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एम. एस. धोनी ने कावेरी हॉस्पिटल की हार्ट एंड लंग्स ट्रांसप्लांट यूनिट का उद्घाटन किया

उत्तराखंड

देहरादून। तमिलनाडु में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सबसे आगे, कावेरी ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स की एक इकाई, कावेरी हॉस्पिटल चेन्नई में हाइपरट्रॉफिक ऑब्सट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी से वीडियो 35 साल की महिला का हार्ट ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक पूरा किया गया। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां मोटी (हाइपरट्रॉफिक) हो जाती हैं और इस तरह हृदय के लिए रक्त परिसंचरण, यानी ब्लड को पंप करना बेहद कठिन हो जाता है।

इस ट्रांसप्लांट के लिए वेल्लोर के सरकारी अस्पताल में एक ब्रेन-डेड मरीज से ऑर्गन प्राप्त किया गया। ज़िंदगी बचाने वाली इस मुहिम के तहत, वेल्लोर जीएच से कावेरी अस्पताल चेन्नई तक एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया और प्राप्त किए गए ऑर्गन को 1 घंटे 15 मिनट के भीतर सकुशल पहुँचाया गया।

विजयवाड़ा की रहने वाली यह 35 साल की महिला पहले से ही हाइपरट्रॉफिक ऑब्सट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित थी। चार घंटे तक चली ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया और हालत में लगातार सुधार होने के बाद उन्हें वहां से बाहर निकाला गया।

  चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व-कप्तान, एम. एस. धोनी,  कहते हैं, “अंग दान करना बड़ा ही नेक कार्य है और इससे लोगों की जान बचाई जा सकती है। हालांकि अपनों को खोना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होता है, लेकिन अंगों को दान करने से लगभग आठ लोगों की जान बचाने में मदद मिल सकती है, और इस तरह कई लोगों को दूसरी ज़िंदगी मिल सकती है। मैं अंग दान करने वाले परिवार का आभार व्यक्त करता हूँ जो इस नेक काम के लिए राजी हो गए।

डॉ. मणिवन्नन सेल्वाराज, मैनेजिंग डायरेक्टर, कावेरी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, कहते हैं, “ऑर्गन ट्रांसप्लांट लोगों की जान बचाने वाली प्रक्रिया है, और बहुत से लोगों को हार्ट एवं लंग्स ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। धीरे-धीरे लोगों के बीच अंगदान के बारे में जागरूकता बढ़ रही है और हमने देखा है कि कई परिवार अपने मृत प्रियजनों के अंगदान के लिए आगे आ रहे हैं।

नई ट्रांसप्लांट यूनिट के बारे में बात करते हुए, डॉ. अरविंद सेल्वाराज, को-फाउंडर एवं एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, कावेरी हॉस्पिटल चेन्नई, ने कहा, “अपने अस्पताल की ट्रांसप्लांट टीम की मदद से हमने हार्ट एवं लंग्स फेल्योर के अंतिम चरण में ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रहे लोगों की जान बचाने में सफलता पाई है।

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