लखनऊ: न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश के नव-नियुक्त सिविल न्यायाधीश (अवर खण्ड) हेतु आयोजित तीन माह के तृतीय चरण के आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन
दिनाॅंक 12 जनवरी, 2016 को हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति श्री एस0एन0 शुक्ल, न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ थे। उक्त अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति श्री एस0यू0 खान एवं संस्थान के निदेशक, श्री महबूब अली भी उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री एस0एन0 शुक्ल ने कहा कि प्रशिक्षणार्थी न्यायाधीशगण को यहाॅं विधिक ज्ञान के साथ-साथ न्यायालय की कार्यवाही से भी अवगत कराना है। प्रशिक्षुगण को संबंधित जनपदों में नियुक्ति के दौरान न्यायालयों में वादांे का निस्तारण करते समय अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागी सिविल न्यायाधीशगण अपनी समस्याओं का समाधान संकाय अधिकारियों के अनुभवों एवं सहभागी अधिकारियों से विचार-विमर्श द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।
माननीय न्यायमूर्ति जी ने सिविल न्यायाधीशगण को सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें विधि पुस्तकों का अध्ययन कुरान एवं पुराण की भाॅंति करना चाहिए। स्वयं को अद्यतन रखने हेतु न्यायाधीशगण को विभिन्न क्षेत्र से संबंधित विधि शास्त्र एवं निर्णयों का निरन्तर अध्ययन करते रहना चाहिए ताकि त्वरित न्याय निष्पादन हो सके। उन्होंने पुनः कहा कि न्यायाधीशगण भी समाज के भाग हैं तथा उनके भी संबंधी होते हैं। परन्तु उन्हें अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन बिना किसी पक्षपात के सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, अनुशासन एवं अपने कार्य के प्रति समर्पित रहते हुए करना चाहिए। न्यायाधीशगण मात्र राजकीय सेवक नहीं हैं अपितु वे वादांे का निस्तारण पवित्र तरीके से सत्य पर आधारित तथा विधि के अंतर्गत करते हैं। उन्हें वाद निस्तारित करने जैसे अवसर को कभी भी खोना नहीं चाहिए।
संस्थान के अध्यक्ष, माननीय न्यायमूर्ति श्री एस0यू0 खान ने प्रतिभागी न्यायाधीशगण के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। संस्थान के निदेशक, श्री महबूब अली ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथिगण का स्वागत किया और कहा कि यह प्रशिक्षण प्रतिभागी न्यायाधीशगण को उनके उत्तरदायित्वों के निर्वहन में सहायक सिद्ध होगा।
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