स्थापना करायी गयी।
अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण हेतु एमएसएमई सेक्टर के अन्तर्गत ईट भट्ठों, कारपेट उद्योग में ऊर्जा संरक्षण विषय पर वर्कशाप एवं बैंकों/वित्तीय संस्थाओं हेतु इनर्जी एफिशियेन्सी, फाइनेन्सिंग विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए गये। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सचिवालय को इनर्जी कन्जरवेशन माॅडल के रूप मे ंविकसित किये जाने हेतु ब्यूरो आफ इनर्जी एफिशियेन्सी, भारत सरकार के माध्यम से वित्तीय सहयोग प्रदान किया जा रहा है। भवन एवं औद्योगिक क्षेत्र में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु कुल 12 सेक्टर में राज्य ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है। ऊर्जा संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम के तहत 200 से अधिक स्कूलांे मे एक दिवसीय ऊर्जा संरक्षण विषय पर व्याख्यान, क्विज प्रतियोगिता एवं स्कूल का इनर्जी सर्वे कराया गया। रोजगार उपलब्ध कराने के दृष्टिगत सूर्यमित्र प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत 800 से अधिक सूर्यमित्रों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। सूर्यमित्रों की सोलर कम्पनियों में रोजगार सुनिश्चित किया गया, जिससे जहां एक ओर रोजगार की उपलब्धता बढ़ रही है, वहीं तेजी से बढ़ रहे सोलर उद्योग में कुशल मानव संसाधन भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
श्री पाठक ने कहा कि आॅनलाइन सोलर रूफटाॅप पोर्टल पर अब तक 15 मेगावाट से अधिक क्षमता के रूफटाॅप संयंत्रों पर अनुदान प्रदान करने हेतु प्रदेश के विभिन्न जनपदों के लाभार्थियों द्वारा आॅनलाइन आवेदन किया गया, जिसमें लखनऊ शहर के लाभार्थी सबसे अधिक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक से अधिक लाभार्थियों को प्रेरित करते हुए लखनऊ शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाते हुए लखनऊ शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद मिलेगी।