उत्तराखण्ड: हमारा उत्तराखण्ड देश के सर्वाधिक तेजी से बढ़ते राज्यों में शामिल है। हमारी प्रति व्यक्ति आय 1,54, 818 रूपए है जबकि सम्पूर्ण भारत की
औसत प्रति व्यक्ति आय 93,231 रूपए है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भी विकास दर में वृद्धि हुई है। कृषि व संबद्ध क्षेत्रों व सेवा क्षेत्र में हुई वृद्धि हमारे लिए उत्साहजनक है। परंतु हम इसी से संतुष्ट नहीं हैं। हमारा मानना है कि तरक्की ऊध्र्वाधर ही नहीं बल्कि क्षैतिज भी होनी चाहिए। तरक्की का फैलाव सब जगह होना चाहिए। विकास समावेशी हो, सबकी भागीदारी से हो। समावेशी विकास के लिए हमने समाज कल्याण को प्राथमिकता दी है। हम आज सर्वाधिक प्रकार की सामाजिक पेंशन देने वाले राज्य हैं। पेंशन लाभार्थियों की संख्या 2.25 लाख से बढ़कर 6.5 लाख हो गई है।
हम आर्थिक विकास के लिए तीन मूलमंत्रों पर काम कर रहे हैं। पहला शिक्षा उन्नयन, आज कोई भी स्कूल अध्यापक विहीन नहीं है। जल्द ही सभी स्कूलों को प्रधानाचार्य भी मिल जाएंगे। हम क्वालिटी शिक्षा के लिए 500 माॅडल स्कूल बनाने जा रहे हैं। निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिए हमने नीति बनाई बनाई है। इसके परिणाम भी मिलने प्रारम्भ हो गए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षण संस्थान स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आए हैं। बच्चों में पढ़ने की आदतों का विकास करने के लिए पढ़ाई को रूचिकर बनाने, विशेष रूप से विज्ञान व गणित की रोचक गतिविधियां को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रत्येक विद्यालय की जीआईएस मैपिंग की गई है।
तरक्की का दूसरा मूल मंत्र हमारी खेती-बागवानी है। कृषि में एक ठहराव सा आ गया था। सरकार द्वारा की गई पहलों से अब इसमें हलचल प्रारम्भ हो गई है। लोगों की खेती, बागवानी व पशुपालन में फिर से रूचि होने लगी है। हम अपने कृषि व स्थानीय उत्पादों की मांग सृजित करने में सफल हुए हैं। ग्रामीण खेती को लाभदायक बनाने के लिए इच्छुक गांवों में ग्रामीणों की सहकारी कम्पनी बनाकर क्लस्टर खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। राज्य सरकार ऐसे गांवों को अंश पूंजी प्रदान करेगी। उŸाराखण्ड की विशिष्ट फसलों पर बोनस व समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। मंडुवा (कोदा), झंगोरा, माल्टा, गलगल, रामदाना, काला भट्ट आदि पहाड़ की विशिष्ट फसलों व फलों का समर्थन मूल्य घोषित किया गया है।
तरक्की की तीसरा मूलमंत्र शिल्प व संस्कृति है। पहली बार उत्तराखण्ड की लोक कला, संस्कृति व हस्तशिल्प के संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में समन्वित व प्रभावी कार्य योजना पर अमल प्रारम्भ किया गया है। संस्कृति संरक्षण व संवर्धन राज्य का घोषित लक्ष्य है। नंदा देवी सेंटर आॅफ एक्सीलेंस की स्थापना की जा रही है। हम 2000 क्राफ्टमेन व क्राफ्टवूमेन तैयार कर रहे हैं। सेवा क्षेत्र में हमारी ग्रोथ रेट बता रही है कि बहुआयामी पर्यटन के लिए हमारे प्रयासों को सफलता मिलनी शुरू हो गई है । हमने पारम्परिक पर्यटन के साथ इको पर्यटन, खेल, कल्चर, साहसिक पर्यटन व स्थानीय सहभागिता युक्त पर्यटन को संबद्ध किया है। इंफ्रास्ट्रक्चर में भी हमने काफी काम किया है। तुलनात्मक रूप से हमारी सड़कें बेहतर हैं। इस वर्ष हम 500 नई सड़कों पर काम करने जा रहे हैं। हम औसतन 22 घंटे से अधिक बिजली दे रहे हैं। उद्योगों को अपे्रल से 24 घंटे बिजली दी जाएगी। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के भी प्रयास किए जा रहे हैं। जिला अस्पतालों को सुदृढ़ किया जा रहा है। मोबाईल हेल्थ व स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से भी सुधार की कोशिश की जा रही है। हमारा प्रयास है कि इस वर्ष 30 हजार से अधिक पदों पर नौजवानों व बहनों की नियुक्तियां कर सकें। स्किल डेवलपमेंटव स्वरोजगार के माध्यम से भी हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करेंगे।
हमारे राज्य में प्रतिभाओं व सामथ्र्य की कमी नहीं है। केदारनाथ का पुनर्निर्माण हम उत्तराखण्डवासियों की संकल्पशक्ति का प्रतीक है। हमारा लक्ष्य न केवल पलायन को रोकना है बल्कि सात वर्षों में रिवर्स पलायन को सम्भव करके दिखाना है। इसी सपने को पूरा करने के लिए राज्य निर्माण आंदोलन में शहादतें दी गई थीं। आईए हम सभी इस सपने को पूरा करने के लिए एकजुट होकर कार्य करें।
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