वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण मंगलवार की मध्यरात्रि को लगने जा रहा है। 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा को लगने जा रहे इस चंद्रग्रहण को खास माना जा रहा है।
सूतक काल के दौरान मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। ज्योतिषाचार्य प्रखर गोस्वामी ने कहा कि आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा पर 16 जुलाई को चंद्रग्रहण मध्यरात्रि के बाद 1.32 बजे पर शुरू होकर सुबह 4.30 तक रहेगा। ग्रहण की अवधि दो घंटे अठावन मिनट रहेगी। ग्रहण का सूतक काल 16 जुलाई शाम 4.26 बजे से शुरू होकर सुबह 4.45 बजे तक रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक के समय को अशुभ मूहुर्त माना जाता है। सूतक ग्रहण समाप्ति के बाद धर्मस्थलों को पवित्र किया जाता है। चंद्रग्रहण के सूतक काल में मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। इस समय पूजा पाठ करना अशुभ माना जाता है।
लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने कहा कि मंदिर शाम को सूतक काल लगने से पहले ही पूजा-पाठ के बाद बंद हो जाएंगे। अगले दिन सुबह ही मंदिर खुलेगा। राजधानी के हनुमान सेतु के मुख्य पुजारी ने बताया कि चंद्रग्रहण का सूतक काल 4.30 बजे के बाद से शुरू हो रहा है। इसीलिए मंदिर उस समय बंद रखा जाएगा।
आखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि चंद्र ग्रहण के कारण बुधवार को सुबह पांच बजे के बाद बड़े हनुमान मंदिर की साफ-सफाई और पूजा-अर्चना करने के बाद कपाट खोले जाएंगे। उन्होंने बताया कि इससे पहले 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण एक साथ पड़े थे। यह अपने आप में ऐतिहासिक क्षण हैं।
काशी में बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक के लिए भक्तों को इंतजार करना होगा। चंद्र ग्रहण 16 की रात 1़ 31 बजे लग रहा है, जो 17 जुलाई की भोर 4़ 30 बजे खत्म होगा। इससे बाबा की आरती दो घंटे विलंब से शुरू होगी और जलाभिषेक भी आरती के बाद ही संभव हो सकेगा। सूतक लगने के चलते गुरु पूर्णिमा पर दर्शन भी शाम चार बजे तक ही हो सकेगा। घाट पर होने वाली मां गंगा आरती का समय भी आयोजकों ने चंद्रग्रहण के लिए बदल दिया है। मंगलवार को आरती दोपहर तीन बजे होगी।
दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि व गंगोत्री सेवा समिति द्वारा आयोजित होने वाली सायंकालीन दैनिक मां गंगा की आरती सूतक काल के कारण प्रभावित होगी।