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जिलाधिकारी श्री सेमवाल ने बताया कि हरिद्वार में गंगा के आस-पास के इलाके का खनन करवाने के लिए उसका समतलीकरण नही करवाया जा रहा है

उत्तराखंड
देहरादून: जिलाधिकारी हरिद्वार एच.सी.सेमवाल ने हरिद्वार में गंगा के आस-पास अवैध खनन करवाने के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि जो चुगान किया जा रहा है, वह नीति के तहत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसानों के खेतों से मलबे को हटाना जरूरी था। इसलिए नियमानुसार अनुमति दी गई थी। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा हरिद्वार में गंगा व उसकी सहायक नदियों में रेत, बजरी चुगान को सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। इस पर उन्होंने कहा कि सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद ही सभी नदियों में चुगान आरंभ कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि 1380 हैक्टेयर क्षेत्र में ही रेत बजरी चुगान की अनुमति दी जायेगी। साथ ही जनपद हरिद्वार में कृषकों को अपनी भूमि कृषि योग्य बनाये जाने के लिए अनुमति प्रदान की गई थी, जिनमें रायल्टी के रूप में 7340065 रूपये राजकोष में जमा कराये गये तथा जनपद में भारी वर्षा होने तथा गंगा एवं सहायक नदियों के जलस्तर में व अवैध खनन को रोकने के दृष्टिगत समस्त अनुमति निरस्त कर दी गई थी।
जिलाधिकारी श्री सेमवाल ने बताया कि हरिद्वार में गंगा के आस-पास के इलाके का खनन करवाने के लिए उसका समतलीकरण नही करवाया जा रहा है। अवैध खनन रोकने के लिए एन्टी माइनिंग फोर्स, पुलिस, वन, खनन, राजस्व विभाग द्वारा समय-समय पर खनन क्षेत्रों में प्रवर्तन सम्बन्धी कार्यवाही की जाती है तथा अवैध खनन सम्बन्धी कार्यों में प्रयुक्त मशीनरी आदि पर नियमानुसार जुर्माने की कार्यवाही अमल में लाई जाती है। उन्होंने कहा कि जनपद में वर्तमान में 54 स्टोन क्रशर शासन द्वारा अनापत्ति प्राप्त होने के उपरान्त ही संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में समय-समय पर स्टोन क्रशरों की सक्षम अधिकारियों द्वारा जांच तथा किसी प्रकार की अनियमित्ता पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।
जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि हरिद्वार में खनन से सम्बन्धित समस्त कार्य शासन द्वारा निर्धारित नियमों के तहत किया जा रहा है। जनपद हरिद्वार में शासन द्वारा 74 खनन पट्टे स्वीकृत किये गये हैं, जिसमें से वर्ष 2015 में वर्षाकाल प्रारम्भ होने से पूर्व 35 पट्टों पर खनन चुगान कार्य की नियमानुसार अनुमति प्रदान की गई थी। गंगा व सहायक नदियों के पट्टा क्षेत्रों के तल में जल आने के कारण 15 जून 2015 से पूर्व ही खनन, चुगान की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। संचालित खनन पट्टों से फरवरी से जून 2015 की समयावधि में लगभग 3.40 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ।

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